संत पापाः मानवीय बुलाहट पवित्रता के लिए है
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में विश्व के विभिन्न देशों से आये विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
हम सुसमाचार प्रचार हेतु प्रेरितिक उत्साह और जोश पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी रखते हैं। आज हम संत कतेरी तेक्कविथा, उत्तरी अमेरीका की प्रथम महिला संत के बारे में जिक्र करेंगे। उनका जन्म 1656 ई. के आस-पास, न्यूयार्क के एक गाँव में हुआ था। वह गैर-बपतिस्मा प्राप्त अख्रीस्तीय मोहॉक प्रमुख और एक अल्गोंक्विन ख्रीस्तीय माँ की बेटी थी, जिन्होंने कतेरी को प्रार्थना करना और ईश्वरीय महिमा गान गाना सिखाया। हममें से बहुतों को भी, विशेष कर ईश्वर से हमारा परिचय हमारी माताएँ और दादा-दादी करते हैं। इस भांति हम इस बात को न भूलें की विश्वास का प्रसार माताओं और दादा-दादियों के द्वारा क्षेत्रीय भाषा में होता है। हम इसे अपनी माताओं और दादा-दादियों के द्वारा अपने लिए प्राप्त करते हैं। संत पापा ने कहा कि सुसमाचार प्रचार की शुरूआत बहुधा ऐसे ही होती है- जहाँ हम साधारण, छोटी निशानियों को देखते हैं, जैसे कि माता-पिता अपने बच्चों को प्रार्थना में ईश्वर से बातें करना सीखलाते और उनके महान और करूणामय प्रेम की चर्चा करते हैं। कतेरी में विश्वास की नींव, जैसे की बहुधा हमारे जीवन में रखी जाती है, वैसे ही डाली गई।
कतेरी का धैर्य
जब कतेरी चार वर्ष की थी, छोटी चेचक की एक महामारी उनके लोगों में फैल गई। इस महामारी में उसके माता-पिता और छोटे भाई की मृत्यु हो गई, और कतेरी अपने चेहरे पर दागें लिये और दृष्टि की समस्याओं से अकेले रह गई। तब से कतेरी को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा- चेचक के कारण उसकी शारीरिक समस्याएं निश्चित रुप में, इसके अलावे उसे नसमझी, सतावट यहाँ तक की जान से मार डाले जाने की धमकियाँ मिलीं जो उसके लिए सन् 1676 के पास्का रविवार को बपतिस्मा ग्रहण करने से शुरू हुई। इन सारी चीजों ने कतेरी के हृदय में क्रूस के प्रति एक गहरे प्रेम को उत्पन्न किया, जो ख्रीस्त के प्रेम की एक निश्चित निशानी है, जिसमें उन्होंने हमारे लिए अपने जीवन को अर्पित कर दिया। वास्तव में, सुसमाचार का साक्ष्य देना केवल उन बातों से संबंधित नहीं है जो हमें अच्छे लगते हैं, बल्कि हमें इस बात को भी सीखने की जरुरत है कि हम अपने दैनिक जीवन के क्रूस को धैर्य, विश्वास और आशा में वहन करें। कठिनाइयों और जीवन के क्रूसों का सामना करने में धैर्य की आवश्यकता है, धैर्य एक बृहद ख्रीस्तीय मूल्य है। वह जिसमें धैर्य की कमी है वह एक अच्छा ख्रीस्तीय नहीं है। हमें चाहिए कि हम कठिनाइयों और दूसरों का सामना करने हेतु जो हमें निराश करते या कठिनाइयाँ उत्पन्न करते हैं धैर्यवान होने की जरुरत है। कतरी तेक्कविता का जीवन हमारे लिए यह दिखलाता है कि यदि हम अपने हृदय को येसु के लिए खोलते हैं, तो हर चुनौती से विजयी पाई जा सकती है, क्योंकि वे हमारे लिए जरुरी कृपा प्रदान करते हैं। धैर्य और अपने हृदय को येसु के लिए खोलना अच्छी तरह जीने के एक नुस्खा है।
प्रार्थना का प्रभाव
