देवदूत प्रार्थना में पोप : भाई-बहनों का सुधार महान प्रेम की अभिव्यक्ति
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, रविवार, 10 सितम्बर 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 10 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।
प्रेम की अभिव्यक्ति
संत पापा ने कहा, “आज का सुसमाचार पाठ भाइयों के सुधार के बारे बोलता है (मती. 18:15-20) जो प्रेम की एक बड़ी अभिव्यक्ति है और बहुत अपेक्षाएँ रखनेवाला है।”
जब कोई विश्वासी भाई तुम्हारे साथ अन्याय करता है, तो तुम बिना विद्वेष के उसे सुधार कर उसकी सहायता करते हो।
दुर्भाग्य से, अक्सर गलती करनेवालों के इर्द-गिर्द जो पहली चीज बनती है, वह शिकायत होती है, जिसमें संबंधित व्यक्ति के अलावा हर किसी को पूरी जानकारी के साथ गलती का पता चल जाता है!
संत पापा ने कहा कि यह सही नहीं है और ईश्वर को प्रसन्न नहीं करती। मैं इसे दुहराते हुए नहीं थकता कि गपशप या शिकायत लोगों के जीवन और समुदाय में एक महामारी है क्योंकि यह विभाजन, दुःख और ठोकर की ओर ले जाती है, और कभी भी बढ़ने एवं उन्नति करने नहीं देती है। एक महान आध्यात्मिक गुरु, क्लेयरवॉक्स के संत बेर्नार्ड ने कहा था कि बेकार जिज्ञासा और छिछले शब्द अहंकार की सीढ़ी पर पहला कदम हैं, जो ऊपर की ओर नहीं, बल्कि नीचे की ओर ले जाते हैं, और मनुष्य को विनाश और बर्बादी के रास्ते पर आगे बढ़ाते हैं।
विनम्रता और सज्जनता
इसके विपरीत, येसु हमें दूसरे तरह से व्यवहार करने लिए कहते हैं। आज वे हमसे यही कह रहे हैं : यदि तुम्हारा भाई कोई अपराध करता है, तो जाकर उसे अकेले में समझाओ। यदि वह तुम्हारी बात मान जाता है, तो तुमने अपने भाई को बचा लिया। (15)
संत पापा ने कहा, “इसके बारे उससे आमने-सामने बात करें, निष्पक्ष रूप से उसे समझने में मदद करें कि कहाँ उसने गलती की है। उसकी भलाई के लिए, शर्म से बाहर निकलने और सही साहस प्राप्त करने के लिए मदद करें, जो बदनाम करना नहीं है लेकिन उसके सामने विनम्रता और सज्जनता से बतलाना है।”
समुदाय का प्रयास
लेकिन हम पूछ सकते हैं कि इसका क्या फायदा, यदि यह काफी नहीं है? यदि वह नहीं समझता है? तब हमें मदद करने की कोशिश करनी चाहिए। पर शिकायत करनेवाले दल के द्वारा नहीं। येसु कहते हैं : “तो और दो-एक व्यक्तियों को साथ ले जाओ।” (16) अर्थात् जो लोग अपने पथभ्रष्ट भाई की सचमुच मदद करना चाहते हैं।
और यदि तब भी वह नहीं समझता है, तब येसु कहते हैं कि समुदाय को शामिल करो। लेकिन यहाँ भी व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए, उसे सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा नहीं करनी चाहिए, लेकिन सभी का यही प्रयास होना चाहिए कि व्यक्ति बदल सके। अंगुली दिखाना ठीक नहीं है, वास्तव में, ऐसा करने से गलती करनेवाले व्यक्ति को अपनी गलती स्वीकार करने में अधिक कठिनाई होती है। इसके विपरीत, समुदाय को उसे यह महसूस कराना चाहिए कि जब वे गलती की निंदा कर रहे हों, तब भी प्रार्थना एवं स्नेह के द्वारा उसके साथ हैं। संत पापा ने कहा कि उसे क्षमा करने और पुनः शुरू करने में मदद देने के लिए हमेशा तैयार रहें।
हालांकि आज येसु कहते हैं, यदि वह समुदाय (कलीसिया) की भी नहीं सुनता है तो उसे गैर यहूदी और नाकेदार जैसा समझो।(17) लेकिन हम जानते हैं कि उन चीजों में से एक जिसके लिए उस समय की "सही सोच" ने उसे माफ नहीं किया था, वह वास्तव में, गैरयहूदियों और नाकेदारों के साथ रहना था। वही सुसमाचार प्रचारक मती जिन्होंने सुसाचार लिखा है, इसे अच्छी तरह से जानते हैं, क्योंकि वे उनमें से एक थे, जिन्हें येसु ने तब बुलाया था जब वे चुंगी जमा कर रहे थे।(मती. 9:9)
अच्छाई के रास्ते की खोज
अत: आइये, हम अपने आप से पूछे, मुझे गलती करनेवाले व्यक्ति से कैसा व्यवहार करना चाहिए? क्या मैं इसे अंदर रखता और आक्रोश जमा करता हूँ? क्या मैं उनके पीठ पीछे बात करता हूँ? अथवा क्या मैं उनसे बात करने की कोशिश करता हूँ? क्या मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूँ? अच्छा करने में मदद करने के लिए सहायता की याचना करता हूँ? क्या हमारे समुदाय उन लोगों की चिंता करते हैं जो गिर जाते, जिससे कि वे फिर उठ सकें और पुन: एक नया जीवन शुरू कर सकें? क्या यह इंगित करता या अपने बांहें खोलता?
माता मरियम जिन्होंने अपने पुत्र की निंदा सुनने पर भी उनसे स्नेह करती रहीं, हमें मदद करे कि हम हमेशा अच्छाई के रास्ते की खोज कर सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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