खोज

2025.02.01संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत की 2025.02.01संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत की 

संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं से कहा: 'देशभक्त बनो, युद्ध को अस्वीकार करो, क्षमा करो'

संत पापा फ्राँसिस ने कीव, यूरोप और अमेरिका के विभिन्न शहरों से 250 यूक्रेनी युवाओं के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग लिया।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 3 फरवरी 2025 : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को यूक्रेनी युवाओं द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे चुनौतियों के बावजूद क्षमाशील बने रहें, क्योंकि उनका देश युद्ध से तबाह हो रहा है।

प्रेरितिक राजदूत विस्वालदास कुलबोकास और महाधर्माध्यक्ष स्वियातोस्लाव शेवचुक द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, संत पापा ने युद्धग्रस्त देश में और वहाँ से आए युवाओं के समूहों से बातचीत की और उनसे आग्रह किया कि वे "एक मुक्का का जवाब दूसरे मुक्का से दें" की प्रवृत्ति का विरोध करें। उन्होंने अपनी मातृभूमि से प्यार करने के महत्व के बारे में भी बात की, उन्होंने ओलेक्सेंडर का उदाहरण याद किया, जो एक सैनिक था जो अपनी जेब में एक छोटा सा सुसमाचार लेकर अग्रिम मोर्चे पर गया था। उन्होंने कहा, "अपने देश के लिए अपनी जान देने वाले नायकों को याद रखें।"

ऐतिहासिक मुलाकात

महाधर्माध्यक्ष शेवचुक द्वारा "संत पापा और यूक्रेनी युवाओं के बीच इतिहासिक पहली मुलाकात" के रूप में वर्णित यह सभा कीव में पुनरुत्थान महागिरजाघर में हुई। महाधर्माध्यक्ष शेवचुक ने चेतावनी दी, "अगर हवाई हमले का अलार्म बजता है, तो हमें कनेक्शन को बाधित करना होगा और भूमिगत आश्रयों में जाना होगा।" हाल ही में हुए हवाई हमले के बावजूद, युवा बिजली और इंटरनेट सेवाओं की बहाली के कारण कनेक्ट होने में सक्षम थे।

उपस्थित लोगों में खार्किव-ज़ापोरिज्जिया धर्मप्रांत के सहायक धर्माध्यक्ष जान सोबिलो, बमबारी से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र, साथ ही प्रेरितिक राजदूत विस्वलदास कुलबोकास भी थे, जिन्होंने मेहमानों को संत पापा फ्राँसिस से मिलवाया। स्क्रीन पर राजदूत को देखकर, संत पापा ने टिप्पणी की, "वे भले चंगे हैं!"

संत पापा  यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत करते हुए
संत पापा यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत करते हुए

संवाद और क्षमा

कासा सांता मार्था के हॉल में बैठे, संत पापा फ्राँसिस ने ध्यान से सुना,एक कागज़ पर नोट्स किया। सत्र की शुरुआत क्रूस के चिन्ह और प्रभु की प्रार्थना के पाठ से हुई। प्रेरितिक राजदूत ने रोमियों को लिखे संत पोलुस के पत्र से एक अंश पढ़ा: "हम ईश्वर की महिमा की आशा में घमंड करते हैं... हम अपने कष्टों पर भी घमंड करते हैं, यह जानते हुए कि कष्ट सहनशीलता पैदा करते हैं।"

इसके बाद संत पापा ने युवाओं को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया।

चर्चा से पहले तीन गवाहियाँ दी गईं। एक धर्मनिष्ठ परिवार की 17 वर्षीय लड़की ने अपने भाई की कहानी साझा की, जो एक सैनिक था और कई बार घायल हो गया था और दुश्मनों से घिरा हुआ था। उसने कहा, "रात में, मैंने रक्षक दूत से उसकी और सभी सैनिकों की रक्षा करने के लिए प्रार्थना की।" तब से युवक को रिहा कर दिया गया है।

