सिनॉड ब्रीफिंग में पत्रकारों का सम्बोधित करते प्रवक्ता सिनॉड ब्रीफिंग में पत्रकारों का सम्बोधित करते प्रवक्ता  

युवाओं द्वारा बहु-सांस्कृतिक कलीसिया की मांग

युवाओं पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा जारी है। 15 अक्टूबर के प्रेस ब्रीफिंग में तीन धर्मसंघों के सर्वोच्च अधिकारी एवं चिली के एक युवा उपस्थित थे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

प्रेस ब्रीफिंग में फादर ब्रूनो कादोरे ओ.पी. दोमिनिकन के सुपीरियर जेनेरल, फादर अर्तूरो सोसा एस जे. जेस्विट सोसाईटी के सुपीरियर जेनेरल, फादर मारको कास्का ओ.एफ. एम. फ्राँसिसकन तथा चिली की सिलविया तेरेसा रेतामालेस ने पत्रकारों को सम्बोधित किया।  

सिलविया तेरेसा ने बतलाया कि सिनॉड में भाग लेना उसके लिए बड़े सौभाग्य एवं जिम्मेदारी की बात है। उन्होंने कहा कि वे यहाँ इसलिए आयी हैं ताकि उन सभी युवाओं की आवाजों को सुना सकें जो रोम आना तथा धर्माध्यक्षों से बात करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब युवाओं को मालूम हुआ कि वे सिनॉड में भाग लेने जा रही हैं तो बहुतों ने उनसे सम्पर्क किया जिनमें से कई ख्रीस्तीय नहीं थे। उन्होंने उनसे अपना संदेश ले जाने को कहा। वे बहु-सांस्कृतिक कलीसिया चाहते हैं। एक ऐसी कलीसिया जो सभी के लिए खुली हो और न्याय नहीं करती हो। ऐसी कलीसिया जो सभी को अपना घर महसूस कराये, जो येसु ख्रीस्त के संदेश को प्रतिबिम्बित करे। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं का कहना है कि कलीसिया अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव न करे, खासकर, भिन्न यौन उन्मुख एवं गरीब लोगों के साथ।

समलैंगिक युवाओं की बात रखते हुए उन्होंने कहा कि वे विश्वास करते हैं कि उन्हें भी दूसरों की तरह समान अधिकार मिलना चाहिए। वे भी कलीसिया में अपने विश्वास को जीना चाहते हैं। सिलविया ने कहा कि जो लोग समलैंगिकता को स्वीकार नहीं करते हैं वे उन्हें भेदभाव की दृष्टि से देखते हैं। कलीसिया की पहली आज्ञा है प्रेम करना अतः समलैंगिक लोगों को भी भाई-बहनों के रूप मे पहचाना जाना चाहिए, जिन्हें हमारे साथ की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सिनॉड में इसपर भी बहस हुई है।

सिलविया ने महिलाओं की बात रखते हुए कहा कि युवा चाहते हैं कि महिलाओं को भी कलीसिया में बड़ी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।  

नवीकृत मिशन के लिए अवसर

जेस्विट सोसाईटी के परमाधिकारी फादर अर्तूरो सोसा ने कहा कि कई चुनौतिया हैं जिनमें सांसारिकता का प्रभाव एवं डिजिटल दुनिया भी अवसर हो सकते हैं जिनके द्वारा कलीसिया में सुसमाचार के प्रचार को नवीकृत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को किस तरह शिक्षित किया जाए, इस पर भी विशेष ध्यान देने आवश्यकता है।

फादर सोसा ने कहा कि हमारे समय में विस्थापन तथा विस्थापितों के साथ विभिन्न देशों का व्यवहार एक बड़ा चिन्ह है। विस्थापित वे लोग हैं जो बेहतर जीवन की तलाश कर रहे हैं। विस्थापितों एवं शरणार्थियों के प्रति प्रतिक्रिया दिखलाता है कि हम कितने अमानवीय हो गये हैं। हमें समझने की आवश्यकता है कि लोग क्यों अपना देश छोड़ते हैं और क्यों भारी संख्या में लोगों को आंतरिक विस्थापन से गुजरना पड़ता है। हमें सवाल पूछने की आवश्यकता है कि क्यों लोकतंत्र कमजोर हो रहा है और राष्ट्रवाद बढ़ रहा है तथा किस तरह यह पलायन से जुड़ा है।  

