यूक्रेन एवं विश्व में शांति हेतु प्रार्थना करने के लिए पोप फातिमा जायेंगे
अंद्रेया तोरनियेल्ली
संत पापा फ्राँसिस, फातिमा की माता मरियम के तीर्थस्थल पर दूसरी बार लौटनेवाले हैं, जहाँ 1917 के मई महीने में तीन चरवाहे बच्चों - जिनमें से दो संत बन चुके हैं और तीसरी संत बनने के रास्ते पर है- उन्होंने माता मरियम से मानवता के भविष्य के बारे संदेश पाया था। फातिमा में कुछ देर रूकने को, जहाँ वे शनिवार 5 अगस्त को हेलीकॉफ्टर से पहुँचेंगे, बाद में जोड़ा गया है क्योंकि पोप की तीर्थयात्रा में पहले केवल विश्व युवा दिवस के लिए लिस्बन में रुकने की परिकल्पना की गई थी।
संत पापा फ्राँसिस इस प्रसिद्ध मरियम तीर्थस्थल पर पहले ही मई 2017 में, माता मरियम के दिव्यदर्शन प्राप्त करनेवाले फ्रंचेस्को एवं जसिन्ता मारतो की संत घोषणा के अवसर पर जा चुके हैं। वास्तव में, फातिमा की माता मरियम के चरणों में पुनः जाने का उनका निर्णय अर्थपूर्ण है और पोप के वहाँ जाने का मकसद युद्ध की त्रासदी से जुड़ा है,जो रूसी सेना द्वारा "पीड़ित यूक्रेन" पर बमबारी के कारण हुआ है, लेकिन वे दुनिया में चल रहे कई भूले हुए युद्धों से भी प्रार्थना करना चाहते हैं।
यह रोम के धर्माध्यक्ष की एकजुटता का चिन्ह है जिसको एक अन्य चिन्ह के साथ जोड़ा जा सकता है जिसको उन्होंने रूस और यूक्रेन को माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पित कर प्रकट किया था। माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पण संत पेत्रुस महागिरजाघर में 25 मार्च 2022 को किया गया था। वास्तव में, रूस के समर्पण के बारे फातिमा के छोटे चरवाहों को दिव्य दर्शन में कहा गया था। 16 महीनों पहले संत पापा ने इस प्रकार प्रार्थना की थी, “हमने शांति के रास्ते को खो दिया है। हमने पिछली शताब्दी की त्रासदी, लाखों लोगों के बलिदान की सीख को भुला दिया है जो विश्व युद्धों में मारे गये। हमने राष्ट्रों के समुदाय के रूप में ली गई प्रतिबद्धता पर ध्यान नहीं दिया है और हम लोगों के शांति के सपनों एवं युवाओं की आशा को नष्ट किया है, हे सागर की रानी हमें युद्ध के तूफान में बर्बाद न होने दें...हमें युद्ध से मु्क्त कर, दुनिया को परमाणु के भय से मुक्त कर।”
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