नाबालिगों की सुरक्षा कलीसिया की प्रतिबद्धता, कार्डिनल कपिच
माग्रेट सुनिता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 फरवरी 2019 (वाटिकन न्यूज): "कलीसिया में नाबालिगों की सुरक्षा" शीर्षक से, वाटिकन में, आयोजित शीर्ष सम्मेलन के दूसरे दिन कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों एवं धर्मसंघों के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित किया।
संत पापा फ्राँसिस द्वारा वाटिकन में बुलाए गए 3 दिवसीय बैठक में दूसरे दिन की विषय वस्तु है कलीसिया में जिम्मेदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता को लागू करने के लिए रखी जाने वाली प्रक्रियाओं की जांच।
शिकागो के महाधर्माध्यक्ष ने कार्डिनल ब्लेज़ जे कपिच ने सम्मेलन के दूसरे दिन के लिए समर्पित, "जवाबदेही" विषय के तहत "धर्माध्यक्षीय मंडल : संयुक्त रूप से जिम्मेदार" पर अपने विचार प्रस्तुत कया।
बैठक में प्रकाश डाले गये धर्माध्यक्षीय मंडल में मौजूदा अभ्यास पर विचार करते हुए, उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षों को धर्मसभा के प्रकाश में चुनौती पर विचार करना चाहिए, "विशेष रूप से जब हम पूरी कलीसिया के साथ जवाबदेही के संरचनात्मक, कानूनी और संस्थागत पहलुओं की छान-बीन करते हैं।"
धर्मसभा में सहभागिता
कार्डिनल कपिच ने कहा कि धर्मसभा में सहभागिता हर स्तर पर बपतिस्मा प्राप्त हर ख्रीस्तीय की भागीदारी का प्रतिनिधित्व करती है - पल्ली, धर्मप्रांत, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तरों पर आत्म परीक्षण और सुधार कलीसिया में प्रवेश करती है।
उन्होंने कहा कि इस समय कलीसिया के लिए महत्वपूर्ण है कि यह "सत्य, पश्चताप और संस्कृतियों के नवीकरण आदि तत्वों को प्रस्तुत करे, जो कलीसिया के भीतर और पूरे समाज में युवाओ की रक्षा के जनादेश को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
कार्डिनल कपिच ने कहा कि एक प्रक्रिया जो केवल नीतियों को बदलती है, “भले ही यह धर्मसभा में सहभागिता के बेहतरीन कृत्यों का फल है, पर्याप्त नहीं है।”
उन्होंने पूरी कलीसिया के पुरुषों और महिलाओं के मनपरिवर्तन के लिए और हर महाद्वीप पर कलीसियाई संस्कृतियों में परिवर्तन लाने हेतु आह्वान किया और कहा, “कलीसिया में हर स्तर पर मनपरिवर्तन, सुधार और रुपांतरण धर्मसभा में सहभागिता के दृष्टिकोण को व्यापक बना सकती है जिससे हम कलीसिया के सबसे कमजोर लोगों की रक्षा कर सकें जिसके लिए हम बुलाये गये हैं।”
पवित्र बंधन
कार्डिनल क्यूपिच एक संरचनात्मक कानूनी और संस्थागत सुधार की आवश्यकता सहित कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक लोकधर्मी की भूमिका, सुनने की आवश्यकता और साथ-साथ चलने की बात की। उन्होंने एक प्यार करने वाली माँ के रूप में कलीसिया की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और एक बच्चे के साथ माता-पिता के बीच के "पवित्र बंधन" की तुलना कलीसिया और अपने भक्तों के साथ की।
उन्होंने कहा,“माता-पिताओं ने हमें इस बारे हमारा ध्यान आकर्षित कराया है, क्योंकि वे समझ नहीं सकते हैं कि हम धर्माध्यक्ष और धर्मसंघी अधिकारी अक्सर नाबालिगों के यौन शोषण के दुःख और नुकसान को कैसे नहीं देख पाते हैं। वे दोहरी वास्तविकताओं के साक्षी हैं जिन्हें आज हमारी कलीसिया में अपनाया जाना चाहिएः कलीसिया में पुरोहितों के यौन शोषण को समाप्त करने का निरंतर प्रयास और उस याजकीय संस्कृति की अस्वीकृति, जो अक्सर उस दुर्व्यवहार को बढ़ावा देती है।
आगे का कार्य
कार्डिनल कपिच ने आगे के कार्य को तीन अलग-अलग पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए जवाबदेही के लिए संस्थागत और कानूनी संरचनाओं के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत की: "धर्माध्यक्षों की जांच के लिए मानक", "आरोपों की रिपोर्टिंग" और "ठोस प्रक्रियात्मक कदम"।
कार्डिनल कपिच ने निष्कर्ष निकाला कि "जो कुछ भी लागू होना बाकी है वह उन मामलों में स्पष्ट प्रक्रियाएं जो" गंभीर कारणों के लिए "किसी धर्माध्यक्ष, प्राधिधर्माध्यक्ष या धर्मसंध के परमाधिकारी को कार्यालय से हटाने को सही ठहरा सकते हैं, जैसा कि मोतू प्रोप्रियो “साक्रामेंतोरुम सांतितातिस तुतेल्ला” और “कोमे उना मादरे अमोरेवोले” (एक प्यार करने वाली माँ के समान) में परिभाषित किया गया है। उन्होंने अपने भाई धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे यौन शोषण पर कलीसिया के अनुशासन की संस्थागत वास्तविकता को एक नई आत्मा के साथ आपूर्ति करने के लिए धर्माध्यक्ष की जवाबदेही के बारे में मजबूत कानून और संरचनाएं स्थापित करें।
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