पोप ने माता-पिता के अपने बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक शिक्षित करने के अधिकार की पुष्टि की
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार, 11 नवंबर 2023 (रेई) : शनिवार को यूरोपीय अभिभावक संघ के सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा, “माता-पिता बनना जीवन का एक सबसे बड़ा आनन्द है,” जो उनके लिए नई ऊर्जा, गति और उत्साह लाता है।
हालांकि उन्होंने गौर किया कि माता पिता को कई जिम्मेदारियाँ भी निभानी पड़ती है, जैसे- बच्चों की प्यार से देखभाल करना, उन्हें परिपक्वता और स्वतंत्रता की ओर बढ़ने में मदद करना; उनके व्यक्तित्व और क्षमता के विकास में सहयोग देना, उन्हें अच्छी आदतें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद करना आदि।
बच्चों को स्कूल के वातावरण ढलने, सकारात्मक विकास करने एवं यौन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करना, साथ ही उन्हें बदमाशी, शराब, तंबाकू का उपयोग, अश्लील साहित्य, हिंसक वीडियो गेम, जुआ, ड्रग्स आदि जैसे खतरों से भी बचाना।
"स्वस्थ समाज" के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान
पोप ने कहा, "यह मिशन तब सफल कहा जा सकता है जब बच्चों को जीवन की सुंदरता का एहसास होता है" और वे "जीवन के साहसिक कार्य पर जाने की संभावना के बारे में आश्वस्त और उत्साहित होते हैं", जो कि "गहन अहसास को दर्शाता है" हमारे प्रति ईश्वर के अपार प्रेम को।”
दरअसल, "जब हमें एहसास होता है कि हमारे अस्तित्व के मूल में हमारे पिता ईश्वर का बेशर्त प्यार है, तो हम स्पष्ट रूप से देखते हैं कि जीवन अच्छा है, जन्म लेना अच्छा है और प्यार करना अच्छा है।"
"यह माता-पिता का उच्च शैक्षिक मिशन है: स्वतंत्र और उदार व्यक्तियों का निर्माण करना है जो ईश्वर के प्रेम को जान गए हैं, और जिसको उन्होंने स्वयं उपहार के रूप में प्राप्त किया है उसे दूसरों को मुक्त रूप से प्रदान करना।"
ये भी "स्वस्थ समाज" की नींव हैं। इसलिए मूल्यों को प्रसारित करने में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिससे "ठोस नागरिक बनते हैं, जो कार्यस्थल, नागरिक मामलों और सामाजिक एकजुटता में योगदान देने में सक्षम होते हैं": "बच्चे का पालन-पोषण समाज में वास्तविक योगदान का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि इसका मतलब है एक युवा व्यक्ति को अच्छाई में विकसित करना" और दूसरों के साथ सम्मानजनक रिश्ते, साझा लक्ष्य, जिम्मेदारी, कर्तव्य की भावना और आम भलाई के लिए बलिदान के मूल्य को ध्यान में रखते हुए सहयोग करने की तत्परता है।
"इसके अभाव में", पोप फ्राँसिस ने टिप्पणी की, "बच्चे 'टापू' के रूप में बड़े होते हैं, दूसरों से अलग हो जाते हैं, एक सामान्य दृष्टिकोण में असमर्थ होते हैं, और अपनी इच्छाओं को पूर्ण मूल्यों के रूप में मानने के आदी हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, समाज 'विघटित' हो जाता है, दरिद्र हो जाता है और उत्तरोत्तर कमजोर तथा अमानवीय होता जाता है।'
माता-पिता को उनके काम में समर्थन देने की कलीसिया की प्रतिबद्धता
अपने विश्वासों और मूल्यों के अनुरूप अपने बच्चों को पालने और शिक्षित करने के माता-पिता के अधिकार की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पोप फ्राँसिस ने परिवारों को उनके काम में साथ देने और समर्थन करने की कलीसिया की प्रतिबद्धता और इसमें शामिल सभी संस्थानों के साथ घनिष्ठ सहयोग के महत्व को दोहराया।
इस संबंध में, उन्होंने "शिक्षा पर वैश्विक समझौता" को याद किया, जिसे उन्होंने 2019 में सभी संस्थानों की ओर से साझा प्रतिबद्धता को मजबूत करने हेतु जारी किया था, जो युवाओं और "परिवार पर समझौता" से संबंधित है तथा उसके विभिन्न रिश्तों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सांस्कृतिक, शैक्षणिक, संस्थागत और प्रेरितिक कार्यकर्ताओं के साथ कार्य करता है।
शिक्षा और परिवार पर वैश्विक समझौते
पोप ने समझाया कि इन पहलों का इरादा कई 'रूकावटों' को दूर करना है जो वर्तमान में शिक्षा की दुनिया को कमजोर कर रहे हैं: शिक्षा और उत्कृष्टता के बीच की बाधा, पारस्परिक संबंधों के बीच रूकावट, और वे बाधाएँ जो परिवार को समाज से दूर करती है, असमानताएँ और गरीबी के नए रूप पैदा करते हैं।”
अपने संबोधन को समाप्त करते हुए, पोप फ्राँसिस ने यूरोपीय माता-पिता संघ को अपनी प्रतिबद्धता में "आशा के साथ आगे बढ़ने" के लिए प्रोत्साहित किया, तथा "पवित्र माता-पिता, मरियम और जोसेफ के सुसमाचारी साक्ष्य से निरंतर प्रेरणा और समर्थन प्राप्त करने की सलाह दी।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here