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मार्सिले में भूमध्यसागरीय सभा के प्रतिभागियों और अधिकारियों के साथ पोप फ्राँसिस मार्सिले में भूमध्यसागरीय सभा के प्रतिभागियों और अधिकारियों के साथ पोप फ्राँसिस  (ANSA)

मार्सिले में पोप : भूमध्यसागर को विश्व में शांति की प्रयोगशाला बनाएँ

पोप फ्राँसिस ने भूमध्यसागरीय सभा के प्रतिभागियों और अधिकारियों को, भूमध्यसागरीय क्षेत्र को दुनिया के सभी देशों के बीच शांति की शुरुआत करने और नींव बनाने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, मार्सिले में भूमध्यसागरीय बैठक का समापन किया।

वाटिकन न्यूज

मार्सिले, शनिवार, 23 सितंबर 2023 (रेई) : शनिवार को मार्सिले के फारो भवन में आयोजित, सप्ताह भर की सभा के समापन सत्र में संत पापा ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए जोर दिया कि भूमध्यसागर दुनिया का एक दर्पण है और अपने अंदर भाईचारा के वैश्विक बुलाहट को धारण करता है, जो संघर्ष से ऊपर उठने का एकमात्र रास्ता है।

सात दिनों तक भूमध्यसागर के पांच तटों की कलीसियाओं के 120 से अधिक प्रतिनिधियों और युवाओं ने क्षेत्र की वर्तमान राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों को साझा किया, साथ ही वर्तमान प्रवासन संकट पर विशेष ध्यान देते हुए भविष्य के लिए अपनी उम्मीदों को भी सामने रखा।

मार्सिले के विशिष्ट महानगरीय चरित्र, "लोगों के ज्वार" को याद करते हुए, जिसने "इस शहर को अपनी महान बहु-जातीय और बहु-सांस्कृतिक परंपरा के साथ आशा की पच्चीकारी बना दिया है", भूमध्यसागर की कई सभ्यताओं पर चिंतन करते हुए, पोप फ्रांसिस ने दक्षिणी फ्रांसीसी शहर की विशेषता बतानेवाले तीन पहलुओं पर प्रकाश डाला : समुद्र, बंदरगाह और प्रकाशस्तंभ।

मार्सिले की यात्रा
मार्सिले की यात्रा

भूमध्यसागर शांति की शुरूआत और आधार

उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र के बारे में हम आज बहुत सुनते हैं, उसमें विभिन्न सभ्यताओं, धर्मों और दृष्टिकोणों के बीच अंतर्संबंध के कारण हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि रोमी जिसे “हमारा सागर” कहते थे, वह सदियों से "एक मिलन स्थान" रहा है: इब्राहीम से जुड़े धर्मों (ईसाई, यहूदी, मुस्लिम) के बीच ; ग्रीक, लैटिन और अरबी विचारों के बीच; विज्ञान, दर्शन और कानून के बीच; और कई अन्य वास्तविकताओं के बीच।”

संत पापा ने कहा, फ्लोरेंस के पूर्व महापौर जॉर्जो ला पीरा (जिन्होंने भूमध्यसागर की सभा के लिए प्रेरित किया) के अनुसार भूमध्यसागर दुनिया के सभी राष्ट्रों के बीच शांति की शुरूआत और आधार है। यह गलीलिया सागर के रूप में लोगों, विश्वासों और परंपराओं का एक संकेंद्रण है, जहां येसु ने धन्यताओं की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा, “उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के चौराहे, हमें विविधताओं में सह-अस्तित्व के साथ संघर्षों की विभाजनकारीता का विरोध करने का आग्रह करते हैं" और साथ ही जलवायु परिवर्तन सहित आज "पूरी दुनिया की चुनौतियों को एक साथ लाते हैं।"

“आज के संघर्षों के सागर में, हम यहाँ भूमध्यसागर के योगदान को बढ़ावा देने आये हैं ताकि यह वापस शांति की प्रयोगशाला बन सके। क्योंकि इसकी बुलाहट है, एक ऐसा स्थान बनना, जहाँ विभिन्न देश और लोग मानवता के आधार पर एक-दूसरे से मिल सकें, न कि विपरीत विचारधाराओं के साथ।”

पोप फ्राँसिस की मार्सिले यात्रा
पोप फ्राँसिस की मार्सिले यात्रा

गरीबों की पुकार सुनना

संत पापा ने कहा कि आज संघर्ष के सागर के बीच, भूमध्यसागर को दुनिया में शांति की प्रयोगशाला बनने की ओर लौटने हेतु गरीबों की पुकार सुनना है जैसा कि येसु ने गलीलिया सागर के तट पर किया, हमें भी सबसे कमजोर व्यक्ति के मौन रूदन को सुनना है, जो आंकड़े नहीं बल्कि चेहरे और व्यक्ति हैं।

“हमारे समुदायों में दिशा का परिवर्तन गरीबों को भाइयों और बहनों के रूप में मानने में निहित है जिनकी कहानियाँ हम जानते हैं; उन्हें परेशानी भरी समस्याओं के रूप में देखने से नहीं; बल्कि स्वागत करने में निहित है, उन्हें छुपाने में नहीं; लेकिन शामिल करने में, उन्हें बेदखल करने में नहीं;  बल्कि सम्मान देने में है।”

