सिनॉड के दौरान युवाओं द्वारा कार्यक्रम सिनॉड के दौरान युवाओं द्वारा कार्यक्रम 

बुलाहट प्रयोगशाला में नहीं, समुदाय में विकसित होती

धर्माध्याक्षीय धर्मसभा के विचार मंथन में कहा गया कि युवा में बुलाहट प्रयोगशाला में नहीं समुदाय का प्रतिफल है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार,12 अक्टूबर 2018 (रेई) जब हम “कलीसिया और युवाओं” पर विचार करते हैं तो यह हमारे लिए विस्तृत लगता है क्योंकि युवा वर्तमान नहीं वरन् भविष्य में कलीसिया की आशा है। धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की आठवीं सभा जो युवाओं पर आधारित है इसी चिंतन से शुरू हुई। धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का समापन 28 अक्टूबर को होगा।

बुजूर्गों और युवाओं के बीच वार्ता

धर्मसभा के विचार मंथन में इस बात पर जोर दिया गया की बुलाहट की शुरूआत प्रयोगशाला में नहीं वरन् समुदायों में शुरू होती है। कलीसिया को आज वह स्थल बनने की जरुरत है जो सच्चा संबंध, आपसी मिलन और जीवन को अर्थ प्रदान करे। बुलाहटीय आत्मनिरिक्षण इस बात की मांग करती है कि हम युवाओं के संग अपनी नजरें मिलायें, उनके साथ संबंध स्थापित करते हुए उनके साथ चले और उनके बातें करें। केवल ऐसा करने के द्वारा ही हम युवाओं के ख्वाबों और बुजूर्गों के सपनों को नबी योएल की तरह साकार कर पायेंगे क्योंकि कलीसिया युवाओँ में अपने को देखती है और उसकी शक्ति वहाँ निहित है जहाँ वह अपने बच्चों को पुनजीवित येसु ख्रीस्त से मिला पाती है।

युवाओं को अधिकार दें

अतः हमें अपने से हट कर चिंतन करने की जरूरत हैं जिससे हम उन्हें सुनते हुए अपना सही आत्मपरीक्षण कर सकें जो मुक्ति के संदेश को युवा पीढ़ी में अकर्षक रुप में परिभाषित करेगा। वास्तव में, अभिभावकों के रुप में हमें उनके साथ एक अनुबंध में प्रवेश करने के बदले उन्हें कलीसियाई कार्यों को करने हेतु उत्तदायित्व प्रदान करने की जरूरत है, जिससे वे बड़े सपने देख सकें।

गरीबों के प्रति शिक्षा

हमारी शिक्षा का एक मुख्य बिन्दु यह है कि हम उन्हें गरीबों को प्रेम करने की शिक्षा दें। सिनॉड में  कहा गया कि यदि हम अपने आप में गरीब नहीं है तो हमारा ख्रीस्तीय जीवन सच्चा नहीं है। कलीसिया को चाहिए कि वह कमजोर युवाओं के समूह से भी वार्ता करे, जिससे कि वे भी येसु ख्रीस्त का अनुसरण कर सकें। इस संदर्भ में सिनॉड ने व्यक्तिवाद से दूर हटते हुए मानवता पर जोर दिया जो सामाजिक न्याय, मानव अधिकार का सम्मान और सुसंस्कृत जीवन का अलिगंन करने का मांग करता है।

परिवार, जीवन और बुलाहट का पालना

सिनॉड इस बात की याद दिलाती है कि हमारे परिवार, जीवन और बुलाहट के पालना है। यह परिवार ही है जहाँ कलीसिया अपने में खुशी और आशा का अनुभव करती है। बुलाहट का बीज बच्चों में तब विकसित होती है जब परिवार के माता-पिता बच्चों के साथ अपने को देते और उनके जीवन का अंग बनते हुए उसके साथ खेलते हैं। यह उचित है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ खेलें जिससे वे उन्हें उनकी बुलाहट को समझने में मदद कर सकें।

येसु का शिष्य के साथ एम्माऊस की राह

सुसमाचार की मूल्यों के संबंध में धर्माध्यक्षों ने इस बात पर चिंतन किया कि बच्चें कलीसिया का परित्याग कर दुनियावी चीजों का शिकार हो जाते हैं। यह हमसे इस बात की मांग करती है कि हमें येसु की तरह उनके साथ चलने की जरूरत है जैसे वे एम्माऊस की राह अपने चेलों के संग चले थे। हमें उनके साथ “एक होने” की जरूरत है।

मित्रतापूर्ण सहचर्य

हमें युवाओं से साथ उनके व्यवहार की टीका-टिप्पणी किये बिना खड़ा होने की जरूरत है। हमें उनके साथ रहते हुए अपना समय व्यतीत करने की जरूरत है जिससे हम उनके हृदयों को प्रज्वलित कर सकें। युवाओं को अपने मित्रों का साथ चाहिए जिससे वे अपने जीवन के अनुभवों को एक-दूसरों के साथ साझा कर सकें।

सच्ची स्वतंत्रता येसु के संग 

सिनॉड ने बात पर जोर दिया कि हम अपने को डिजिटल दुनिया से वाकिफ करें जिसे यह एक युवा के लिए येसु ख्रीस्त की ओर आने का एक साधन बन सके। वास्तव में देखा जाये तो बच्चे मशीनों, आधुनिक यंत्रों में अपने जीवन के सावलों का उत्तर खोजते हैं। वे प्रेम, आपसी समझ, संवेदना या आध्यात्मिक सलाह और कलीसिया को नहीं खोजते जो उनके जीवन के चीजों को जीवन से जोड़ने में मदद करती है। युवा अपने में सच्ची स्वतंत्रता की खोज करते हैं, वे अपने को येसु के हृदय के निकट लाने की चाह रखते जिससे वे अपने में सहज और प्रेम किये जाने की अनुभूति प्राप्त करें।

भावनात्मक पौढ़ता का महत्व

भावनात्मक रुप से अपने को मजबूत पाना मानव जीवन का एक अति महत्वपूर्ण अंग है। युवाओं को मानवीय जीवन की कामुकता पर प्रशिक्षण देना, अपने को समझने के साथ प्रेम और शुद्धता को समझते हुए, वैवाहिक जीवन में अर्थ को जानने में मदद करेगा। 

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12 October 2018, 17:02