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संत पापा: समर्पित जीवन समाज को सुसमाचारी सलाहों का ‘प्रकाश’ प्रदान करता है

समर्पित जीवन के लिए विश्व दिवस के पूर्व संध्या, संत पापा फ्राँसिस ने समर्पित पुरुषों और महिलाओं के साथ संध्या प्रार्थना का पाठ किया और उनसे आग्रह किया कि वे एक-दूसरे और पवित्र यूखारिस्त में प्रभु से मुलाकात करें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 3 फरवरी 2025 : शनिवार शाम को संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में हजारों समर्पित पुरुषों और महिलाओं के साथ प्रथम संध्या प्रार्थना की।

रविवार को, कलीसिया समर्पित जीवन के लिए 29वां विश्व दिवस मनाया, जो हर साल प्रभु की मंदिर में समर्पण के पर्व पर होता है।

शाम की प्रार्थना में अपने प्रवचन में, संत पापा ने कहा कि इस वर्ष का कार्यक्रम आशा की जयंती के दौरान और समर्पित जीवन की जयंती की तैयारी के लिए आयोजित किया जा रहा है, जिसे 8-12 अक्टूबर, 2025 को दुनिया भर में मनाया जाएगा।

दुनिया भर के काथलिकों को रविवार को धर्मसंघी पुरोहितों और धर्मबहनों के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित किया गया। काथलिकों ने प्रभु द्वारा समर्पित जीवन के लिए बुलाए जाने के उपहार के लिए प्रार्थना की।

संत पापा फ्राँसिस ने अपने विचारों को तीन सुसमाचारी सलाहों पर केंद्रित किया: गरीबी, शुद्धता और आज्ञाकारिता।

उन्होंने कहा कि गरीबी का व्रत धर्मसंघियों को सांसारिक चीजों के लगाव से मुक्त करती है, ताकि वे दूसरों के लिए आशीर्वाद बन सकें।संत पापा ने कहा, "वे प्रेम के क्रम में उन चीजों की अच्छाई को प्रकट करते हैं," "हर उस चीज को अस्वीकार करते हैं जो उनकी सुंदरता को अस्पष्ट कर सकती है - स्वार्थ, लालच, निर्भरता, मृत्यु और विनाश के उद्देश्य से हिंसक उपयोग और दुरुपयोग - और इसके बजाय उन सभी चीजों को अपनाते हैं जो उस सुंदरता को उजागर कर सकती हैं: सादगी, उदारता, साझा करना और एकजुटता।"

प्रभु के समर्पण के पर्व के लिए संध्या प्रार्थना समारोह
प्रभु के समर्पण के पर्व के लिए संध्या प्रार्थना समारोह

खुशहाल रिश्तों से स्वार्थ पर विजय

संत पापा ने धर्मसंघियों की प्रशंसा की, क्योंकि वे "अपनी पवित्रता का प्रकाश" धारण करते हैं, जिसका मूल त्रित्व परमेश्वर और तीन दिव्य व्यक्तियों के बीच प्रेम में है।

उन्होंने कहा कि वैवाहिक प्रेम का त्याग करके, धर्मसंघी दुनिया को ईश्वर के प्रेम की प्रधानता के बारे में बताते हैं, जो सभी मानवीय प्रेम का स्रोत और आदर्श है। उनका उदाहरण सतही रिश्तों और स्वार्थी भावुकता की प्रवृत्ति को पलट देता है, जो दूसरों को अपने क्षणभंगुर आनंद के लिए इस्तेमाल करना चाहता है।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि धर्मसंघी, बिना किसी दबाव के सभी को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने की इच्छा में ईश्वर के प्रेम का श्रोत बन जाते हैं।

उन्होंने कहा, "इस तरह के परिपक्व और आनंदमय संबंधों में सक्षम धर्मबहनों और पुरोहितों से मिलना आत्मा के लिए कितना अच्छा है!" उन्होंने कहा कि धार्मिक समुदायों को निरंतर निर्माण के माध्यम से अपने सदस्यों के आध्यात्मिक और भावनात्मक विकास के लिए प्रावधान करना चाहिए, ताकि उनकी पवित्रता असंतोष की अस्वस्थ अभिव्यक्तियों के बिना आत्म-त्याग करने वाले प्रेम को पूरी तरह से प्रकट कर सके।

संत पापाः दूसरों के लिए ज्योति बनें

आपसी विश्वास द्वारा अकेलेपन को दूर करना

इसके बाद संत पापा फ्राँसिस ने आज्ञाकारिता के उदाहरण के बारे में बात की, जिसे धर्मसंघी “आपसी विश्वास द्वारा प्रेरित जिम्मेदारी की गहरी भावना” में अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि जब ईश्वर के वचन के प्रकाश में जीवन जिया जाता है, तो आज्ञाकारिता प्रेम की प्रतिक्रिया और समाज के लिए एक भविष्यवाणी संकेत बन जाती है। शब्दों और छवियों की बाढ़ के बजाय, आज्ञाकारिता की सुसमाचारी सलाह एकाकी व्यक्तिवाद के लिए एक मारक के रूप में कार्य करती है, क्योंकि यह सक्रिय सुनने को बढ़ावा देती है।

उन्होंने कहा, “केवल इस तरह से,” एक व्यक्ति उपहार के आनंद का पूरी तरह से अनुभव कर सकता है, अकेलेपन पर काबू पा सकता है और ईश्वर की महान योजना में अपने अस्तित्व के अर्थ की खोज कर सकता है।”

धन्य संस्कार में निरंतर नवीनीकरण

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसंघियों को मूल की ओर लौटने और पवित्र युखरिस्त में नवीनीकरण खोजने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि प्रार्थना और आत्म-बलिदान में, आइए हम अपने संस्थापकों के साथ दोहराएं: "देखिए... मैं आपकी इच्छा पूरी करने आया हूँ, हे ईश्वर।"

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03 फ़रवरी 2025, 16:17