हमारा सागर आप्रवासियों के लिए कब्रस्थान

इस बात पर गौर करते हुए कि मानवीय सहअस्तित्व का सागर अस्थिरता से प्रदूषित हो चुका है जिसके कारण मार्सिले जैसे यूरोपीय शहर को भी सांप्रदायिक तनाव और बढ़ते अपराध का सामना करना पड़ रहा है संत पापा ने पुनः एक बार एकात्मता की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अराजकता को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा, “वास्तविक सामाजिक बुराई समस्याओं में वृद्धि नहीं, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल में कमी है: जिससे युवा सहज ही अपराध के शिकार हो रहे हैं, जिसमें डरे हुए परिवार, बुजुर्ग, अजन्मे बच्चे, अफ्रीका में हिंसा और अन्याय सहने वाले लोग और मध्य पूर्व, जहाँ उत्पीड़न से भाग रहे ख्रीस्तीय और “हमारे सागर” को पार करने का प्रयास करते हुए अपनी जान गंवानेवाले आप्रवासी शामिल हैं, जिनके लिए “हमारा सागर”, “गरिमा का कब्रिस्तान" बन गया है।

आप्रवासन: कोई आपात स्थिति नहीं, बल्कि हमारे समय की वास्तविकता

विशाल बंदरगाह शहर मार्सेले की दूसरी विशेषता पर विचार करते हुए संत पापा ने इस तथ्य की निंदा की कि कई अन्य भूमध्यसागरीय शहरों ने आप्रवासियों के कथित "आक्रमण" के डर को दूर करने के लिए अपने बंदरगाहों को बंद कर दिया है। उन्होंने कहा, "जो लोग समुद्र में अपनी जान जोखिम में डालते हैं वे आक्रमण नहीं करते, वे स्वागत की तलाश करते हैं।"

समुद्र में खोए नाविकों और आप्रवासियों को समर्पित स्मारक
समुद्र में खोए नाविकों और आप्रवासियों को समर्पित स्मारक

उन्होंने टिप्पणी की कि जहां तक ''आपातकाल'' की बात है लोग बात करते हैं कि ''आप्रवासन की घटना इतनी अल्पकालिक आवश्यकता नहीं है, जो खतरनाक प्रचार को बढ़ावा देने के लिए हमेशा अच्छी होती है, बल्कि हमारे समय की एक वास्तविकता है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें दुनिया भर के तीन महाद्वीप शामिल हैं। उसपर बुद्धिमानी पूर्ण दूरदर्शिता से शासन किया जाना चाहिए।”

यहां भी, उन्होंने कहा, "भूमध्यसागरीय दुनिया को प्रतिबिंबित करता है", दक्षिण के गरीब देश "अस्थिरता, शासन, युद्ध और मरुस्थलीकरण से त्रस्त" होकर अमीर उत्तर की ओर रुख कर रहे हैं।

पोप पॉल छटवें के विश्वपत्र "पॉपुलोरम प्रोग्रेसियो" की याद करते हुए पोप ने कहा, दूसरी बात कि अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती असमानताओं की समस्या नई नहीं है, जैसा कि कलीसिया दशकों से कहता रहा है।

स्वागत, सुरक्षा, बढ़ावा और एकीकरण

पोप फ्राँसिस ने स्वीकार किया कि अनपेक्षित व्यक्तियों का स्वागत, सुरक्षा, बढ़ावा और एकीकरण करने में कठिनाइयाँ हैं, फिर भी, उन्होंने कहा, "मुख्य मानदंड खुद की भलाई की रक्षा नहीं, बल्कि मानव गरिमा की सुरक्षा होनी चाहिए।"

धर्म के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक नया भूमध्यसागरीय ईशशास्त्र

अंत में, पोप फ्राँसिस ने एक "भूमध्यसागरीय ईशशास्त्र" का आह्वान किया, जो "वास्तविक जीवन" में "वास्तविकता में निहित" सोचने के तरीकों को विकसित करने में सक्षम हो, क्योंकि "प्रयोगशाला काम नहीं करती", और "स्मृति को जोड़कर पीढ़ियों को एकजुट करने के लिए तैयार" भविष्य, और ईसाइयों की विश्वव्यापी यात्रा और विभिन्न धर्मों के विश्वासियों के बीच संवाद को मौलिकता के साथ बढ़ावा देना है", ताकि धर्म के सभी हिंसक और बाह्य दुरुपयोग को रोका जा सके।

फ्राँस के राष्ट्रपति एम्मानुएल माक्रोन से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
फ्राँस के राष्ट्रपति एम्मानुएल माक्रोन से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

राष्ट्रपति मैक्रॉन का अभिवादन करते हुए, पोप फ्रांसिस ने इस अपील के साथ अपना भाषण समाप्त किया: “आज की गरीबी का एकजुटता और सहयोग से मुकाबला करने के लिए अच्छाई का सागर बनें; बेहतर भविष्य चाहनेवाले सभी लोगों को गले लगाने के लिए एक स्वागत योग्य बंदरगाह बनें; मुलाकात की संस्कृति, हिंसा और युद्ध की अंधेरी खाई को भेदने के लिए, शांति का प्रकाशस्तंभ बनें।”

 

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23 September 2023, 16:55