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लिल्बन में पुर्तगाल के येसु समाजियों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस लिल्बन में पुर्तगाल के येसु समाजियों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस  

संत पापाः पानी को अच्छी तरह हिलाया गया

पुर्तगाल की प्रेरितिक यात्रा में संत पापा फ्रांसिस ने “कोलेजियो डी साओ जोआओ डी ब्रिटो” में येसु सामाजी भाइयों के मुलाकात की और उनके संग वार्ता करते हुए उनके सवालों का जवाब दिया।

वाटिकन सिटी, 28 अगस्त 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने विश्व युवा दिवस के दौरान पुर्तगाल की प्रेरितिक यात्रा में 05 अगस्त 2023 को वहाँ के येसु सामाजियों से मुलाकात की और वार्ता के क्रम में उनके द्वारा पूछे गये सवालों का उत्तर दिया।

पुर्तागाल के संघीय अधिकारी के परिचय उपरांत संत पापा ने वार्ता की शुरूआत करते हुए कहा, “तुम जो चाहों पूछ सकते हो। सवाल पूछने में अविवेकी होने से मत डरो।” अतः उनके समक्ष विभिन्न विषयों को संबोधित किया गया: पीढ़ियों की चुनौतियों से लेकर धार्मिक साक्ष्य, मानव कामुकता पर प्रश्नों से लेकर सिद्धांत का विकास, युद्धों की चिंताएँ इत्यादि।

संत पापा फ्रांसिस से एक युवा येसु समाजी के पूछे गये सवाल वर्तमान समय में कामुक, उपभोक्तावादी समाज की जो हमारे लिए चुनौतियाँ हैं..., एक येसु समाजी के रूप में आपके अनुभवानुसार,  क्या आप मानते हैं कि हमारा प्रशिक्षण इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बनाया गया हैॽ हम भावनात्मक, यौन और शारीरिक स्तर पर येसु सामाजियों के रूप में अपने प्रशिक्षण को हमेशा बेहतर कैसे बना सकते हैंॽ

चिंता का विषय

इसके उत्तर में संत पापा ने कहा कि हम उस समाज में रहते हैं जो दुनियादारी से भरी है, जो मुझे बहुत चिंतित करती है। धर्मसमाजी जीवन में दुनियादारी का प्रवेश करना मुझे चिंतित करती है। दुनियादारी की आध्यात्मिक अपने आवर्ती जाल है। हमें इसमें अंतर स्पष्ट करने की आवश्यकता है। यह हमें दुनिया से वार्ता करने को तैयार करता है। इस संदर्भ में संत पापा दुनियादारी की आध्यात्मिकता पर व्यक्तिगत रुप में चिंतन करने का आहृवान किया।

आत्माओं की परख

लेकिन संत पापा ने सावधान करते हुए कहा कि आपको दुनिया के साथ संवाद करना होगा, क्योंकि आप अपने में बंद नहीं रह सकते हैं। आप अंदर से मुस्कुराने वाला नहीं वरन, वार्ता करने वाला, अपने पर्यावरण की रक्षा करने वाला धार्मिक व्यक्ति बनने की ज़रूरत है। हमें इस दुनिया में अपने मूल्यों और नकारात्मक मूल्यों को साथ लेकर चलने की जरुरत है। संत पापा ने संत इग्नासियुस की द्वारा बतलाये गये अंतःकरण की जांच को निरंतर करने पर जोर दिया जिससे हृदय की गहराई में आत्माओं की परख कर सकें जो हमें प्रभावित करते हैं। 

गरीब के संग मित्रता और निकटता

गरीबों और प्रवासियों के संग मित्रता और निकटता हेतु येसु समाजी व्यक्तिगत और सामुदायिक रुप में क्या कर सकते हैं जिससे हम ठोस साक्ष्य दे सकें।