जेस्विट फादर जेनेरल ने कहा कि आपातकालीन परिस्थिति में लोगों की मदद की जाती है किन्तु उन्हें शरणार्थी शिविरों में काफी समय गुजारना पड़ता है। खेद की बात यह है कि अधिकतर लोगों को अपने जीवन का आधा से अधिक समय शिविरों में बिताना पड़ता है। क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि युवाओं का क्या होता है जो शरणार्थी शिविरों में जीवन व्यतीत करते हैं। उन्होंने बतलाया कि जेस्विट समाज तकनीकी एवं डिजिटल दुनिया का प्रयोग कर शिविरों में शिक्षा देने का प्रयास कर रहा है।

सुनने को कार्य में परिणत करना

दोमिनिकन परमाधिकारी फादर ब्रूनो कादोरे ने कहा कि कलीसिया सिनॉड के द्वारा सुनना तथा उसे वार्ता में परिणत करना चाहता है। उन्होंने कहा कि सिनॉड की तैयारी सटीक और विस्तृत थी तथा युवाओं को आंतरिक एवं बाह्य रूप से सुनने का प्रयास किया गया।

फ्राँसिसकन परमाधिकारी फादर मार्को ने कहा कि उन्होंने संत फ्राँसिस असीसी पर चिंतन किया, जिन्होंने विभिन्न जीवन शैलियों को अपनाने के लिए सही चुनाव किया था। उन्होंने कहा कि कलीसिया आज यही देना चाहती है। सुनना इसके लिए प्रमुख है। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक धर्माध्यक्ष ने एक परिवार का दौरा किया। परिवार के एक युवा ने धर्माध्यक्ष से कहा कि वे झूठे हैं। तब धर्माध्यक्ष ने युवा से कहा कि झूठे नहीं होने के लिए वे उनकी मदद करें। फादर मार्को ने कहा कि सुनने का अर्थ यही है। युवा जो कहते हैं उसके लिए खुला होना। उन्होंने कहा कि सिनॉड चल रहा है ताकि एक साथ कलीसिया का निर्माण किया जा सके। कलीसिया को सुनने के बाद उसे संवाद में बदलना चाहिए ताकि कलीसिया को सही रास्ता मिल सके।      

फादर सोसा ने विश्वास किया कि द्वितीय वाटिकन महासभा ने कलीसिया के आदर्श को प्रस्तुत किया था, जिसे ठोस रूप लिया जाना था, किन्तु कुछ प्रगति करने के बाद कदम पीछे हटा लिया गया। उस आदर्श के अनुसार ईश प्रजा केंद्र में है और हमें इसी आदर्श को साकार करने की आवश्यकता है।    

फादर कदोरे ने कहा कि कलीसिया की कसौटी है कि यह परिवर्तन के लिए खुली है तथा भविष्य की ओर उन्मुख।

वाटिकन संचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. पाओलो रूफिनी ने ब्रीफिंग के दौरान स्पष्ट किया कि शनिवार 27 अक्टूबर 2018 को सिनॉड धर्माचार्य अंतिम दस्तावेज पर हर अनुच्छेद के लिए वोट करेंगे। दस्तावेज को अंतिम रूप दिये जाने हेतु हर अनुच्छेद के लिए दो तिहाई वोट की आवश्यकता है।

फादर सोसा ने कहा कि संत पापा फ्राँसिस धर्माध्यक्षीय कलीसिया को गंभीरता से ले रहे हैं ताकि परिवर्तन लाया जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए असुविधा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब है कि कुछ सही नहीं है और इसे संबोधित करने की आवश्यकता है।

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16 October 2018, 16:10