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रोगेशनिस्ट पुरोहितों और ‘दिव्य उत्साह की पुत्रियों’ की धर्मबहनों के साथ संत पापा फ्राँसिस रोगेशनिस्ट पुरोहितों और ‘दिव्य उत्साह की पुत्रियों’ की धर्मबहनों के साथ संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा रोगेशनिस्टों से : "प्रार्थना करें कि हमें ईश्वर के प्रेम का एहसास हो सके"

दो धर्मसमाजों को संबोधित करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि "हर दिन प्रभु के साथ एक लंबी बातचीत करना और हर महत्वपूर्ण क्षण, हर बैठक, हर फैसले से पहले उनसे याचना करना महत्वपूर्ण है।"

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 18 सितंबर 2023 (वाटिकन न्यूज, रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 18 सितंबर वाटिकन के कनसिस्ट्री भवन में ‘येसु के हृदय के रोगेशनिस्ट पुरोहितों और ‘दिव्य उत्साह की पुत्रियों’ की धर्मबहनों के साथ मुलाकात की जो अपने धर्मसमाज की महासभा में भाग लेने आये हुए हैं।

संत पापा ने उनका स्वागत करते हुए कहा, “आपको समर्पण, करिश्माई पहचान, भ्रातृ साम्य और मिशन, धार्मिक जीवन के मूलभूत पहलुओं जैसे विषयों को संबोधित करने का अवसर मिला है, जिनकी खोज के लिए प्रार्थना और साझा करने में सुनने की क्षमता और समझने की क्षमता की आवश्यकता होती है। फ्रांस के संत हैनिबल की मूल प्रेरणा के प्रति आज भी वफादार रहने और साथ ही बदलती दुनिया की जरूरतों के प्रति चौकस रहने की आवश्यकता है।

संत पापा फ्राँसिस ने उनकी चौथी प्रतिज्ञा रोगेट अर्थात  बुलाहट के लिए प्रार्थना पर विचार किया, जो कलीसिया में उनके विशिष्ट मिशन के मूल में है।

मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना

संत पापा ने उनके संस्थापक संत हैनिबल का उदाहरण लेते हुए कहा कि संत हैनिबल जब पवित्र संस्कार के सामने प्रार्थना में लीन थे तभी उन्हें पूर्णरुप से प्रभु के लिए समर्पित जीवन जीने का बुलावा मिला। संत पापा ने कहा कि वास्तव में, जब कोई स्वयं को, विनम्र और नम्र भाव से ईश्वर के सामने रखता है, तो उसे अक्सर अपने जीवन के अर्थ की एक विशिष्ट समझ प्राप्त होती है: यह विश्वासयोग्य और निरंतर प्रार्थना में है, विशेष रूप से आराधना में सब कुछ सद्भाव में आता है, चीज़ें अधिक स्पष्ट रूप से समझ में आती है। संत पापा ने प्रार्थना की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “प्रार्थना के बिना आप खड़े नहीं रह सकते और आप नहीं जानते कि कहां जाना है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हर दिन ईश्वर के साथ एक लंबा संवाद हो और फिर हर महत्वपूर्ण क्षण, हर बैठक, हर निर्णय से पहले उनका आह्वान किया जाए।”

बुलाहट के लिए प्रार्थना

संत पापा ने कहा कि संत हैनिबल सुसमाचार के एक विशेष अंश से प्रेरित थे, जिसमें येसु कहते हैं: "फसल प्रचुर है, लेकिन मजदूर कम हैं!" इसलिए फसल के स्वामी से प्रार्थना करो कि वह अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजे!” (मत्ती 9,37-38) उन्होंने भी येसु की तरह, शरीर और आत्मा में गरीब मानवता के लिए एक मार्मिक करुणा महसूस की और वे समझ गये कि बुलाहट के लिए प्रार्थना करना उसकी प्राथमिकता है, निश्चित रूप से भगवान को चरवाहों को भेजने के लिए मनाना नहीं, जैसे कि उसे अपने लोगों की परवाह नहीं है, बल्कि खुद को अपने पैतृक और मातृ प्रेम की गहराई से अभिभूत होने देना है: प्रार्थना करके, अपने बच्चों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना सीखें! इस प्रकार प्रार्थना से प्रेरित होकर ही  संस्थापक संत हैनिबल ने की सभी प्रेरितिक और धर्मार्थ गतिविधियों को करने के लिए येसु के हृदय के रोगेशनिस्ट और दिव्य उत्साह की पुत्रियों के धर्मसमाज की शुरुआत की।

विश्वसनीय गवाहों की आवश्यकता है

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि आज कई युवाओं को ईश्वर बुलाते हैं और उन्हें "विश्वसनीय गवाहों और मार्गदर्शकों की आवश्यकता है", उन्हें " येसु के प्यार के लिए बिताए गए जीवन की सुंदरता" दिखाने के लिए और "उन्हें 'हां' कहने में मदद करने के लिए" और फ्रांस के संत हैनिबल की इच्छा धर्मसंघीय "बुलाहट के लिए प्रार्थना करना" जारी रखें।

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18 September 2023, 15:31