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रोमानिया में संत पापा के स्वागत हेतु तैयारी रोमानिया में संत पापा के स्वागत हेतु तैयारी 

रोमानिया में संत पापा यूरोपीय ख्रीस्तीयता की जड़ों को याद करेंगे

फ्रांसिस की तीसवीं प्रेरितिक यात्रा अंतर-कलीसियाई संवाद के मद्देनजर होगी। यूरोप के धार्मिक मौलिक मूल्यों को फिर से परिभाषित करने में मजबूती आयेगी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 29 मई 2019 (रेई) : संत पापा की रोमानिया प्रेरितिक यात्रा से देश वासियों में बड़ी उम्मीद जगी है। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की ऐतिहासिक यात्रा के बाद संत पापा फ्राँसिस रोमानिया के लोगों के बीच प्रोत्साहन और एकता का संदेश ला रहे हैं। यात्रा का आधिकारिक आदर्श वाक्य है, "आइये, हम एक साथ चलें"। वाटिकन  राज्य सचिव, कार्डिनल पियेत्रो पारोलिन ने वाटिकन संवाददाता मानिकेत्ती से साक्षात्कर में इस बात की पुष्टि की।

यात्रा की तैयारी

संत पापा द्वारा यात्रा की तैयारी पर पूछे गये प्रश्न के जवाब में कार्डिनल ने कहा कि संत पापा अपनी प्रेरितिक यात्रा 31 मई को माता मरियम के अभ्यागमन पर्व के दिन शुरु करेंगे। मरियम अपनी चचेरी बहन एलिजाबेथ की सेवा करने के लिए यात्रा पर निकलती हैं। उसी तरह संत पापा अपने भाइयों और जरुरतमंदों की सेवा में यात्रा पर निकल रहे हैं। उनकी यात्रा के आदर्श वाक्य में माता मरियम की मजबूत छाप है। वे धन्य कुंवारी मरियम की शैली में सभी लोगों के साथ चलना चाहते हैं। अपनी यात्रा द्वारा रोमानिया के नागर समाज और ख्रीस्तीय समुदायों के बीच ईश्वर के प्रेम और मुलाकात की संस्कृति का साक्ष्य देना चाहते हैं। रोमानिया की कलीसिया संस्कारों से समृद्ध है। संत पापा एक चरवाहे के रुप में काथलिकों के विश्वास को मजबूत करना चाहते हैं।

अंतर-कलीसियाई आवेग

 ऑर्थोडोक्स प्रधान देश की प्रेरितिक यात्रा में लैटिन और ग्रीक-काथलिक समुदायों के साथ बैठक है, जिसमें एक मजबूत अंतर कलीसियाई आवेग भी होगा ...

इस बात पर हामी भरते हुए कार्डिनल परोलिन ने कहा कि यह भी दृढ़ता से इस यात्रा को चिह्नित करती है। ठीक बीस साल पहले मई 1999 में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने रोमानिया की यात्रा की थी। यह एक ऐसी यात्रा थी जिसे हम ऐतिहासिक रूप से परिभाषित कर सकते हैं, क्योंकि इसने अन्य ऑर्थोडोक्स बहुसंख्यक देशों के दौरे के दरवाजे भी खोल दिए। यह निश्चित रूप से पहला और मौलिक कदम था। संत पापा इस यात्रा के दौरान एक कदम और आगे बढ़ना चाहते हैं, वे अंतर-कलीसियाई संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि ख्रीस्तीय एकतावर्धक दृष्टिकोण से दो चीजों को रेखांकित किया जाना चाहिए: पहली वास्तविकता रोमानिया एक चौराहे के रूप में है जहां पूर्वी और पश्चिमी यूरोप मिलते हैं, विभिन्न वास्तविकताओं के बीच एक पुल है, जो बहुत ही कलात्मक विरासत द्वारा भी प्रकट होता है। दूसरी बात आम गवाह का पहलू है। यहाँ पहले से ही एक अंतर-कलासियावाद रहा है, जिसे संत पापा एक शहादत अंतर-कलीसियावाद कहते हैं, इसमें काथलिक और ऑर्थोडोक्स कलीसिया के विश्वासी थे जो धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वासियों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले नास्तिक शासन के अधीन थे। उन्होंने पहले ही दुःख में, शहादत में एकता हासिल कर ली है। हम आशा करते हैं कि हमारे ये भाई जो पहले से ही स्वर्ग में हैं और धरती पर रहने के बाद ईश्वर की महिमा का आनंद लेते हैं, इस यात्रा को जारी रखने में मदद कर सकते हैं।

संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की प्रेरितिक यात्रा के 20 साल बाद संत पापा फ्राँसिस रोमानिया की यात्रा पर जा रहे हैं साथ ही देश में आज यूरोप संघ का चुनाव समाप्त हुआ। संत पापा रोमानिया वासियों के लिए क्या संदेश लाते हैं?

संत पापा का संदेश

कर्डिनल परोलिन ने कहा, “मुझे विश्वास है कि संत पापा देश वासियों के बीच प्रोत्साहन का संदेश लाते हैं। रोमानिया ने अपने इतिहास में मुश्किल क्षणों का अनुभव किया है: विदेशी व्यवसाय, नास्तिकता की लंबी अवधि...2007 के बाद से यह यूरोपीय संघ का हिस्सा बन गया है और अपनी सांस्कृतिक विरासत द्वारा शुरू से ही एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल ही में सिबियु में एक शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें शांति के महत्व, यूरोपीय संघ द्वारा लंबी अवधि तक शांति का आश्वासन, समृद्धि और प्रगति पर प्रकाश डाला गया। संत पापा स्वाभाविक रूप से उन लोगों को याद करेंगे जो यूरोप के संस्थापक मूल्य हैं और ख्रीस्तीय  की जड़ें भी। व्यक्ति की गरिमा, एकजुटता इत्यादि मूल्य ख्रीस्तीय विरासत में अधिक मजबूती पाते हैं जिसका वाहक रोमानिया भी है।

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29 May 2019, 17:12