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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा द्वारा पूर्व एंग्लिकन के सामयिक मानदंडों को मंजूरी

विश्वास और धर्म सिद्धांत के लिए बनी धर्मसंघ ने पूर्व एंग्लिकन पादरियों और लोकधर्मियों के लिए नए पूरक मानदंडों को प्रकाशित किया है जो काथलिक कलीसिया में शामिल हुए हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 10 अप्रैल 2019 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस द्वारा 8 मार्च को अनुमोदित प्रेरितिक संविधान एंग्लिकानोरुम कोइतिबुस के लिए सामयिक पूरक मानदंडों को मंगलवार 9 अप्रैल को जारी किया गया। इन मानदंडों पर विश्वास और धर्म-सिद्धांत के लिए बनी धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लुईस लादारिया और महासचिव महाधर्माध्यक्ष जाकोमो मोरांडी ने 19 मार्च, 2019 को हस्ताक्षर किए थे।

एंग्लिकनोरुम कोइतिबुस संस्थानों और व्यक्तिगत अध्यादेशों को नियंत्रित करता है जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में एपिस्कोपिलियन के रूप में जाना जाता है।

सामयिक पूरक मानदंड पिछले 10 वर्षों के अनुभवों को एकीकृत करता है जहाँ आवेदनों को प्रेरितिक संविधान की भावना के अनुरूप बनाने की कोशिश की गई है।

वर्तमान में, पूर्व एंग्लिकन पादरियों और लोकधर्मियों के तीन अध्यादेश मौजूद हैं: इंग्लैंड और वेल्स में वालसिंघम की माता मरियम के व्यक्तिगत अध्यादेश; संयुक्त राज्य अमेरिका में संत पेत्रुस के सिंहासन का व्यक्तिगत अध्यादेश और ऑस्ट्रेलिया में दक्षिणी क्रॉस की माता मरियम के व्यक्तिगत अध्यादेश।

नए मानदंड नवंबर 2009 में प्रकाशित किया गया जो नियमों में कई संशोधन पेश करता है।

पूजन विधि समारोह

सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन पूजन विधि समारोह में उपयोग किये जाने वाले मिस्सल (दिव्य उपासना) के संबंध में है। परमधर्मपीठ द्वारा अनुमोदित एक पूरा लेख, संख्या 15 को जोड़ा गया है।

दिव्य उपासना "काथलिक उपासना को अभिव्यक्त करती और संरक्षण देती है, जो योग्य एंग्लिकन प्रचलित पितृसत्ता को दर्शाती है, जिसने एंग्लिकन परंपरा के पूरे इतिहास में काथलिक विश्वास को पोषित किया है और कलीसियाई एकता के प्रति आकांक्षाओं को बढ़ावा दिया है।"

पहला, वैयक्तिक रूप का उपयोग व्यक्तिगत अध्यादेशों तक सीमित है।

दूसरा, मानदंड किसी भी परोहित को दिव्य उपासना के अनुसार सामूहिक रूप से पल्ली में नहीं लेकिन निजी तौर पर पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान कर सकता है, यदि उस पल्ली के पल्ली पुरोहित अपनी अनुमति देते हैं, तो समुदाय के साथ पवित्र मिस्सा समारोह संभव है।

तीसरा, यदि कोई जरुरी प्रेरितिक आवश्यकता हुई या कोई अध्यादेशी पुरोहित उपलब्ध नहीं है, तो कोई भी धर्मप्रांतीय या धर्मसंघी पुरोहित अध्यादेश के सदस्यों के लिए दिव्य उपासना के अनुसार पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान कर सकता है। गैर-अध्यादेशी पुरोहित भी पवित्र मिस्सा में अध्यादेशी पुरोहित के साथ मिस्सा सह- अनुष्ठान कर सकता है।

प्रेरितिक प्रावधान

अनुच्छेद 4 में दो बदलाव किए गए हैं। अपडेट किए गए मानदंड में पूर्व एंग्लिकन पुरोहित जो पहले से ही काथलिक धर्मप्रांत में हैं प्रेरितिक प्रावधान के आधार पर व्यक्तिगत अध्यादेश में शामिल होने की अनुमति देने के लिए अध्यादेश का विस्तार करता है। वे यह भी कहते हैं कि एक अध्यादेश में शामिल होने वाले याजकों को अपने पूर्व धर्मप्रांत से बाहर निकलना चाहिए।

संयुक्त राज्य अमेरिका में पूर्व एंग्लिकन विवाहित याजकों को काथलिक पुरोहित के रुप में स्वीकार करने के लिए 1980 में प्रेरितिक प्रावधान जारी किया गया था।

लोकधर्मियों का बपतिस्मा

अनुच्छेद 5 में एक नया परिच्छेद जोड़ा गया, जो कहता है कि वैध रूप से बपतिस्मा प्राप्त ख्रीस्तीय, जो अध्यादेश द्वारा ख्रीस्तीय बना था, वह पवित्र परमप्रसाद और दृढ़करण संस्कार ग्रहण कर इसमें शामिल हो सकता है। एक व्यक्ति जो वैध रूप से बपतिस्मा नहीं लिया है वह भी संस्कारों की शुरुआत के माध्यम से शामिल हो सकता है।

याजक प्रशिक्षण

अनुच्छेद 10 अनुच्छेद याजक प्रशिक्षण से संबंधित है और वर्तमान स्थिति के अनुकूल बनाया गया था। नए मानदंड अनुसार "पुरोहित अभिषेक लेने वाले उम्मीदवार" "अध्यादेशी सेमिनारियन" में बदलते हैं, जो लैटिन-रीति सेमिनरी वाले संस्थानों में अध्ययन करते हैं।

यह अध्यादेश को अपने याजकों के लिए प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित करने की भी अनुमति देता है।

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10 April 2019, 16:47