संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा 

शांति बनाए रखने में महिलाओं की भूमिका पर ज़ोर

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि लोकतांत्रिक और शांति प्रक्रियाओं में कार्यरत अधिकांश महिलाएँ यह कार्य केवल स्थानीय स्तर पर करती हैं। महिलाओं के कार्यों को केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं अपितु राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर भी मान्यता देने तथा प्रोत्साहित किये जाने की नितान्त आवश्यकता है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

न्यू यॉर्क, शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय मुख्यालय में वाटिकन के प्रतिनिधि तथा परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष बेरनारदीतो आऊज़ा ने शांति बनाये रखने के कार्यों में महिलाओं की भूमिका पर ज़ोर दिया।

शांति बनाये रखने में महिलाएँ अग्रणी

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि दिन-ब-दिन शांति बनाये रखनेवाले कार्यबलों में महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है इसलिये यह आवश्यक है कि संघर्षरत स्थलों में उनकी सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित किया जाये। उन्होंने कहा, "शांति बलों में कार्यरत महिलाएँ हमारी माताएं, हमारी पुत्रियाँ, हमारी बहनें एवं हमारी पत्नियाँ हैं जो न केवल अपने साहस, प्रवीणता एवं अपने कार्य के प्रति निष्ठा द्वारा अपितु अपनी विशिष्ट संवेदनशीलता के द्वारा स्थानीय लोगों की यथार्थ ज़रूरतों को पूरा करने हेतु समर्पित रहती हैं।"

राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर मान्यता

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि संघर्षरत क्षेत्रों में कार्यरत महिलाएँ उन महिलाओं की प्रभावशाली ढंग से मदद करती हैं जिन्होंने युद्ध के दौरान अत्याचर सहे हैं तथा विश्वास एवं पुनर्मिलन के निर्माण में अहं भूमिका निभाती हैं। इनमें से कई महिलाएँ राजनैतिक ज़िम्मेदारियाँ वहन करती हैं तथा शांति प्रक्रियाओं में सहायता प्रदान करती हैं।

उन्होंने कहा, "अधिकाधिक महिलाओं को शांति प्रक्रियाओं एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय होता देखना वास्तव में संतोष का विषय है क्योंकि इससे कानूनी निकाय मज़बूत होता तथा आवाज़हीनों की आवाज़ बुलन्द होती है।" तथापि, उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक और शांति प्रक्रियाओं में कार्यरत अधिकांश महिलाएँ यह कार्य केवल स्थानीय स्तर पर करती हैं। महिलाओं के कार्यों को केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं अपितु राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर भी मान्यता देने तथा प्रोत्साहित किये जाने की नितान्त आवश्यकता है।    

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12 April 2019, 11:59