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कार्डिनल माार्क क्वेलेत कार्डिनल माार्क क्वेलेत 

परमधर्मपीठ के खिलाफ आरोप पर कार्डिनल क्वेलेत का खुला पत्र

कार्डिनल मार्क क्वेल्लेत ने अपने धर्मबंधु, महाधर्माध्यक्ष कार्लो मरिया विगनो को एक खुला पत्र लिखते हुए, उनके आरोपों का उत्तर अपने व्यक्तिगत ज्ञान एवं धर्माध्यक्षों की मंडली के संग्रहालय के दस्तावेजों से दिया है तथा उन्हें संत पेत्रुस के उत्ताधिकारी के साथ पूर्ण एकता में लौट आने का आग्रह किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 8 अक्तूबर 2018 (रेई)˸ काथलिक धर्माध्यक्षीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल मार्क क्वेल्लेत के खुले पत्र को वाटिकन प्रेस कार्यालय ने रविवार को प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने परमधर्मपीठ पर आरोप लगाने के लिए महाधर्माध्यक्ष कार्लो मरिया विगनो को सम्बोधित किया है।

पत्र का अनुवाद इस प्रकार है- प्रिय भाई, कारलो मरिया विगनो।

पत्रकारों के लिए आपके अंतिम संदेश जिसमें आपने संत पापा फ्राँसिस एवं परमधर्माध्यक्षीय रोमी कार्यालय पर आरोप लगाया है कि स्थानिक भ्रष्टाचार ने कलीसिया के अधिकारियों को उच्चतम स्तर तक प्रभावित किया है। उस वास्तविकता की सच्चाई को प्रकट करने के लिए आपने मुझसे आग्रह किया है। परमधर्मपीठ की अनुमति के साथ, वॉशिंगटन डी सी के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थेओदोर मैकरिक के मुद्दे पर, जो आपके लिए सार्वजनिक आरोप का विषय बन गया है और जिसके लिए आपने संत पापा के पदत्याग की मांग की है, मैं यहाँ धर्माध्यक्षों के धर्मसंघ के अध्यक्ष स्वरूप व्यक्तिगत साक्ष्य प्रस्तुत कर रहा हूँ। मैं इस साक्ष्य को व्यक्तिगत सम्पर्क तथा धर्मसंघ के संग्रहालय से लिये गये दस्तावेज जो इस समय अध्ययन के विषय हैं, उनके आधार पर लिख रहा हूँ ताकि इस दुःखद मामले पर प्रकाश डाला जा सके।  

सर्वप्रथम, मैं पूर्ण ईमानदारी के साथ, वॉशिंगटन में प्रेरितिक राजदूत के रूप में हमारे बीच जो सहयोगात्मक सुसंबंध था उसकी हैसियत से कहना चाहता हूँ कि आपकी वर्तमान स्थिति मुझे समझ में नहीं आती और मेरे लिए बेहद अपमानजनक है। यह न केवल ईश प्रजा के बीच उलझन के बीज बोने के कारण बल्कि प्रेरितों के उत्तराधिकारी की प्रतिष्ठा पर सार्वजनिक आरोपों द्वारा नुकसान पहुँचाने के कारण है। मैंने आपसे मुलाकात कर जो प्रतिष्ठा प्राप्त की थी, उसे कलीसिया में मुझे सौंपी गयी सेवा में, संत पिता के दिशा-निर्देशों के प्रति वफादार बने रहने के खातिर, त्याग देता हूँ।

क्या संत पेत्रुस के उत्ताधिकारी के साथ संयुक्त रहने के द्वारा ख्रीस्त के प्रति आपकी आज्ञाकारिता प्रकट नहीं होती? जिनको उन्होंने चुना और अपनी कृपा द्वारा सहायता प्रदान करते हैं? आमोरिस लेतेत्सिया की मेरी व्याख्या, जिसकी आपने टिप्पणी की है, संत पापा फ्राँसिस द्वारा जीवित परम्परा का आदर्श प्रस्तुत करने हेतु निष्ठा के कारण, मृत्युदण्ड की सजा के सवाल पर लिखा गया है।