इसके संदर्भ में संत पापा ने संक्षेप में संत इग्नासियुस की आध्यात्मिकता में, गरीबों के लिए और गरीबों का साथ देने के विकल्प पर प्रकाश डाला। लेकिन यही एकमात्र तरीका नहीं है जिसके द्वारा सामाजिक न्याय हासिल किया जा सकता हैॽ सामाजिक समस्याओं से निपटने के हजारों तरीके हैं। लोगों को जीवन में सम्मिलित करना संभवतः एक सुन्दर सच्चाई है, क्योंकि इसके द्वारा हम जीवन को दूसरो के संग साझा करते हैं। यह आपको लोकप्रिय ज्ञान से वाकिफ करता और उसका पालन करने में मदद करता है। संत पापा ने कहा “यह एक दिलचस्प बात है। गरीबों के पास एक विशेष बुद्धि होती है, काम करने की बुद्धि, और अपनी परिस्थिति को गरिमा के संग जीवन की बुद्धि भी। उन्होंने प्रेरितिक कार्यों में गरीबों की मदद करने पर बल दिया।

आलोचना का संसार

अमेरीका में रहते वक्त, एक अनुभव के आधार पर संत पापा, धर्मसिद्धांत, वाटिकन और येसु सामाजियों की आलोचना पर पूछें गये सवाल के उत्तर में संत पापा ने कहा कि बहुत से हैं जो द्वितीय वाटिकन की आलोचना करते हैं। “संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थिति आसान नहीं है: वहाँ एक बहुत मजबूत, संगठित प्रतिक्रियावादी रवैया है जो भावनात्मक सहित अपनेपन की भावना का निर्माण करता है।” उन्होंने कहा कि “पीछे हटना बेकार है” वहीं विश्वास और नैतिकता के सवालों की समझ में “उचित विकास” होता है: “यहां तक ​​कि सिद्धांत भी प्रगति करता है, यह समय के साथ समेकित होता, फैलता और मजबूत होता जाता है।” इतिहास में इसके उदाहरण ठोस हैं: “आज परमाणु बम रखना पाप है, मृत्युदंड एक पाप है, इसका पालन नहीं किया जा सकता, और पहले ऐसा नहीं था; जहां तक ​​गुलामी की बात है, मुझसे पहले कुछ संत पापाओं ने इसका सहन किया है, लेकिन आज चीजें अलग हैं। हम बदलते हैं, हम बदलते हैं, लेकिन मानदंडों के साथ।”

भविष्य का सवाल

कलीसिया के भविष्य के बारे में पूछे गये सावाल का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि बहुत से लोग हैं जो वाटिकन द्वितीय महासभा की शिक्षा पर सवाल उठाते हैं। “हमें साहस के साथ उसकी आत्मा, सार का अनुसार करने की आवश्ययकता है।” उन्होंने समाज की राह में आगे बढ़ने की बात पर बल दिया। “भविष्य के लिए मेरा सपना यही है कि हम उन बातों के लिए खुला रहें जिसे पवित्र आत्मा हमारे लिए प्रकट करते हैं, हम आत्म-परख हेतु खुला रहें कार्यवाद के लिए नहीं। उन्होंने येसु समाज के भूतपूर्व अधिकार पेदरो अरूपे की बातों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रार्थना पर जोर दिया। प्रार्थना के माध्यम येसु समाजी आगे बढ़ता है इसके द्वारा वह किसी भी चीज से भयभीत नहीं होता क्योंकि वह जानता है कि उसे ईश्वर अपने कार्यों को करने हेतु प्रेरित करते हैं। एक येसु समाजी जो प्रार्थना नहीं करता अपने में सूखा हो जाता है।

आसक्त प्रेम

आध्यात्मिक साधना से संबंधित सवाल कि वे कौन सी चीजें हैं जो बहुधा कलीसिया को और उससे भी बढ़कर धर्मसंघी जीवन में आसक्त प्रेम स्वरूप पायी जाती है।

संत पापा ने कहा कि हम इसे दुनियादारी और याजकीयवाद के रुप में पाते हैं। याजकीयवाद जो पुरोहित में प्रवेश करता लेकिन उससे भी बढ़कर जब यह लोकधर्मियों में प्रवेश करता तो और भी भयावह हो जाता है। ये दोनों बातें धर्मसंघ को बहुत बर्बाद करती हैं। इस संदर्भ में संत पापा ने पुनः आत्माओं की परख हेतु अंतःकरण की जाँच  हेतु सुझाव दिये। उन्होंने ईमानदारी पूर्णक और निष्ठा में रोज दिन अंतःकरण की जाँच के सुझाव दिये।

