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युवाओं पर सिनॉड युवाओं पर सिनॉड 

कलीसिया द्वारा मानव व्यपार का विरोध

धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में इस बात की पुष्टि की गई कि कलीसिया अवैध आप्रवासन और तस्करी को हतोत्साहित करती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018 (रेई) युवाओं पर चल रही धर्माध्यक्षीय धर्मसभा ने गुरुवार 11 अक्टूबर को अपने वाद-विवाद और विचार मंथन के क्रम में कहा कि कलीसिया अवैध प्रवासन और मानव तस्करी को अस्वीकार करती है।

उन्होंने युवाओँ के संबंध में उनके सपनों, योग्यताओं को महत्व देने पर विचार करते हुए औद्योगिक रुप से विकसित देशों के गरीब देशों की सहायता करने की जरूरत पर बल दिया, विशेष रूप से, प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, जिससे युवा अपने मुल्क को छोड़ने के बदले अपने देश के विकास में योगदान दे सकें।  

अंतःकरण की जाँच का महत्व

सिनॉड ने पापस्वीकार संस्कार पर चिंतन करते हुए क्षमादान पर जोर दिया जो हमें सभी तरह के बोझ से मुक्ति प्रदान करता है। इस संदर्भ में धर्माध्यक्षों ने अंतःकराण की जाँच पर बल दिया जो युवाओँ को उनके जीवन में ईश्वर की प्रेमी उपस्थिति और पाप के प्रति घृणा को स्पष्ट करता है। उन्होंने कहा कि युवा हमारी कलीसिया के निर्माण में अपना सहयोग देते हैं। ईश्वर के बुलावे का उत्तर देना हमारे जीवन का चुनाव है। यह हमारे द्वारा प्रेरितिक सेवा की मांग करता है, जहाँ हम अपने जीवन द्वारा साक्ष्य हेतु बुलाये जाते हैं जिससे युवा अपने जीवन के बुलावे को पहचान सकें।

युवाओं को स्वतंत्रता की शिक्षा देना

आज युवाओं को उनकी स्वतंत्रता के बारे में शिक्षा देने की जरूरत है जिससे हम उन्हें दूसरों के द्वारा या भीड़ मानसिकता द्वारा दिग्भ्रमित होने से बचा सकें। येसु की शिक्षा के अनुसार यह सही आत्मज्ञान के बारे में कहता है जो हमें अपने में स्वतंत्र करता है। लेकिन युवाओं को स्वतंत्रता की शिक्षा देना सच्चाई की खोज करने से संबंधित है जो  शिक्षकों के सत्यभाषी होने की मांग करता है। वे हमें, अपने जीवन में उस शिक्षा को जीते हुए देखना चाहते हैं जिन्हें हम उन्हें देते हैं।

युवाओं से प्रति हमारा खुला हृदय

कलीसिया के द्वारा युवाओं को सही अर्थ में साथ देना, हमें उन्हें खुले हृदय से सुनने की माँग करता और उनके ठोस रूचि पर ध्यान देने का आहृवान करता है जिसके फलस्वरूप हम उन्हें प्रोत्साहित करते और उन्हें आशावान बने रहने में मदद करते हैं। दुनिया में हिंसा, घृणा, भ्रष्टाचार, अन्याय और युद्ध का व्याप्त होना, उनकी आत्मछवि को कमजोर बनाता और वे अपने आप कमजोर हो जाते हैं। अतः कलीसिया को चाहिए कि वह सदैव उनका स्वागत करे, उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए उन्हें उत्तरदायित्वों के प्रति निष्ठावान बनने में मदद करें।  

युवा का सहचर्य

कलीसिया अपने युवाओं का इंतजार, उड़ाव पुत्र के प्रेमी पिता के समान धैर्य़ और आशा में करती है। हम उन्हें जीवन की कठिन परिस्थित में परित्यक्त होने की अनुभूति न दिलायें, वरन उन्हें यह अभास दिलायें कि हम उनके साथ चल रहें हैं, बिना दबाव डाले उनकी सहायता करने को तैयार हैं। केवल ऐसा करने के द्वारा ही हम उन्हें सही अर्थ में मदद करते हुए उनके जीवन के सत्य को जानने में अपना सहचर्य दे पायेंगे।

युवाओं के सपनों के साथ चलना

आनंदमय एकता में बनी रहने वाली कलीसिया अपने प्रेरिताई को सुसमाचार के गुणों के अनुरूप नवीकृत बनाती है। युवाओं के प्रति पूर्वग्रह हमें उनका स्वागत करने हेतु योग्य नहीं बनाती और हम प्रेम और आदर का जीवन जीने में असफल होते हैं। अतः कलीसियाई समुदायों को सुगम, दीन, पारदर्शी और ठोस होने की जरूरत है जिससे हम युवाओं के सपनों से साथ अपने को संलग्न कर सकेंगे।

दुराचार के शिकार कलीसिया के केन्द्रबिन्दु

युवा कलीसिया से यह आशा करते हैं कि दुराचार के शिकार कलीसिया के कार्यों के केन्द्रविन्दु बनें और दुराचारी धर्माध्यक्षों को कठोर सजा मिले। धर्माध्यक्षों ने इस विषय पर चिंतन करते हुए कहा कि इस मुद्दे को जड़ से समाप्त करने हेतु हमें लोकधर्मियों और विश्वासियों की जरूरत है, विशेषकर, माताएँ पुरोहितों को करूणा प्रेम और अपने बच्चों के प्रति सुरक्षा का पाठ पढ़ा सकें।

धर्मनिरपेक्षता 

धर्माध्याक्षों ने इस बात पर भी चिंतन किया कि धर्मनिरपेक्षता वर्तमान समय की मांग है जो व्यक्ति को अपने धार्मिक कार्यों के प्रति स्वतंत्र बनाता है। धर्मनिरपेक्ष समाज अपने को किसी के ऊपर नहीं थोपता, वरन् यह विश्वास के महत्व को बल देता है। 

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12 October 2018, 17:28