हम सच्चाई पर उतरें, आपने कहा है कि आपने 23 जून 2013 को संत पापा फ्राँसिस को मैकरिक मामले पर, एक मुलाकात के दौरान जानकारी दी थी। मैं पूरी तरह संदेह करता हूँ कि उस समय मैकर्रिक पर उन्होंने उतनी ही रूचि रखी होगी जितना आप विश्वास कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, धर्माध्यक्षों के धर्मसंघ द्वारा 2011 में आपकी सेवा के आरम्भ में जो संक्षिप्त लेख तैयार किया गया था, उसमें मैकर्रिक के बारे, उनके अतीत के व्यवहार के अफवाहों के कारण किये गये शर्तों एवं प्रतिबंधों को एक सेवानिवृत धर्माध्यक्ष के रूप में उन्हें मानना था, उस पर आपने कुछ नहीं कहा।

30 जून 2010 को जब मैं इस धर्मसंघ का अध्यक्ष बन गया, संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें के साथ मुलाकात में मैंने मैकर्रिक के मुद्दे को कभी सामने नहीं लाया और न उनके कार्डिनल मंडल से हटाये जाने के बाद संत पापा फ्राँसिस के पास ही। पूर्व कार्डिनल जो मई 2006 में सेवानिवृत हुए, उन्होंने यात्रा नहीं करने और सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं होने के लिए जोरदार सलाह दी थी, ताकि उनके संबंध में अतिरिक्त अपवाहों को अवसर न दिया जाए। उनके मामले में लिए गये उपायों को संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें द्वारा आदेश दिये जाने एवं संत पापा फ्राँसिस द्वारा निरस्त किये जाने के रूप में स्वीकृति देना गलत है। संग्रहालय पर पुनः खोज-बीन करने के उपरांत, मैं आश्वस्त हूँ कि उसके संबंध में संत पापा द्वारा और कोई हस्ताक्षर नहीं किया गया है और न ही मेरे उत्ताधिकारी कार्डिनल जोवन्नी बतिस्ते रे के द्वारा, मैकर्रिक को कानूनी दण्ड को लेते हुए चुप रहने एवं निजी जीवन तक सीमित रहने हेतु कोई आदेश पत्र दिया गया है।

इसका कारण यही है कि उस समय अभी की तरह उनके कथित अपराध के पर्याप्त प्रमाण नहीं थे। अतः प्रज्ञा से प्रेरित होकर उन्हें मनन-चिंतन, प्रार्थना एवं पश्चताप करते हुए समय व्यतीत करने का आदेश, कलीसिया और उसकी खुद की भलाई के लिए है। इस मामले को वॉशिंगटन के प्रेरितिक राजदूतावास में नए अनुशासनात्मक उपाय के रूप में लिया जाना चाहिए। दूसरों की तरह मैं आशा करता हूँ कि पीड़ितों एवं न्याय की आवश्यकता में पड़े लोगों के प्रति सम्मान के कारण ही अमरीका में जाँच पड़ताल की गयी है और अंततः परमाध्यक्षीय रोमी कार्यालय, हमें इस दर्दनाक मामले की प्रक्रियाओं और परिस्थितियों पर एक महत्वपूर्ण और व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को न दोहराया जाए।

