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गरीबों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा गरीबों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा 

हम ईश्वर से मिलें और गरीबों के पास जायें

संत पापा ने विश्व गरीब दिन के अवसर पर गरीबों के लिए संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए अपने प्रवचन में येसु से मुलाकात करने के उपरान्त गरीबों से मुलाकात करने की बात कही।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

द्वितीय विश्व गरीब दिवस के अवसर पर संत पापा फ्रांसिस ने रोम के गरीबों और उनकी सेवा में संलग्न करीबन 6,000 लोगों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्त से मिलने के उपरान्त गरीबों से मिलना संत पापा ने कहा, “ही वह मार्ग है जिस पर येसु हमें चलने को कहते हैं।” प्रार्थना में ईश्वर से मुलाकात के उपरान्त यही वह मार्ग है जहाँ हम अपने भाई-बहनों से मुलाकात करते हैं।

येसु दुनिया की रीत के विपरीत चलते

संत पापा ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग के दौरान पेत्रुस के पानी पर चलने और तूफान के बारे में चिंतन किया था। (मती. 14:22-33) इस घटना के बाद वे रोटियों का चमत्कार करते औऱ फिर पर्वत पर प्रार्थना करने जाते हैं। अपने पिता से मिलने के बाद वे तूफान के बीच जाते हैं। इन दोनों घटनाओं के द्वारा संत पापा ने कहा कि येसु हमें दुनिया की रीति के विपरीत चलने का निमंत्रण देते हैं। “वे अपनी सफलता को पीछे छोड़ एकांत में जाते हैं। येसु के अऩुयायी के रुप में हमें भी उनकी राह में चलने की जरुरत है जिसे वे कहते हैं, “ईश्वर के मुलाकात के बाद हमें अपने भाइयों और बहनों से मिलने हेतु नीचे उतरने की आवश्यकता है।”  

येसु का आश्वासन

अपनी सफलता अर्थात् रोटियों के चमत्कार के बाद वे एकांत में समय व्यतीत करते और फिर अपने चेलों के बीच तूफानी समुद्र में जाते हैं। वे उन्हें अपनी उपस्थिति का एहसास दिलाते हैं। संत पापा ने कहा कि समुद्र बुराई की निशानी है जिसे येसु कुचल देते हैं। “यह हमारे लिए इस बात को सुनिश्चित करती है कि येसु और केवल वे ही बड़ी से बड़ी बुराइयों, शैतान, पाप, मृत्यु और भय में विजयी हैं।” समुद्री तूफान का अनुभव हमारे लिए इस बात का एहसास दिलाता है कि यह केवल तूफान मात्रा नहीं वरन् हम इस तूफान में अपने जीवन की नैया को कैसे खेते हैं। संत पापा ने कहा, “अपने जीवन की नाव को अच्छी तरह खेने का रहस्य हमारे लिए यही है कि हम येसु को अपने साथ रहने हेतु निमंत्रण दें।” ऐसा करने के द्वारा ही हमारे जीवन में तूफानी वायु थमेगी औऱ हमारा नाव नहीं टूटेगा। 

येसु पेत्रुस की पुकार को सुनते हैं

गरीबों के विश्व दिवस हेतु निर्धारित पाठ के संदर्भ में संत पापा ने कहा कि पेत्रुस द्वारा सहायता की पुकार, गरीबों, अजन्में, भूखों, परित्यक्त लोगों की पुकार है, जो अपने जीवन के तूफान में फँसे हैं जिनका कोई मित्र नहीं है। “वे जो अपने घऱों से भागने को विवश है...जिनका भविष्य अनिश्चित है, वे जिन्हें अपने रोज दिन के मूलभूत जरूरतों से वंचित होना पड़ता है।”

“गरीबों की कराह रोज दिन खौफनाक होती जाती है लेकिन यह अमीरों को कम सुनाई देती है जो दिन ब दिन अपने में अमीर होते जाते हैं।”

येसु अपना हाथ बढ़ाते हैं

येसु अपना हाथ बढते औऱ पेत्रुस को बचाते हैं। यह हमारा ध्यान इस ओर खींचता है कि “जरुरतमंद लोगों के संबंध में अपने विश्वास को जीना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है।” संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय के रुप में अपने हाथों को मोढे रखना या अपने में उदासीन बने रहना हमारे लिए अस्वीकार्य है। “ ख्रीस्तीय विश्वासी के रुप में हमें अपने हाथों को बढ़ाने की जरूरत है जैसा कि येसु हमारे लिए करते हैं।” उन्होंने कहा कि ईश्वर गरीबों की पुकार सुनते हैं लेकिन क्या हम भी इसे सुनते हैं। 

येसु की उदारता

येसु हमसे इस बात की मांग करते हैं कि जिस तरह वे हमें अपने को देते, हम भी अपने को दूसरों के लिए दें, “अपनी स्वतंत्रता में, न की दबाव के मनोभाव से। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम उन्हें दान दें जो हमें वापस नहीं दे सकते हैं।

संत पापा ने अंत में प्रार्थना की, “अपने हाथों को हमारी ओर फेर, हे प्रभु। हमें उसी भांति प्रेम करना सीखा जैसे तूने हमें प्रेम किया है। हमें उन चीजों से विमुख होने की शिक्षा दे जो नश्वर हैं, हमें उनके लिए सहृदयता का स्रोत बना जो हमारे इर्द-गिर्द हैं, जिसे हम जरुरमंदों को खुले हृदय से  दे सकें। आमेन।”  

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19 November 2018, 16:19