वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन  

नये मानवाधिकार मानदण्डों से धार्मिक स्वतंत्रता ख़तरे में

कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक मानवाधिकार को बढ़ावा देने और सुदृढ़ करने के इतने प्रयासों के बावजूद, हम, वास्तव में, विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में, धार्मिक स्वतंत्रता के निरंतर ह्रास और एक प्रकार का आक्रमण होता देख रहे हैं।"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): विश्व के अनेकानेक भागों में धार्मिक स्वतंत्रता को कुण्ठित करने के प्रयासों की वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने कड़ी निन्दा की है।

रोम में बुधवार को परमधर्मपीठ के लिये संयुक्त राज्य अमरीका के दूतावास में धार्मिक स्वतंत्रता पर आयोजित एक विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक मानवाधिकार को बढ़ावा देने और सुदृढ़ करने के इतने प्रयासों के बावजूद, हम, वास्तव में, विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में, धार्मिक स्वतंत्रता के निरंतर ह्रास और एक प्रकार का आक्रमण होता देख रहे हैं।"

धार्मिक विश्वास मानव का अनिवार्य तत्व

कार्डिनल पारोलिन ने कहा कि मानव अधिकारों की उचित समझदारी को एक प्रामाणिक मानवशास्त्र में मूलबद्ध होना चाहिये जो धार्मिक विश्वास को मानव व्यक्ति के केन्द्र में रखे। उन्होंने कहा कि प्रायः विश्व्यापी धार्मिक उत्पीड़न को अनदेखा कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, “अंतरराष्ट्रीय कानून के ढांचे के भीतर तथा  मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा और साथ ही नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता को सुदृढ़ सुरक्षा मिलने के बावजूद हम मानव के इस बुनियादी अधिकार का गंभीर उल्लंघन होता देखते हैं और प्रायः इसे अनदेखा कर दिया जाता और कई बार तो मीडिया में भी इसपर ध्यान नहीं जाता है।”

पत्रकारों का आह्वान

पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों का कार्डिनल महोदय ने आह्वान किया कि धार्मिक स्वतंत्रता के बचाव को वे महत्वपूर्ण मानें तथा धार्मिक उत्पीड़न की वास्तविकता के प्रति जन चेतना जागृत करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा, "मीडिया और सामाजिक संचार के क्षेत्र में शामिल लोगों को उन वास्तविकताओं को प्रकाश में लाना चाहिए जो मानव परिवार की सामान्य भलाई एवं जनकल्याण के लिए खतरा हैं।"

कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता पर विचार करते समय हमें धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार के मानवशास्त्रीय आधार को कभी नहीं भूलना चाहिये जो ईश प्रदत्त और, वास्तव में, मानव प्रकृति के पारवर्ती आयाम में निहित वरदान है।" उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रशासन अधिकारियों का भी दायित्व है जिन्हें, उसके संरक्षक बनना चाहिये।  

 

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05 April 2019, 11:15