यह विरोधाभास है कि कलीसिया के इस व्यक्ति की अननुरूपता जिसे आज पहचानी गयी, उसे कई अवसरों पर बढ़ाया गया, यहाँ तक कि वॉशिंगटन के महाधर्माध्यक्ष एवं कार्डिनल जैसे उच्च पदों तक। मैं खुद इससे पूरी तरह अचम्भित हूँ तथा इस मामले में चुनाव प्रक्रिया की त्रुटि को पहचान रहा हूँ। इसमें विस्तार से प्रवेश किये बिना, हमें समझ लेने की आवश्यकता है कि परमधर्मपीठ द्वारा लिया गया निर्णय, उस समय में प्राप्त जानकारी पर आधारित होता है जिसे सावधानी पूर्वक निर्णय लेने के उद्देश्य से गठन किया जाता है जो अचूक नहीं है। अतः यह निष्कर्ष निकालना कि निर्णय लेने वाला व्यक्ति भ्रष्ट है, मेरे लिए न्यायसंगत नहीं लगता। इस ठोस मुद्दे पर गवाहों द्वारा प्रदान किए गए संदेह के आगे जाँच की जानी चाहिए। संदेह के संबंध में सवाल के घेरे में रहे धर्माध्यक्ष को अपनी रक्षा करना ठीक से आता है, जबकि दूसरी ओर, वाटिकन में कुछ ऐसे भी लोग रह रहे हों, जो यौन दुराचार के संबंध में सुसमाचारी मूल्यों के विपरीत जीते तथा उसका समर्थन करते हों, जो हमें इस तरह के व्यक्ति को अयोग्य घोषित करने के लिए अधिकृत नहीं करते, यहां तक कि संत पापा भी उसमें शामिल हो सकते हैं। तब क्या यह आवश्यक नहीं है कि सच्चाई के सेवक को सबसे पहले अपने पर लगे झूठे आरोप एवं अपमान को दूर करना चाहिए?    

प्रिय परमधर्मपीठ के सेवानिवृत प्रतिनिधि, मैं आपको साफ बता देना चाहता हूँ कि संत पापा फ्राँसिस पर, इस अनुमानित यौन दुराचारी के तथ्यों के पूर्ण ज्ञान के बाद, उसे ढांकने के प्रयास का आरोप, कई दृष्टकोणों से अविश्वसनीय है अतः कलीसिया में भ्रष्टाचार के समर्थक मानकर, उन्हें कलीसिया के प्रथम चरवाहे की तरह सुधार के कार्यों को जारी रखने के अयोग्य समझना अनुचित है। मैं नहीं समझ सकता कि आपने राक्षसी आरोप पर कैसे यकीन कर लिया, जिसका कोई आधार नहीं है।

संत पापा फ्राँसिस को न्यूयॉर्क में मैकर्रिक के पदोन्नति, मेतुचेन, नेवार्क अथवा वॉशिंगटन से कुछ लेना देना नहीं था। उन्होंने उनसे कार्डिनल के सम्मान को वापस ले लिया, जब उनपर एक नाबालिग पर किये गये दुराचार का एक विश्वसनीय आरोप स्पष्ट हो गया। मैंने संत पापा फ्राँसिस में, उनके परमाध्यक्षीय काल में, अमेरिका में नियुक्ति के संबंध में आत्मकेंद्रित सलाहकार का संकेत कभी नहीं पाया, हालांकि उन्होंने कुछ धर्माध्यक्षों पर अपने भरोसे को नहीं छिपाया। मुझे लगता है कि संत पापा, आपके द्वारा या तथ्यों की आपकी व्याख्या का समर्थन करने वाले आपके मित्रों द्वारा पसंद नहीं किए जाते हैं। मैं इसे भ्रष्ट कार्य मानता हूँ जिसके द्वारा आप अमरीका में नाबालिगों के साथ यौन दुराचार के दर्दनाक ठोकर का फायदा उठाने के लिए, अपने अधिकारियों एवं परमधर्माध्यक्ष को अजीब और अनुपयुक्त झटका देना चाहते हैं। 

मुझे धर्माध्यक्षों की नियुक्ति एवं उनके कार्यालयों में समस्या के कारण, हर सप्ताह संत पापा फ्राँसिस से मुलाकात करने का सुअवसर मिलता है। मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूँ कि वे किस तरह बड़ी उदारता, दयालुता, सावधानी एवं गंभीरता से व्यक्तियों एवं समस्याओं को हैंडल करते हैं, जिसका अनुभव खुद आपने भी किया है।

