संत पापाः ईश्वर ने हमें कौन-सा विशेष कार्य सौंपा है
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांँसिस ने जयंती वर्ष हेतु विशेष आमदर्शन समारोह के लिए संत पापा पौल षष्ठम सभागार में एकत्रित विश्व से आये हुए आशा के तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो।
जयंती लोगों और पृथ्वी के लिए एक नयी शुरूआत है, यह एक ऐसा समय है जहाँ हम सारी चीजों को ईश्वर की दृष्टि से नये रुप में देखते हैं। और जानते हैं कि “मन-फिराव” शब्द हमारे लिए परिवर्तन की ओर इंगित करता है। सारी चीजें इस भांति एक नये दृष्टिकोण से देखी जा सकती हैं और हमारे कदम भी नये लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं। आशा की उत्पत्ति ऐसे ही होती है जो हमें कभी निराश नहीं करती। धर्मग्रंथ बाईबल हमें इसे विभिन्न रूपों में व्यक्त करता है। और हमारे लिए भी, विश्वास की अनुभूति लोगों से मिलन में होती है जो लोगों के जीवन में परिवर्तन लाती और उन्हें ईश्वर के सपने में प्रवेश करने हेतु मदद करती है, इसके बावजूद की दुनिया में बहुत सारी बुराइयों हैं, हम उनकी भिन्नता में अंतर स्पष्ट कर सकते हैं, उनकी महानता जो बहुधा छोटेपन में प्रकट होती है, जो हममें प्रभावित करती है।
मरिया मगदलेना को नई दिशा
संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में हम मरिया मगदलेना की छवि को पाते हैं जो दूसरों की अपेक्षा अपने में अगल है। प्रिय भाइयो एवं बहनो, “करूणा हमारी लिए चंगा लाती हैं, यह मरिया मगदलेना के जीवन को बदल देता है, करूणा में वह ईश्वर के सपने से संयुक्त होती और उसे एक नयी दिशा प्राप्त होती है।”
येसु की पुकार को सुनें
संत योहन का सुसमाचार हमारे लिए पुनर्जीवित येसु से उसके मिलन का जिक्र करता है जो हमें चिंतन हेतु प्रेरित करता है। सुसमाचार लेखक उचित शब्दों का चयन करते हैं। आंखों में आंसू, मरियम पहले कब्र के अंदर देखती है, तब वह मुड़ती है- जीवित को हम मृतकों में नहीं बल्कि जीवन में पाते हैं। हम उस व्यक्ति के प्रति गलतफहमी में हो सकते हैं जिसे हम रोज दिन के जीवन में मिलते हैं। जब उसके नाम को पुकारा जाता है, सुसमाचार हमें बतलाता है तो मरियम पुनः मुड़कर देखती है। और इस भांति इसमें आशा का उदय होता है, अब वह कब्र को देखती लेकिन यह पहले की भांति नहीं होता है। वह अपने आंसू पोंछती है क्योंकि उसने अपने नाम को सुना है, केवल स्वामी इस भांति हमारे नाम को पुकारते हैं। पुरानी बातें वहाँ उपस्थिति जानं पड़ती है लेकिन वे वहाँ नहीं हैं। “जब हम पवित्र आत्मा की प्रेरणा को सुनते और येसु की पुकार को सुनते जो हमें नाम लेकर बुलाते है तो हम उनकी आवाज को पहचानता सीखते हैं।”
परिवर्तन का निमंत्रण
प्रिय भाइयो एवं बहनो, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि मरिया मगदलेना से जिसे परांपरा “प्रेरितों की प्रेरित” पुकारती है, हम आशा के बारे में सीखते हैं। हम नयी दुनिया में एक से अधिक बार परिवर्तन के माध्यम प्रवेश करते हैं। हमारी यात्रा निरंतर अपने दृष्टिकोण में एक परिवर्तन लाने का निमंत्रण है। पुनर्जीवित येसु हमें कदम दर कदम अपनी दुनिया में ले चलते हैं, यह इस शर्त पर होता है कि हम अपने में यह नहीं सोचते कि हम सारी चीजों को पहले से ही जानते हैं।
हम अपने में पूछें, क्या हम पीछे मुड़कर चीजों को अलग निगाहों से देखना जानते हैं? क्या हममें परिवर्तन की चाह है?
हमें कौन-सा काम मिला है?
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि अधिक विश्वास और घमंड में हमारा अहम हमें पुनर्जीवित येसु को पहचानने में बाधक बनता है। वास्तव में आज भी उनकी उपस्थिति को हम साधारण लोगों में पाते हैं जिन्हें हम पीछे छोड़ देते हैं। अपनी निराशा और आंसूओं में हम उन्हें छोड़ देते हैं। अतीत के अंधेरे में, एक खाली कब्र में देखने के बदले, हम मरिया मगदलेना से जीवन की ओर मुड़ना सीखें। वहाँ स्वामी हमारी प्रतीक्षा करते हैं। वहाँ वे हमारा नाम पुकारते हैं। क्योंकि सच्चे जीवन में हमारे लिए एक स्थान है। वहाँ हममें हर किसी के लिए एक जगह है। उसे कोई नहीं ले सकता है, क्योंकि यह सदैव हमारे लिए बनाया गया है। हममें हर एक जन यह कह सकता है-मेरे लिए एक स्थान है, मैं एक प्रेरिताई हूँ। हम इस बात पर विचार करें, “हमारा स्थान कहाँ है? मुझे ईश्वर कौन-सी प्रेरिताई प्रदान करते हैं? ये विचार हमें साहस के साथ जीवन में आगे बढ़ने हेतु मदद करे।
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