कोरिया में शांति हेतु वाटिकन में ख्रीस्तयाग
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन राज्य सचिव ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए शांति के लिए प्रार्थना की तथा कहा कि विरोध एवं विपत्तियों के बिना शांति, येसु की शांति नहीं है।
ख्रीस्तयाग में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जाई इन (काथलिक) के साथ, अपनी पत्नी तथा कोरिया के विश्वासियों का दल उपस्थित थे। ख्रीस्तयाग में एक सौ पुरोहित, कुछ मिशनरी, धर्माध्यक्ष तथा परमधर्मपीठ के अनेक राजनायिक प्रतिनिधि उपस्थित थे।
वाटिकन प्रेस कार्यालय ने घोषित किया था कि कार्डिनल परोलिन 17 अक्टूबर की संध्या को ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे, जिसके दूसरे दिन राष्ट्रपति मून संत पापा फ्राँसिस से मुलाकात करेंगे।
कार्डिनल ने कहा कि वे विश्व शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, विशेषकर, कोरियाई प्रायद्वीप के लिए ताकि तनाव एवं विभाजन के कई सालों के बाद, शांति शब्द पूरी तरह गूँज सके।
शांति-विपत्तियों के बीच ईश्वर का वरदान
वाटिकन राज्य सचिव ने कहा कि शांति का निर्माण दैनिक चुनावों, न्याय एवं एकात्मता की सेवा हेतु समर्पण, मानव व्यक्ति के अधिकार एवं प्रतिष्ठा को प्रोत्साहन तथा विशेष रूप से सबसे दुर्बल लोगों की देखभाल करने के द्वारा की जाती है किन्तु जो विश्वास करते हैं उनके लिए शांति एक वरदान है जो स्वयं ईश्वर से आती है।
कार्डिनल ने कहा कि शांति एक ऐसी चीज है जिसको ठोस रूप में जीया जा सकता है, जैसा कि संत पापा फ्राँसिस बारम्बार दोहराते हैं, यह विपत्तियों के बीच की शांति है। यही कारण है कि येसु द्वारा प्रतिज्ञा की गयी शांति, दुनिया की शांति से भिन्न है।
संत पापा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया अक्सर हमें अचेत बना देती है जिसके कारण हम जीवन की दूसरी सच्चाइयों को देख नहीं पाते हैं। जीवन की दूसरी सच्चाई है क्रूस। ईश्वर द्वारा प्रदान की गयी शांति दुनिया की आशाओं के परे है। यह कोई सामान्य समझौता का फल नहीं है बल्कि एक वास्तविकता है जो जीवन के हर आयाम को शामिल करती, यहाँ तक कि पृथ्वी के रहस्यात्मक क्रूस तथा अपरिहार्य पीड़ा को भी। यही कारण है कि ख्रीस्तीय विश्वास हमें शिक्षा देती है कि क्रूस के बिना शांति येसु की शांति नहीं है।
प्रेम करने एवं शांति के निर्माण की शिक्षा
कार्डिनल परोलिन ने प्रवचन में संत पापा पौल षष्ठम की भी याद की जिन्होंने विश्व शांति दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा था, हमें सदा शांति की खोज करनी चाहिए। विश्व को प्रेम की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि इसका निर्माण एवं इसकी रक्षा की जा सके।
उन्होंने सभी को ख्रीस्त के क्रूस एवं पुनरूत्थान के रहस्यात्मक शक्ति पर विश्वास करते हुए, आज की दुनिया में शांति को सच्चा मिशन बनाने की कृपा के लिए, ईश्वर से प्रार्थना करने का आग्रह किया।
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