माल्टा के महाधर्माध्यक्ष एवं विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के उपसचिव महाधर्माध्यक्ष शिक्लुना माल्टा के महाधर्माध्यक्ष एवं विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के उपसचिव महाधर्माध्यक्ष शिक्लुना  

महाधर्माध्यक्ष शिक्लुना ने नाबालिगों की सुरक्षा का प्रण किया

महाधर्माध्यक्ष चार्ल्स जूड शिक्लुना ने बृहस्पतिवार को "कलीसिया में नाबालिगों की सुरक्षा" पर चार दिवसीय सभा को सम्बोधित किया तथा प्रण किया कि "नाबालिगों की रक्षा हर कीमत पर" की जाएगी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

माल्टा के महाधर्माध्यक्ष एवं विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के उपसचिव महाधर्माध्यक्ष शिक्लुना ने सभा में दूसरा विवाद प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था, "यौन दुराचार के मामलों की रोकथाम और दुराचार को दूर करने के लिए जिम्मेदारी लेना।"

प्रथम दिन की विषयवस्तु, "जिम्मेदारी"

परमधर्मपीठ की ओर से महाधर्माध्यक्ष शिक्लुना को याजकों द्वारा यौन दुराचार की जाँच कारने का कार्य सौंपा गया है। अपने लम्बे भाषण में उन्होंने हमारे समुदायों में न्याय की सेवा में धर्माध्यक्षों के मिशन पर प्रकाश डाला जो एक कारिंदा के रूप में उनकी मूलभूत परीक्षणों में से एक है और साथ ही साथ, कलीसिया के प्रति उनकी निष्ठा की जाँच भी।

उन्होंने कहा, "हमें लोगों की देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। लोगों की रक्षा करना एवं जब वे दुराचार के शिकार हो जाते हैं तब उनके लिए न्याय सुनिश्चित करना हमारा परम कर्तव्य है।"

शिक्लुना ने याजकों द्वारा नाबालिगों के यौन शोषण के व्यक्तिगत मामलों की प्रक्रियाओं के मुख्य चरणों का वर्णन किया। उन्होंने कुछ सुझाव भी दिये जिसके अनुसार विवेकपूर्ण निर्णय, अच्छे व्यवहार एवं अपने विश्वासियों एवं निर्दोष बच्चों की सुरक्षा हेतु सर्वोपरि चिंता करने को आवश्यक बतलाया।

प्रक्रिया में मुख्य चरण

महाधर्माध्यक्ष ने "यौन दुराचार के मामला दर्ज किये जाने" अथवा "दुराचार के मामलों की जाँच" हेतु कलीसिया के सिद्धांतों एवं उपकरणों पर प्रकाश डाला। वे चरण हैं धर्मवैधानिक पैनल प्रक्रिया, सिविल क्षेत्राधिकार के साथ इंटरफेस, धर्मवैधानिक निर्णयों को लागू करना तथा यौन दुराचार को रोकना आदि।

अपने भाषण के अंत में उन्होंने संत पापा फ्राँसिस के पत्र का हवाला देते हुए कहा, "यह आवश्यक है कि हम एक कलीसिया के रूप में, यह स्वीकार कर सकें तथा अत्यन्त दुःख और लज्जा के साथ, समर्पित लोगों, याजकों एवं कमजोर लोगों की देखभाल हेतु जिम्मेदार लोगों द्वारा क्रूरता को बढ़ावा की निंदा कर सकें।" आइये हम अपने तथा दूसरों के पापों के लिए क्षमा मांगें। अपने पापों को महसूस करना, हमें गलतियों, अपराधों तथा अतीत में किये घावों को स्वीकार करने में मदद देगा और वर्तमान में नवीनीकृत मन-परिवर्तन के साथ हमें अधिक खुला और समर्पित होने में सहायता देगा। 

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21 February 2019, 16:37