देवदूत प्रार्थना में पोप : जीवन के रास्ते पर हम अकेले नहीं हैं
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, रविवार, 27 अगस्त 23 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 27 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।
आज के सुसमाचार पाठ में (मती.16, 13-20) येसु अपने शिष्यों से पूछते हैं : “मानव पुत्र कौन है इस विषय में लोग क्या कहते हैं?” (13)
संत पापा ने कहा, “इस सवाल को हम भी पूछ सकते हैं : येसु कौन हैं इसपर लोग क्या कहते हैं? एक गुरू, एक विशेष व्यक्ति, एक भला, धर्मी, सुसंगत, साहसी व्यक्ति... आदि, लेकिन उन्हें समझने के लिए क्या ये काफी हैं कि वे कौन हैं और सबसे बढ़कर, क्या ये शब्द येसु के लिए पर्याप्त हैं?” संत पापा ने कहा, जी नहीं। यदि वे भूतकाल के कोई साधारण व्यक्ति होते – जैसा कि सुसमाचार में छवि प्रस्तुत की गई है, कि वे लोगों के लिए योहन बपतिस्ता, मूसा, एलियास या कोई महान नबी के समान हैं - तो वे केवल बीते समय की एक अच्छी स्मृति मात्र होते। लेकिन येसु के साथ ऐसा नहीं है। इसलिए, इसके तुरन्त बाद वे शिष्यों से पूछते हैं : “लेकिन तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?”(15) मैं अभी तुम्हारे लिए कौन हूँ? येसु इतिहास के नायक नहीं बल्कि वर्तमान के व्यक्ति रहना चाहते हैं, दूर के नबी नहीं बल्कि ईश्वर जो हमारे निकट हैं।
प्रभु वर्तमान के ईश्वर हैं
ख्रीस्त अतीत की यादगारी नहीं हैं लेकिन वर्तमान के ईश्वर हैं। यदि वे सिर्फ इतिहास के व्यक्ति होते, तो आज उनका अनुकरण करना असंभव होता। हम अपने आपको समय की एक बड़ी गड़बड़ी में पाते और सबसे बढ़कर हम उन्हें अपना आदर्श नहीं बना पाते, जो एक बहुत ऊँचे, दुर्गम पर्वत के समान होते; जिसपर हम चढ़ना तो चाहते, लेकिन योग्यता और आवश्यक साधनों का अभाव होता।
इन सबके विपरीत, येसु जीवित हैं और हमारा साथ देते हैं, वे हमारी बगल में हैं। वे हमें अपना वचन और अपनी कृपा देते हैं, जो हमें आलोकित करता एवं हमारी यात्रा में ताजगी प्रदान करता है। वे एक कुशल और बुद्धिमान मार्गदर्शक की तरह, बिलकुल कठिन रास्ते और अगम्य ढलान पर खुशी से हमारा साथ देने के लिए तैयार हैं।
हम अकेले नहीं हैं
संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, जीवन के रास्ते पर हम अकेले नहीं हैं क्योंकि ख्रीस्त हमारे साथ हैं और हमें चलने में मदद देते हैं, जैसा कि उन्होंने पेत्रुस और अन्य शिष्यों के साथ किया। खासकर, आज के सुसमाचार में पेत्रुस, जो इसे समझता है और कृपा के द्वारा येसु को पहचानता है कि वे मसीह हैं, जिनका वर्तमान में इंतजार किया जा रहा है।” किसी मरे हुए हीरो की तरह नहीं बल्कि जीवित ईश्वर के पुत्र के रूप में। उन्होंने मनुष्य को बनाया और हमारी यात्रा की खुशियाँ और मेहनत साझा करने आए। आइये हम निरूत्साहित न हों, तब भी जब ख्रीस्तीय जीवन का शिखर बहुत ऊँचा प्रतीत हो और रास्ता बहुत ढलान मालूम पड़े। आइये हम येसु को देखें जो हमारी बगल में चलते हैं। जो हमारी कमजोरी को स्वीकार करते हैं, हमारे प्रयासों को साझा करते और अपने मजबूत एवं सज्जन हाथों को हमारे कमजोर कंधों पर रखते हैं। उनके नजदीक रहते हुए आइये हम एक दूसरे तक पहुँचें और येसु के साथ हमारे भरोसे को मजबूत करें, जो हमारे लिए असंभव लगता है लेकिन वह अब वैसा नहीं है!
येसु के साथ कुछ भी असंभव नहीं है
आज हमारे लिए अच्छा होगा कि हम उस सवाल को दुहरायें जो उनके मुख से आता है : “तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” (15) दूसरे शब्दों में: येसु मेरे लिए कौन हैं? एक महान शख्सियत, एक संदर्भ बिंदु, एक अप्राप्य मॉडल? या ईश्वर के पुत्र जो मेरी बगल में चलते हैं, जो मुझे पवित्रता की ऊँचाईयों तक ले सकते हैं जहाँ मैं अपने आप नहीं पहुँच सकता? क्या येसु सचमुच मेरे जीवन में हैं, क्या वे मेरे प्रभु हैं? क्या मैं कठिनाई की घड़ी में उनपर भरोसा कर सकता हूँ? क्या मैं उनके उपस्थिति को वचन और संस्कारों में महसूस करता हूँ? क्या मैं उनके द्वारा संचालित होता हूँ, समुदाय में अपने भाइयो और बहनों के साथ?
कुँवारी मरियम, राह की माता, हमें यह महसूस करने में मदद करे कि पुत्र जीवन हैं और हमारी बगल में उपस्थित हैं।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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