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद कतेरी को मोहॉक में शरण लेने को बाध्य होना पड़ा जहाँ मोन्टरियाल शहर के निकट येसु समाजी प्रेरिताई करते थे। वहाँ उसने हर सुबह मिस्सा बलिदान में भाग लिया, पवित्र परमप्रसाद की आराधना में, रोजरी विन्ती की और एक परहेज का जीवन व्यतीत किया। उनके इन आध्यात्मिक कार्यों ने हरएक को प्रभावित किया। प्रेरिताई कार्य में संलग्न लोगों ने कतेरी में एक पवित्रता को पहचाना जो लोगों को आकर्षित करती थी क्योंकि वह ईश्वर के प्रति गहरे प्रेम से उत्प्रेरित थी। ईश्वर पवित्रता के द्वारा हमें आकर्षित करते हैं। इसके द्वारा वे हमें बुलाते और हमारे करीब रहने की चाह रखते हैं, कतेरी ने दिव्य आकर्षण की इस कृपा को महसूस किया। इसके साथ ही वह बच्चों को प्रार्थना करना सिखलाती थी, अपने नित्य प्रतिदिन के निष्ठामय कार्य को पूरा करना, जिसमें बीमारों और बुजुर्गों की सेवा करना था, उन्होंने अपनी नम्रता में ईश्वर और पड़ोसियों की प्रेममय सेवा का एक उदाहरण प्रस्तुत किया। विश्वास सदैव सेवा में झलकती है। विश्वास में हम अपने को धोखा नहीं देते बल्कि दूसरों की सेवा करते हैं।
मानवीय जीवन का सार-पवित्रता
संत पापा ने कहा कि यद्यपि उसे विवाह करने को प्रोत्साहित किया गया, कतेरी ने अपना जीवन ख्रीस्त के लिए अर्पित करने का चुनाव किया। वह समर्पित जीवन में प्रवेश नहीं कर पाई, लेकिन उसने 25 मार्च सन् 1679 को जीवन भर कुंवारी रहने का एक व्रत लिया। उसका यह चुनाव हमारे लिए प्रेरितिक उत्साह के एक दूसरे पहलू को व्यक्त करता है- जहाँ हम ईश्वर के प्रति अपने पूर्ण समर्पण को पाते हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित रुप में हर कोई कतेरी की तरह व्रत धारण करने के लिए नहीं बना है लेकिन हर ख्रीस्तीय अपने जीवन में ईश्वर से मिले बुलाहट और प्रेरितिक कार्य को अविभाजित हृदय से पूरा करने हेतु बुलाया गया है। हम सभी ईश्वर और अपने पड़ोसियों की सेवा प्रेम में करने हेतु बुलाये गये हैं।
प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि कतेरी का जीवन हमारे लिए प्रेरितिक उत्साह का साक्ष्य प्रस्तुत करता है जहाँ हम उसे येसु के संग एक गहरे संबंध में पाते हैं, जो प्रार्थना और संस्कार के द्वारा पोषित हुआ। अपने जीवन की खास बुलाहट के प्रति निष्ठावान रहते हुए उसने ख्रीस्तीय संदेश की सुन्दरता को प्रसारित किया। उन्होंने कहा,“कतेरी के अंतिम वचन अति सुन्दर थे जिसे उसे मरने के पूर्व उच्चरित किया, “येसु, मैं तुम्हें प्रेम करती हूँ।”
हम भी संत कतेरी तेक्कविथा की भांति ईश्वर से अपनी शक्ति प्राप्त करें और साधारण चीजों को असाधारण रूप में करे तथा अपने रोज दिन के विश्वास, प्रेम में बढ़ते हुए ख्रीस्त का साक्ष्य उत्साह में दे सकें।
संत पापा ने पुनः याद दिलाते हुए कहा कि हम इस बात को न भूलें की हम सभी पवित्रता हेतु बुलाये गये हैं, अपने पूरे जनसामान्य ख्रीस्तीय जीवन में। यह हममें से प्रत्येक की बुलाहट है, हम इस मार्ग में आगे बढ़ें। ईश्वर हमें कभी असफल होने नहीं देंगे।
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