बचपन से ही हिंसा झेलने वाली डोनेस्क की एक युवती ने न्याय की अपनी इच्छा व्यक्त की: "मैं अन्याय की भावना के साथ पैदा हुई थी, लेकिन भविष्य के लिए आशा के साथ भी। मेरा विश्वास मुझे आगे बढ़ने की शक्ति देता है।" संत पापा को संबोधित करते हुए, उसने कहा, "हम शांति चाहते हैं - एक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति जो हमें अपने घरों और सपनों में लौटने की अनुमति देगी। हमारा मानना ​​है कि अच्छाई बुराई से अधिक मजबूत है।"

खार्किव के एक 18 वर्षीय युवक ने फिर अपने शहीद साथियों के बारे में बात की: "कई लोग मर जाते हैं... दुश्मन हमारे शहरों और भविष्य में हमारे विश्वास को नष्ट करना चाहता है।" उसने 12 वर्षीय लड़की मारिया को याद किया, जो अपनी माँ के साथ खरीदारी करते समय मिसाइल हमले में मारी गई थी। "भारी दर्द के बावजूद, हम मानते हैं कि मारिया और उसकी माँ ईश्वर के साथ हैं। वे हमारे देवदूत हैं।"

संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत की
संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत की

"युद्ध हमेशा विनाश करता है"

उज़होरोड की 21 वर्षीय शिक्षिका इलियाना डोबरा ने सबसे पहले संत पापा से सवाल पूछा: "क्या अपने देश के लिए मरना उचित है? हम जीवन की रक्षा में अपने विश्वास को कैसे पोषित कर सकते हैं, जब दुनिया भर में जीवन का ही अवमूल्यन किया जा रहा है?"

संत पापा ने जवाब दिया, "आज जीवन का अवमूल्यन हो गया है। पैसे और युद्ध की स्थिति को मानव जीवन से ज़्यादा महत्व दिया जाता है।" उन्होंने एक मध्य यूरोपीय देश की यात्रा को याद किया, जहाँ उन्होंने देखा कि कई बुजुर्ग महिलाएँ और बच्चे उनका स्वागत कर रहे थे, लेकिन कोई पुरुष नहीं था - "सभी युद्ध में मारे गए थे।"

संत पापा ने ज़ोर देकर कहा, "युद्ध हमेशा विनाश करता है।" "इसका उपाय संवाद है: हमेशा, आपस में, यहाँ तक कि उन लोगों के साथ भी जो हमारा विरोध करते हैं। कृपया, संवाद से कभी न थकें। संवाद के ज़रिए शांति का निर्माण होता है। यह सच है कि कभी-कभी कुछ लोगों की ज़िद के कारण संवाद असंभव हो जाता है, लेकिन हमें हमेशा प्रयास करना चाहिए।"

वारसॉ में रहने वाली यूक्रेनी शरणार्थी अनास्तासिया ने पूछा कि दुख के बीच आस्था कैसे बनाए रखी जाए?

संत पापा ने जवाब दिया, "अपनी मातृभूमि के लिए पुरानी यादें एक ताकत होती हैं। विदेश में रहने वाले यूक्रेनियों, कृपया अपने देश के लिए अपनी लालसा न खोएं। कभी-कभी पुरानी यादें दर्दनाक होती हैं, लेकिन यह हमें आगे बढ़ने में मदद करती हैं।" स्क्रीन पर उसकी मुस्कान देखकर उन्होंने कहा, "अपनी मातृभूमि के बारे में सोचो और उसके लिए मुस्कुराओ।"

"युद्ध अकाल और मौत लाता है"

27 वर्षीय जूलिया ने अपने शहरों को मलबे में तब्दील होते देख युवाओं की निराशा व्यक्त की: "हमारे लोगों के खिलाफ नरसंहार हो रहा है। हम इस सब में शांति कैसे देख सकते हैं?"

