मुम्बई के कार्डिनल ग्रेशियस वाटिकन में  मुम्बई के कार्डिनल ग्रेशियस वाटिकन में  

धर्माध्यक्षों की ज़िम्मेदारी "अपरिहार्य"

काथलिक कलीसिया के वरिष्ठ कार्डिनल तथा मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वर्ल्ड ग्रेशियस ने स्वीकार किया है कि कलीसियाई अधिकारी उन बाल यौन शोषण के मामलों पर तेज़ी से और बेहतर तरीके से कार्रवाई कर सकते थे जिनकी शिकायत उनसे की गई थी।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 फरवरी 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): काथलिक कलीसिया के वरिष्ठ कार्डिनल तथा मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वर्ल्ड ग्रेशियस ने स्वीकार किया है कि कलीसियाई अधिकारी उन बाल यौन शोषण के मामलों पर तेज़ी से और बेहतर तरीके से कार्रवाई कर सकते थे जिनकी शिकायत उनसे की गई थी.

"कलीसिया में नाबालिगों की सुरक्षा" शीर्षक से, वाटिकन में, आयोजित शीर्ष सम्मेलन के दूसरे दिन काथलिक कलीसिया के कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों को सम्बोधित कर मुम्बई के कार्डिनल ऑस्वर्ल्ड ग्रेशियस ने कहा, "कई शिकायतों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई तथा बाल यौन शोषण के कथित मामलों में पुलिस को अलर्ट नहीं किया गया, इसलिये कलीसियाई नेताओं को इन मामलों के लिये ज़िम्मेदार मानना ​​अपरिहार्य है "

निर्णायक प्रत्युतर की आवश्यकता

कार्डिनल महोदय ने कहा, "यद्यपि दुराचारों का अनुभव विश्व के कुछेक हिस्सों में नाटकीय रूप से मौजूद है, यह एक सीमित घटना नहीं है. वास्तव में, सम्पूर्ण कलीसिया को एक ईमानदार दृष्टि से इसपर विचार करना चाहिये. विवेकपूर्ण और कठोर ढंग से भावी दुराचारों को रोकने तथा पीड़ितों के उपचार को बढ़ावा देने के लिए जो भी संभव हो, करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए. "

कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा कि दुराचार के मामलों से निपटने के लिये किसी भी धर्माध्यक्ष को अकेला महसूस नहीं करना चाहिये बल्कि उसे अपने संग कलीसिया के सभी लोगों को लेना चाहिये जिनमें याजकवर्ग ही नहीं बल्कि लोकधर्मियों की भी भागीदारी होनी चाहिये.

कलीसिया में दुराचारों से उत्पन्न चुनौती  

कार्डिनल महोदय ने कहा कि यौन दुराचार की समस्या केवल किसी एक देश अथवा किसी विशिष्ट क्षेत्र की नहीं है, इसलिये, उन्होंने कहा, "कोई भी धर्माध्यक्ष स्वतः से नहीं कह सकता," कलीसिया में दुराचार की समस्या मेरी समस्या नहीं है, यह मेरी चिन्ता का कारण नहीं है क्योंकि मेरे क्षेत्र में ऐसा कुछ नहीं होता है. सम्पूर्ण कलीसिया के लिये हममें से प्रत्येक ज़िम्मेदार है. हमारी जवाबदेही स्थानीय कलीसिया से परे होना चाहिये. "

कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा कि कलीसियाई अंचलों में नाबालिगों के विरुद्ध यौन दुराचार के साथ बहुत से घटक जुड़े हुए हैं जिनमें मनोरोग, पापमय नैतिक निर्णय, सामाजिक वातावरण सभी शामिल हैं जो प्रायः अपर्याप्त अथवा कष्टकर कलीसियाई प्रत्युत्तर की वजह से दुराचारों को प्रश्रय देते हैं.  

दुराचारों का घोर परिणाम

उन्होंने कहा, "पुरोहितों अथवा धर्मशिक्षकों के द्वारा बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से असीम क्षति पहुँचाता है जिसका अनदाज़ा लगाना नामुमकिन है. यह क्षति शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक होती है. अनिवार्य रूप से, यह विश्वास के गहन विश्वासघात से संबंधित किसी भी गंभीर भावनात्मक आघात के दीर्घकालिक परिणामों के साथ मनोवैज्ञानिक भी होती है. "

कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा, "दुराचारों का परिणाम, प्रायः, प्रत्यक्ष आध्यात्मिक क्षति होता है जो विश्वास को झिंझोड कर रख देता तथा पीड़ित की आध्यात्मिक तीर्थयात्रा को विखण्डित कर उसे आजीवन निराशा में भँवर में डाल देता है."

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22 February 2019, 11:02