प्रिय भाई, मैं आपको उनके (संत पापा) साथ संबंध को पुनः प्राप्त करने में सच्चाई से मदद देना चाहता हूँ जो काथलिक कलीसिया की एकता के दृश्यमान चिन्ह हैं। मैं समझ सकता हूँ कि कड़वाहट एवं भ्रांति, परमधर्मपीठ में आपकी सेवा की यात्रा का एक भाग है किन्तु आप अपने पुरोहितीय जीवन को, एक खुले एवं घृणित विद्रोह में इस तरह समाप्त नहीं कर सकते, जो ख्रीस्त की दुल्हिन पर दर्दनाक घाव कर रहा है जिसकी आप अच्छी सेवा करने का दावा करते हैं। इस तरह आप ईश प्रजा के बीच विभाजन एवं भ्रम उत्पन्न कर रहे हैं।

मैं आपके आग्रह के उत्तर में यही कह सकता हूँ कि आप अपने छिपे स्थान से बाहर निकलें, अपने विद्रोह के लिए पश्चाताप करें तथा संत पापा के खिलाफ शत्रुता बढ़ाने के बजाय, उनके प्रति सम्मान की भावना को पुनः जागृत करें। आप किस तरह मिस्सा बलिदान अर्पित कर सकते हैं तथा मिस्सा के दौरान उनका नाम ले सकते हैं। आप उनका विरोध कर किस तरह रोजरी प्रार्थना कर सकते हैं, महादूत मिखाएल और ईश्वर की माता से दुहाई कर सकते हैं, जिनका संरक्षण एवं साथ हर दिन उनके भारी एवं साहसिक सेवा में है?

विभिन्न कूटनीतिक और राजनीतिक मनोभाव से आपके अनुसार, यदि पोप प्रार्थना के व्यक्ति नहीं थे, यदि वे धन से आसक्त थे, यदि वे उन धनी लोगों को प्राथमिकता देते थे जिन्होंने गरीबों की हानि की थी, यदि उन्होंने गरीबों के अथक स्वागत हेतु उत्साह का प्रदर्शन नहीं किया, उन्हें अपने वचनों और कार्यों द्वारा उदारता पूर्ण सांत्वना नहीं दिया। क्या उन्होंने कलीसिया में सभी लोगों के बीच सुसमाचार के आनन्द को बांटने और उसका प्रचार करने के लिए हर संभव प्रयास नहीं किया? क्या परिवारों, परित्यक्त बुजूर्गों और बीमारों की ओर उन्होंने हाथ नहीं बढ़ाया और सबसे बढ़कर खुशी की खोज में युवाओं की मदद नहीं की? किन्तु मैं जो उन्हें अच्छी तरह जानता हूँ आपके सवालों में उनकी सत्यनिष्ठा को नहीं डाल सकता। मैं मिशन के प्रति उनके समर्पण और सबसे बढ़कर ईश्वर की कृपा एवं पुनर्जीवित ख्रीस्त की शक्ति से जो विशिष्ठता एवं शांति उनमें है उसपर सवाल नहीं कर सकता।    

आपके अन्यायपूर्ण और अनुचित आक्रमण का उत्तर देते हुए, प्यारे विगनो, मैं इस तरह निष्कर्ष निकालता हूँ कि आपका इल्जाम एक राजनीतिक पैंतराबाज़ी मात्र है, जिसका कोई वास्तविक आधार नहीं है जो संत पापा को दोषी घोषित कर सके। मैं फिर दुहराता हूँ कि यह कलीसियाई समुदाय में गहरा घाव कर रहा है। यह ईश्वर को तभी खुश कर सकता है जब इस अन्याय में शीघ्र सुधार लाया जाए तथा संत पापा को उसी तरह पहचाना जाए जो एक महान चरवाहे, दयालु एवं दृढ़ पिता हैं। उनमें कलीसिया एवं विश्व के लिए एक नबी की शक्ति है। वे अपने मिशनरी सुधार कार्यों को उमंग एवं दृढ़तापूर्वक जारी रखें। वे रोजरी की रानी माता मरियम के साथ, ईश प्रजा की प्रार्थनाओं एवं समस्त कलीसिया की नवीकृत एकात्मता द्वारा सांत्वना प्राप्त करें।  

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मैकर्रिक मामला
10 October 2018, 17:29