संत पापा फ्राँसिस: 'मार्सिले का स्वागत यूरोप के लिए एक संदेश है'
वाटिकन न्यूज
विमान, सोमवार 25 सितंबर 2023 (वाटिकन न्यूज, रेई) : संत पापा फ्राँसिस मार्सिले की अपनी दो दिवसीय प्रेरितिक यात्रा की समाप्ति के बाद शनिवार शाम को रोम लौट आए। संत पापा ने विमान में सवार पत्रकारों के साथ अपनी पारंपरिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उनके प्रश्नों का जवाब दिया।
विमान में वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक मत्तेओ ब्रूनी ने संत पापा फ्राँसिस का स्वागत किया और पत्रकारों के प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया।
संत पापा ने विमान में उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन किया। संत पापा ने कहा, “आज मुझे लगता है कि यह रॉबर्टो बेलिनो [संचार विभाग के साउंड इंजीनियर] की अंतिम उड़ान है, क्योंकि वs सेवानिवृत्त हो रहे हैं। आपका धन्यवाद! दूसरी बात यह है कि आज रिनो का जन्मदिन है, अनास्तासियो रिनो [संत पापा की प्रेरितिक यात्राओं के आईटीए एयरवेज समन्वयक] बधाईयाँ। अब आप अपने प्रश्न पूछ सकते हैं।”
फ्रांस टीवी की राफेल शापिरा की ओर से पहला प्रश्नः “आपने उदासीनता की निंदा करते हुए लम्पेदूसा में अपना परमधर्मपीठीय कार्य प्रारंभ किया। दस साल बाद आप यूरोप से एकजुटता दिखाने के लिए कह रहे हैं। आप दस साल से एक ही संदेश दोहरा रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि आप असफल हो गए हैं?”
संत पापा ने कहा, “मैं नहीं कहूंगा। मैं कहूंगा कि विकास धीमा रहा है। आज पलायन की समस्या के प्रति जागरूकता आई है और साथ ही, इस बात की चेतना भी है कि यह कैसे एक बिंदु पर पहुंच गया है... गर्म आलू की तरह जिसे आप नहीं जानते कि इसे कैसे संभालना है।”
संत पापा ने एंजेला मर्केल की बात को याद किया जिसने एक बार कहा था कि इसका समाधान अफ़्रीका में जाकर और अफ़्रीका में इसे सुलझाकर, अफ़्रीकी लोगों के स्तर को ऊपर उठाकर किया जा सकता है। संत पापा ने एक लड़के महमूद का उदाहरण देते हुए कहा कि वह यूरोप की यात्रा के दौरान कठिनाईयों से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। उसने यातनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सका... और अंत में उसने खुद को फांसी लगा ली। संत पापा ने कहा कि बहुत से लोग जो आते हैं, मानव तस्करों के हाथों पड़ जाते हैं। उन्हें पहले बेच दिया जाता है। फिर वे उनके पैसे छीन लेते हैं। फिर वे अपने परिवार को फोन पर और पैसे भेजने के लिए कहते हैं। लेकिन वे गरीब लोग हैं। यह एक भयानक जीवन है। लेकिन ऐसे भी मामले सामने आए हैं जो बहुत बुरे हैं, जहां पिंग पोंग की तरह प्रवासियों को वापस भेज दिया गया है। कई बार उन्हें जेल में रखा जाता है और वे पहले से भी बदतर हो जाते हैं।
संत पापा ने कहा, “इसीलिए मैं दोहराता हूँ कि सैद्धांतिक रूप से प्रवासियों का स्वागत किया जाना चाहिए, साथ दिया जाना चाहिए, बढ़ावा दिया जाना चाहिए और एकीकृत किया जाना चाहिए। यदि आप उसे अपने देश में एकीकृत नहीं कर सकते, तो साथ दें और उन्हें दूसरे देशों में एकीकृत करें, लेकिन उन्हें इन क्रूर मानव-तस्करों के हाथों में न छोड़ें।”
संत पापा ने कहा कि लम्पेदूसा में हालात बेहतर हो गए हैं। अधिक जागरूकता है। संत पापा ने अपनी पहली लम्पेदूसा की यात्रा को याद करते हुए कहा कि वहां उसके अनुवादक ने सब कुछ वास्तविक परिस्थिति को नहीं बताया। उन्होंने स्थिति को मधुर बनाया था।
संत पापा ने कहा, “वहाँ जागरूकता आई है। आज अधिक चेतना है। इसलिए नहीं कि मैंने कहा, बल्कि इसलिए कि लोग समस्या के प्रति जागरूक हो गए हैं। बहुत सारे लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं। यह मेरी पहली यात्रा थी:”
“मैं एक बात और कहना चाहता हूँ। मुझे यह भी नहीं पता था कि लम्पेदूसा कहाँ है, लेकिन मैंने कहानियाँ सुनीं: मैंने कुछ पढ़ा, और प्रार्थना में मैंने सुना "आपको अवश्य जाना चाहिए" जैसे कि प्रभु मुझे मेरी पहली यात्रा पर वहाँ भेज रहे थे।”
एजेंसी फ़्रांस-प्रेसे (एएफपी) क्लेमेंट मेल्की की ओर से दूसरा प्रश्नः इच्छामृत्यु पर अपनी असहमति व्यक्त करने के बाद आज सुबह आप इमैनुएल मैक्रॉन से मिले। फ़्रांस सरकार एक विवादास्पद जीवन समाप्ति क़ानून पारित करने की तैयारी कर रही है। आपने फ्रांसीसी राष्ट्रपति को इस बारे में क्या बताया और क्या आपको लगता है कि आप उनका मन बदल सकते है?
