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"धर्म और सतत् विकास लक्ष्यों पर" सम्मेलन हेतु प्रेस सम्मेलन

"धर्म और सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी)˸ पृथ्वी और गरीबों की पुकार सुनना" विषय पर 7 से 9 मार्च को एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसको मंगलवार को वाटिकन में एक प्रेस सम्मेलन द्वारा प्रस्तुत किया गया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सम्मेलन का आयोजन समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद एवं अंतरधार्मिक वार्ता हेतु बने परमधर्मपीठीय समिति के तत्वधान में किया गया है।

प्रेस सम्मेलन को समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधरमपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन, परिषद के सचिव मोनसिन्योर ब्रूनो मरीए डूफे, जलवायु विभाग के उप-महानिदेशक डॉ. रेने कास्त्रो सालाजार, फाओ के तियेरा वाई अग्वास, यूआईएस जी एवं यूएस जी के सह-सचिव सिस्टर शैला किनसेय ने सम्बोधित किया।

कार्डिनल पीटर टर्कसन ने बतलाया कि सन् 2000 में यूएन ने मिलेनियुम शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें इसने सहस्राब्दी घोषणा को अपनाया था। इस घोषणा का एक हिस्सा था आठ अंतरराष्ट्रीय विकास लक्ष्य (जी 8) को अपनाना, जिसे मिलेनियुम विकास लक्ष्य कहा गया तथा उसे 2015 तक हासिल करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। गरीबी दूर करने कि लिए जी 8 के वित्त मंत्री, अत्यधिक ऋणी गरीब देशों के ऋणों को रद्द करने के लिए विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अफ्रीकी विकास बैंक को पैसा उपलब्ध कराना चाहते थे, ताकि वे स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए संसाधनों को केंद्रित और पुनः निर्देशित कर सकें।

कार्डिनल ने कहा कि हम इन सभी चीजों को जानते हैं अतः जिस सम्मेलन के बारे आज प्रस्तुत किया जा रहा है वह एस. डी. सी. का विकास नहीं है। हमारा एसडीजी सम्मेलन 7-9 मार्च को 190 से अधिक देशों द्वारा निर्धारित 17 लक्ष्यों के कार्यान्वयन की तात्कालिकता के बारे में है। इसके लिए हमें एक साथ काम करने की आवश्यकता है; ज्ञान के किसी भी स्रोत को नहीं छोड़ा जाना, ताकि किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाए!

सम्मेलन का उप-शीर्षक 

कार्डिनल टर्क्सन ने कहा कि आज, एसडीजी को अपनाने के चार साल बाद, हमें अपने कार्यों में तेजी लाने और अपने कार्यों को पर्याप्त महत्व देने के लिए और अधिक स्पष्ट रूप से इसे महसूस करना होगा कि "पृथ्वी की पुकार और गरीबों की पुकार" के लिए पर्याप्त उत्तर देना है।"

उन पुकारों का प्रत्युत्तर तथा सतत् विकास के जटिल मुद्दे पर, हमें बहुस्तरीय होना और समाज के कई स्तरों को संबोधित करना होगा। उस उद्देश्य के लिए, हमें विभिन्न लोगों की सांस्कृतिक समृद्धि, उनकी कला और कविता, उनके आंतरिक जीवन एवं आध्यात्मिकता से सीखना होगा। वास्तव में, अगर हम हमारे द्वारा किए गए नुकसान को दूर करने में सक्षम पारिस्थितिकी विकसित करने के लिए चिंतित हैं तो विज्ञान की कोई भी शाखा और ज्ञान के किसी भी रूप को नहीं छोड़ा जा सकता है; और इसमें धर्म और विशेष रूप से भाषा भी शामिल है।

धर्म˸ परिवर्तन के लिए प्रेरणा

कार्डिनल ने कहा कि धर्म भी विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उसने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभायी है जो एक सभ्य समाज के लिए कोने के पत्थर के समान है।  

एसडीजी ने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए आवाज और उद्देश्य प्रदान की है। इसने हमारे उत्पादन, व्यापार, उपभोग एवं नष्ट करने के तरीकों में बदलाव लाने हेतु प्रेरित किया है। यह अपने समृद्ध धार्मिक आख्यानों के साथ, एक स्थायी भविष्य के लिए, सभी समाजों और संस्थानों के साथ मिलकर योगदान देना चाहता है।

वार्ता को "हाँ" किन्तु कार्य करने की तात्कालिकता की भावना को खोये बिना

उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इस बात के बारे में है कि धार्मिक आवाजें संयुक्त राष्ट्र की बातचीत में और विश्व स्तर पर मानव विकास और एसडीजी की प्राप्ति में योगदान दे सकती हैं। इसलिए, हम केवल विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन की मेजबानी नहीं कर रहे हैं बल्कि यह एक पारिस्थितिक और व्यापक परिवर्तन को बढ़ावा देने हेतु एक-दूसरे की मदद करने के लिए है जो दुनिया को बदल सकती है और इसे हमें अनिवार्य रूप से करने की जरूरत है।

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05 March 2019, 16:24