संत पापा फ्राँसिस ने युद्ध के विनाशकारी परिणामों की निंदा करते हुए कहा: "युद्ध अकाल लाता है। हर शाम, मैं गाजा की एक पल्ली को फोन करता हूँ, और वे मुझे बताते हैं कि वे अक्सर भूखे रहते हैं। युद्ध न केवल अकाल का कारण बनता है - यह मारता भी है।"

एक छलावरण कवर के साथ जेब के आकार का सुसमाचार पकड़े हुए,संत  पापा ने युवा यूक्रेनी सैनिक ओलेक्सेंडर को याद किया, जिसने अपनी मृत्यु से पहले इस सुसमाचार को अग्रिम पंक्ति में पहुंचाया था। उन्होंने भजन 129 को रेखांकित किया था: "हे प्रभु, मैं गहराई से आपकी दुहाई देता हूँ; हे प्रभु, मेरी आवाज सुनो।"

संत पापा ने कहा, "ओलेक्सेंडर आप में से एक है।" सैनिक की माला को हाथ में उठाते हुए उन्होंने कहा: "मेरे लिए, यह एक ऐसे युवक की निशानी है जिसने शांति के लिए अपनी जान दे दी। मैं इसे अपनी मेज़ पर रखता हूँ और रोज़ाना इसे हाथ में लेकर प्रार्थना करता हूँ। हमें अपने उन नायकों को याद रखना चाहिए जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा की। यूक्रेनी लोग पीड़ित हैं। आइए हम अपनी आँखें खोलें और देखें कि युद्ध क्या करता है!

संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत की
संत पापा ने यूक्रेनी युवाओं के साथ बातचीत की

देशभक्ति और स्मृति का आह्वान

युवाओं को हमेशा अपनी जेब में सुसमाचार रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, संत पापा ने युवाओं को आमंत्रित किया, "हर दिन एक छोटा सा अंश पढ़ें। यह जीवन देता है!" उन्होंने उनसे देशभक्त बनने का आह्वान किया: "हर युवा का एक मिशन होता है। मुश्किल समय में, युवाओं को 'मातृभूमि की भावना' को आगे बढ़ाना चाहिए। आपकी मातृभूमि युद्ध से घायल है, लेकिन उससे प्यार करें। अपनी मातृभूमि से प्यार करना बहुत अच्छी बात है।"

उन्होंने उनसे सपने देखने का भी आग्रह किया: "जो युवा सपने नहीं देख सकता, वह बूढ़ा हो गया है।" एक विशेष अपील में, उन्होंने उनसे अपने दादा-दादी को न भूलने के लिए कहा, क्योंकि वे स्मृति के संरक्षक हैं।

शिकागो की 35 वर्षीय तातियाना ने उन बच्चों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला, जो "आज के हेरोदेस" से भाग गए हैं। उसने पूछा, "जब युद्ध हमारे दिलों में गहरे घाव छोड़ देता है, तो हम कैसे क्षमा कर सकते हैं और बच्चों को क्षमा करना सिखा सकते हैं?"

संत पापा फ्राँसिस ने चुनौती को स्वीकार किया: "क्षमा करना सबसे कठिन चीजों में से एक है। यह सभी के लिए कठिन है, यहाँ तक कि मेरे लिए भी।" उन्होंने आगे कहा, "लेकिन मुझे इस विचार से मदद मिलती है: मुझे उसी तरह क्षमा करना चाहिए जैसे मुझे क्षमा किया गया है। हममें से प्रत्येक को यह याद रखना चाहिए कि हमें कैसे क्षमा किया गया है। क्षमा करने की कला आसान नहीं है, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए और हमेशा क्षमा करना चाहिए।"

प्रोत्साहन के शब्द

संत पापा ने दृढ़ता के संदेश के साथ अपना संबोधन को विराम दिया: "हम सभी ने गलतियाँ की हैं, लेकिन जब कोई गिरता है, तो उसे वापस उठना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। डरो मत! जोखिम उठाओ, और अगर तुम गिरते हो, तो नीचे गिरे मत रहो।"

यूक्रेनी भजन के गायन के बाद और अपना आशीर्वाद देने से पहले, संत पापा फ्राँसिस ने एक आखिरी अनुरोध किया: "कृपया, ओलेक्सेंडर जैसे अपने युवा नायकों को मत भूलना - जिन्होंने अपने देश के लिए अपना जीवन दिया है।" "संत पापा अमर रहें" की तालियों और जयकारों के बीच, कार्यक्रम समाप्त हुआ।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

03 फ़रवरी 2025, 15:57