संत पापा ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर बात नहीं की, लेकिन जब वे उनसे मिलने वाटिकन आए थे तो संत पापा ने स्पष्ट रूप से इस बारे में स्पष्ट रूप से कहा था : जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए, न तो शुरुआत में और न ही अंत में। हम जीवन से नहीं खेल सकते। यह मेरी राय है: जीवन की रक्षा की जाए। क्योंकि तब हम मानवतावादी इच्छामृत्यु की "कोई दर्द नहीं" की नीति अपनाते हैं।
इस मुद्दे पर संत पापा ने [रॉबर्ट ह्यू] बेन्सन द्वारा 1907 में लिखी गई “लॉर्ड ऑफ द वर्ल्ड” नामक एक उपन्यास पढ़ने के लिए प्रेरित किया।संत पापा ने कहा, “यह एक सर्वनाशी उपन्यास है जो दिखाता है कि अंत में चीजें कैसी होंगी। सारे मतभेद दूर हो जाते हैं, सारे दर्द भी। इच्छामृत्यु इन चीजों में से एक है - एक सौम्य मृत्यु, जन्म से पहले चयन। यह हमें दिखाता है कि कैसे इस आदमी ने कुछ मौजूदा संघर्षों का पूर्वानुमान लगा लिया था।”
संत पापा ने कहा, “आज हमें उन वैचारिक उपनिवेशों से सावधान रहना चाहिए जो मानव जीवन को बर्बाद करते हैं और मानव जीवन के विरुद्ध जाते हैं। उदाहरण के लिए, आज, दादा-दादी को दरकिनार किया जाता है और दादा दादियों और पोते-पोतियों के साथ बातचीत को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। 'वे बूढ़े हो गए हैं इसलिए वे किसी काम के नहीं हैं।' हम जिंदगी से नहीं खेल सकते।”
एबीसी के जेवियर मार्टिनेज-ब्रोकल द्वारा तीसरा प्रश्नः आपने आखिरी तक यूक्रेन के बारे में बात की थी और कार्डिनल ज़ुप्पी अभी बीजिंग पहुंचे हैं। क्या इस मिशन में कोई प्रगति हुई है? कम से कम बच्चों की वापसी के मानवीय मुद्दे पर? फिर थोड़ा कठोर प्रश्न: आप व्यक्तिगत रूप से इस तथ्य को कैसे अनुभव करते हैं कि यह मिशन अब तक कोई ठोस परिणाम प्राप्त करने में सफल नहीं हुआ है। क्या आपको निराशा महसूस होती है?
“यह सच है, कुछ निराशा महसूस होती है, क्योंकि राज्य सचिवालय इसकी मदद के लिए सब कुछ कर रहा है और यहां तक कि "ज़ुप्पी मिशन" भी वहां गया है। बच्चों की वापसी की प्रक्रिया में प्रगति है, लेकिन युद्ध मुझे यह सोचने पर मजबूर करता है कि यह न केवल रूसी/यूक्रेनी समस्या से, बल्कि हथियारों की बिक्री, हथियारों के व्यापार से भी कुछ हद तक प्रभावित है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने कुछ महीने पहले कहा था कि आज जो निवेश सबसे अधिक आय प्रदान करते हैं वे हथियार कारखाने हैं, [जो] निश्चित रूप से मौत के कारखाने हैं!”
संत पापा ने कहा कि यूक्रेनी लोग शहीद लोग हैं, उनका एक बहुत ही शहीद इतिहास है, एक ऐसा इतिहास जो उन्हें कष्ट देता है। यह पहली बार नहीं है: स्टालिन के समय, उन्हें बहुत कष्ट सहना पड़ा। वे शहीद लोग हैं, लेकिन हमें इन लोगों की शहादत से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। हमें यथासंभव यथार्थवादी तरीके से चीजों को सुलझाने में उनकी मदद करनी होगी।
अंत में संत पापा ने सभी पत्रकारों को उनके कामों के लिए धन्यवाद दिया।
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