सिनॉड पर नई पुस्तक धर्माचार्यों के लिए वाटिकन द्वितीय महासभा के मद्देनजर अंतर्दृष्टि
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 21 सितम्बर 2023 (रेई) : एक नई पुस्तक जिसमें संतों, पुरोहितों, लोकधर्मियों, आंदोलनों के संस्थापकों और बुद्धिजीवियों के 50 से अधिक साक्षात्कार हैं, वाटिकन द्वितीय महासभा से जुड़ी है और अंतरदृष्टि प्रदान करती है कि हम किस तरह सुसमाचार का प्रचार करें। पुस्तक को फादर वीटो मान्यो ने संपादित किया है जिसका शीर्षक है : कनवेरसियोने सिनॉदाले : इनकॉन्त्रो कोन प्रोतागोनिस्ती देला किएसा पोस्टकोनचिलियारे (सिनॉडल परिवर्तन: महासभा के बाद की कलीसिया के नायकों के साथ मुलाकातें)। इसे इताली प्रकाशन सन पाओलो संस्करण ने प्रकाशित किया है। इसमें उन संवादों का चयन किया गया है जिन्हें रोगाशनिस्ट फादर वीटो मैन्यो ने पिछले पचास वर्षों में वाटिकन रेडियो पर प्रसारित किया है। यह पुस्तक मंगलवार को रोम के लुमसा विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत की गई।
कलीसिया और प्रभु के प्रति प्रेम
विमोचन के दौरान फादर मान्यो ने बतलाया कि साक्षात्कारों का चयन करीब 200 से अधिक लोगों के साथ हुए साक्षात्कारों में से किया गया है, जो प्रभु और कलीसिया के प्रति प्रेम से अत्यन्त उत्साहित थे और “जिनका योगदान महासभा का अनुपालन करते हुए पेत्रुस की नाव को नहीं डूबने दिया।”
वाटिकन संचार विभाग के संपादकीय निदेशक अंद्रेया तोरनियेली ने कहा कि यह कोई संयोग नहीं था कि पहला साक्षात्कार महासभा के धर्माचार्य बिशप लुईजी बेत्तात्सी का है। जिनका निधन जुलाई 2023 को हुआ और जो द्वितीय महासभा से गहराई से जुड़े थे।
कार्डिनल ग्रेच : कलीसिया में महिलाओं की भूमिका
बिशप बेत्तत्सी सिनॉड के धर्माध्यक्षों के महासचिव कार्डिनल मारियो ग्रेच की याद करते हैं और बतलाते हैं कि द्वितीय वाटिकन महासभा समकालीन ख्रीस्तीय धर्म की सबसे बड़ी नवीनता थी और इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इस अर्थ में, कार्डिनल ने जोर दिया था कि सभी प्रतिवादियों ने "सिनॉडालिटी के माहौल में" प्रतिक्रिया व्यक्त की, एक नवशास्त्रवाद में जो पोप फ्रांसिस के कारण विशेष मंडली से बाहर आया है।
“सिनॉडल बदलाव” के बारे ब्राजील के धर्माध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष हेल्डर कामरा ने बात की है जिसमें उन्होंने पुष्ट किया है कि एक पुरोहित का धर्माध्यक्ष और लोकधर्मियों के बिना अकेला काम करना सोच के परे है; अथवा अर्जेंटीना के कार्डिनल एदवार्दो पिरोनियो ने जोर दिया है कि लोकधर्मी प्रतिस्प्रद्धा के तर्क पर पुरोहित की कीमत पर सत्ता का पद प्राप्त नहीं कर सकता, बल्कि कलीसिया के विश्वासी और बपतिस्मा प्राप्त सदस्यों के रूप में सह-जिम्मेदारी के माहौल में कार्य कर सकता है।
कार्डिनल ग्रेच ने याद दिलाया कि यह कलीसिया में महिलाओं की भूमिका पर भी लागू होता है, जिसे "वैचारिक या मांगवाले दृष्टिकोण" से दूर, बपतिस्मा प्राप्त पुरुषों और महिलाओं की सह-जिम्मेदारी के व्यापक संदर्भ में तैयार किया जाना चाहिए। ये सभी मुद्दे हैं जिनपर 4 अक्टूबर से विचार किया जाएगा, जब धर्मसभा की 16वीं साधारण महासभा का पहला सत्र शुरू होगा।
तत्कालीन कार्डिनल जोसेफ रत्ज़िंगर (पोप बेनेडिक्ट 16वें) के साथ एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कार्डिनल ग्रेच ने कहा, “साथ ही, कलीसिया में यह महत्वपूर्ण है कि किसी को संरचनाओं के आधार पर "जीवाश्म" नहीं बनाया जाना चाहिए, बल्कि इसके बजाय, क्या आवश्यक है और क्या अनिश्चित है, इसके बीच अंतर करना चाहिए और याद रखना चाहिए कि नये साधन हमेशा संभव हैं।”
कार्रम : जगह बनाना जहाँ महिलाएँ अपना बेहतर दे सकें
फोकोलारे आंदोलन के अध्यक्ष मार्गरेट कार्राम के अनुसार, द्वितीय वाटिकन महासभा के द्वारा कलीसिया ने पहली बार, 23 महिला लेखा परीक्षकों की उपस्थिति के माध्यम से महिला जगत के लिए द्वार खोला। बदलाव एवं एक साथ चलने के महत्व के संबंध में बातचीत में कर्राम ने गौर किया है कि महिलाएँ प्यार करना जानती है एवं पुरूषों की तुलना में अधिक दुःख सह सकती हैं।
कियारा लुबिक के साथ फादर वीटो मान्यो के साक्षात्कार के अनुसार प्रेम के लिए चिंता करने का अर्थ है दुःख सहना, जो प्रेम की कीमत है। कार्रम ने कहा, पोप फ्रांसिस के साथ कलीसिया में महिलाओं की उपस्थिति में तेजी आई है, यह दोहराते हुए कि यह "भूमिकाओं या समानता का सवाल नहीं है, बल्कि ऐसी जगह बनाने का है जिसमें महिलाएँ अपना विशिष्ट योगदान दे सकें, मरियम के रूप में" जिनसे सीखने की प्रेरणा मिलती है।”
द्वितीय वाटिकन महासभा के स्वागत का इतिहास
सेक्रेड हार्ट काथलिक यूनिवर्सिटी के इतिहासकार अगोस्तिनो जोवानोली ने कहा, "धर्मसभा की स्थापना 1965 में हुई थी और इसका इतिहास द्वितीय वाटिकन महासभा के स्वागत का इतिहास है।"
उन्होंने किताब में कई साक्षात्कारों की ओर इशारा किया, जिसमें कार्डिनल एकेगारे का साक्षात्कार भी शामिल है, उन्होंने याद किया कि 1986 में असीसी में हुई अंतरधार्मिक सभा ने उनके जीवन को कितना बदल दिया था; कलीसिया के लिए यूरोप के महत्व के संबंध में कार्डिनल गंटिन; या कार्डिनल मार्टिनी के साथ साक्षात्कार जिसमें राष्ट्रवाद द्वारा बाधित सार्वभौमवाद पर उनके भविष्यसूचक चिंतन शामिल हैं।
यह बहुत सारे साहसी पुरुषों और महिलाओं की कहानी है, विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित विभाग के सचिव मोनसिग्नोर अरमांडो मात्तेओ ने दोहराया; वे पुरुष और महिलाएँ जिन्होंने धर्मसभा में परिवर्तन के लिए जमीन तैयार की, कलीसिया उसी ओर बढ़ रही है।
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