बाल्टिक देशों को संत पापा का संदेश बाल्टिक देशों को संत पापा का संदेश  

नरकीय स्थिति में उतरने से न डरें

ला-चीभीता कथोलिका ने संत पापा फ्रांसिस द्वारा बाल्टिक देशों के येसु समाजियों से हुए व्यक्तिगत मुलाकात को प्रकाशित किया।

दिपील संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018(रेई) संत पापा बाल्टिक देशों की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान 23 सितम्बर को विलनियस में बाल्टिक देशों के 28 येसु समाजियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में संत पापा के द्वारा दिये गये संदेश को ला-चीभीता कथोलिका पत्रिका के प्रधान संपादक आन्तोनियो स्पादारो ये.स. ने फिलहाल प्रकाशित किया।

कलीसिया में परिवर्तन

अपने येसु समाजी भाइयों से एक घण्टे की इस मुलाकात में संत पापा फ्रांसिस ने “युवाओं और बुजूर्गों के बीच मुलाकात” की महत्वपूर्णतः पर विशेष बल दिया था। एक युवा येसु समाजी के द्वारा पूछे गये सावल कि वे कैसे उसकी सहायता कर सकते हैं। संत पापा ने अपने उत्तर में कहा कि आज हमें कलीसिया का साथ आध्यत्मिकता को गहरे रुप में नवीकृत करते हुए देने की आवशयकता है। “मैं विश्वास करता हूँ ईश्वर कलीसिया में परिवर्तन चाहते हैं”। “इतिहासकार हमें कहते हैं कि धर्मसभा की बातों को अमल करने में सौ साल लग जाते हैं, और हम आधे रास्ते पर हैं।” संत पापा ने कहा, “यदि आप चाहते हैं कि मैं आप की सहायता करूँ तो आप इस तरह के कार्य करें कि द्वितीय वाटिकन महासभा के निर्देशानुसार कलीसिया को आगे बढ़ाया जा सकें। आप प्रार्थना द्वारा मेरी सहायता करें”।  

मुसीबतों का सामना

एक अन्य युवा येसु समाजी के प्रश्न, झंझट भरी दुनिया में भयविहीन कैसे जीवन व्यतीत किया जा सका हैं। इसके उत्तर में संत पापा ने कहा कि आप झंझटों में अकेले कदम न रखें क्योंकि “इसका अंत बुरा होगा” अपने सुझाव में उन्होंने कहा, “लेकिन आप आध्यात्मिक कृपा और अपने विचारों को अपने अधिकारियों और समुदाय के साथ साझा करते हुए उनमें प्रवेश करें, यदि आप इसे प्रेरितिक कार्य के रुप में येसु के साथ लें... तो आप को डर की कोई जरुरत नहीं... ईश्वर शक्तिशाली हैं।”  

घावों का स्पर्श

संत पापा ने अपनी इस प्रेरितिक यात्रा के दौरान महाधर्माध्यक्ष सिगितास तामकेभीचीसुस से भी मुलाकात की जो कई सालों तक केजीबी द्वारा बंदी बना कर रखे गये थे। उन्होंने 23 सितम्बर को लुथावानिया में स्वतंत्रता संघर्ष की गाथा ब्यां करने वाले संग्रहालय की भेंट की। अपने येसु समाजी भाइयों से मुलाकात करते के दौरान उनकी बातों को सुनते हुए वे भावविभोर हो गये। “येसु नरकीय स्थिति से हो कर गुजरे” संत पापा ने कहा, “अतः आप लोगों के नरकीय जीवन में उतरने से न डरें। हमें लोगों के घावों को स्पर्श करने हेतु विकट परिस्थिति में जाने की जरूरत है।” संत पापा ने कहा, “जब आप लोगों के घावों का स्पर्श करते तो आप येसु के घावों का स्पर्श करते हैं। एक येसु समाजी को ऐसा करने से कभी नहीं डरना चाहिए”।

अतीत और वर्तमान के घाव

संत पापा ने अपने संदेश में कहा कि हमारे घाव अतीत की घटनाओं को लेकर ही नहीं हैं। उन्होंने इस संदर्भ में अफ्रीका के बंदी गृह की चर्चा की। हम क्मयूनिस्टों, नाजी और फासिस्टों के द्वारा किये गये युद्धों से अपने को विचलित होता पाते हैं लेकिन क्या आज ऐसा नहीं होताॽ “निश्चय ही, फर्क यही है कि आज यह सफेद दस्तानों के माध्यम से हो रहा है।”

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

19 October 2018, 17:34