येसु संघ में अजीवन धर्मबंधुओं की बुलाहट में आयी कमी पर पूछें गये सावल के बारे में संत पापा ने कहा कि पिछले साल धर्मसमाज के सर्वोच्च अधिकारी ने मुझे अजीवन धर्मबंधुओं से वार्ता करने का निमंत्रण दिया था। एक समय था जब हम धर्मसमाज में उन्हें बहुतायत में पाते थे।

धर्मबंधुओं की निगाहें बेहतर होती हैं वे धर्मसमाज की यादगारी के रुप में हैं। उन्होंने कार्लों रित्सो की चर्चा की जिन्होंने ला चीभीत्ता कथोलिका में अपनी सेवा सालों दीं। अपने विश्वास में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ईश्वर धर्मबंधुओं को अपनी सेवा देने हेतु बुलायेंगे फिर हमें युवाओं के प्रति खुला रहने की जरुरत है।

धर्मसभा

संत पापा फ्रांसिस ने महत्वपूर्ण मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए कलीसिया के धर्माध्यक्षों की एक सभा, आसन्न धर्मसभा के बारे में अपनी विचार व्यक्त किये। उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्मसभा उनके दिमाग की उपज नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य कलीसिया के भीतर धर्मसभा की भावना को बहाल करना था - एक अवधारणा जिसे सबसे पहले संत पापा पॉल 6वें ने समर्थन दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धर्मसभा के पीछे उत्प्रेरक शक्ति पवित्र आत्मा है, जो राजनीतिक पूर्वाग्रह या मत हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किए बिना विचार-विमर्श को आगे ले जाती है।

सभों को स्वीकारना

संत पापा ने कलीसिया के अंदर समलैंगिक लोगों को गले लगाने के अपने आह्वान को दोहराया। उन्होंने यौन अपराधों पर असंगत निर्धारण की आलोचना की, यह देखते हुए कि अन्य “अपराधों” को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। उन्होंने व्यक्तियों को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं में साथ देने के लिए प्रेरितिक रूप से संवेदनशील और कल्पनाशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

संत पापा ने ट्रांसजेंडरों के एक समूह संग मिलन का भी जिक्र किया, जो उनकी स्वीकृति और सहानुभूति से भावुक हो गए थे। उन्होंने हाशिए पर रहने वाले समुदायों तक पहुंचने की आवश्यकता को रेखांकित किया जो अक्सर अस्वीकृति की भावनाओं से जूझते हैं, इसके साथ ही उन्होंने सहानुभूति और करुणा के महत्व पर जोर दिया।

युवाओं को बढ़ने में मदद करें

अंत में, विश्व युवा दिवस में मिले फलों की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए संत पापा ने कहा कि आपको युवाओं की बेचैनी का स्वागत करना चाहिए और उसे विकसित करने में उनकी मदद करनी चाहिए, ताकि वह बेचैनी अतीत की बात बनकर न रह जायें। दूसरे शब्दों में, बेचैनी धीरे-धीरे विकसित होने में सक्षम होनी चाहिए। विश्व युवा दिवस हर युवा-युवती के दिल में एक पौधारोपण है। इसलिए यह अतीत की किसी अनुभूति की स्मृति बनकर समाप्त नहीं हो सकता। इसे फलदायक बनाना आसान नहीं है। आप इसे सभों के साथ जारी रखें। यहाँ पानी को अच्छी तरह से हिलाया गया है, और पवित्र आत्मा दिलों को छूने के लिए इसका लाभ उठाते हैं। इनमें से हर युवा अलग-अलग निकलता है, इस “विविधता” को बनाए रखा जाना चाहिए। और अब आपकी बारी है: उनका साथ दें ताकि यह कायम रहें और वे सदैव आगे बढ़ते जायें। 

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28 August 2023, 16:33