संत पापा ने ख्रीस्तियों के गवाह नये शहीदों के आयोग की स्थापना की
वाटिकन समाचार
वाटिकन सिटी, बुधवार 5 जुलाई 2023 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 5 जुलाई को एक पत्र के जारी कर, 2025 की जयंती को ध्यान में रखते हुए, संत प्रकरण हेतु बने विभाग में "नए शहीदों के आयोग - विश्वास के गवाह" की स्थापना की। कार्य समूह का उद्देश्य होगा उन सभी की एक सूची तैयार करना जिन्होंने मसीह को स्वीकार करने और सुसमाचार की गवाही देने के लिए अपना खून बहाया है।
संत पापा फ्राँसिस पत्र में लिखते हैं, “कलीसिया में शहीद उस आशा के गवाह हैं जो ईसा मसीह में विश्वास से आती है और सच्ची दानशीलता के लिए प्रेरित करती है। आशा इस गहन विश्वास को जीवित रखती है कि अच्छाई बुराई से अधिक मजबूत है, क्योंकि मसीह में ईश्वर ने पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त की है। आयोग सदी की पहले पच्चीस वर्षों में विश्वास के साक्षियों की पहचान करने और फिर भविष्य में भी जारी रखने के लिए 2000 की महान जयंती के अवसर पर शुरू किए गए शोध को जारी रखेगा।
संत पापा फ्राँसिस आगे लिखते हैं, "शहीद हर युग में कलीसिया के जीवन के साथ रहे हैं और आज भी 'प्रभु की दाखलता के पके और उत्कृष्ट फल' के रूप में फलते-फूलते हैं... हमारे समय में शहीद पहली शताब्दियों की तुलना में अधिक संख्या में हैं: वे धर्माध्यक्ष, पुरोहित, समर्पित पुरुष और महिलाएं, लोक धर्मी एवं परिवार के लोग, जिन्होंने दुनिया के विभिन्न देशों में, अपने जीवन का बलिदान कर, दान का सर्वोच्च प्रमाण पेश किया है।"
इसे ही संत पापा फ्राँसिस ने बार-बार 'रक्त की सार्वभौमवाद' कहा है।
'रक्त की सार्वभौमवाद'
संत जॉन पॉल द्वितीय ने अपने पत्र तेर्सियो मिलेनियो एडवेनिएंटे में पहले ही पुष्टि की थी कि यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया जाना चाहिए कि "ईश्वर के महान उद्देश्य के अज्ञात सैनिकों" की विरासत खो न जाए और 7 मई 2000 को इन शहीदों को एक ख्रीस्तीय वर्धक एकता समारोह के दौरान याद किया गया, जिसमें दुनिया भर से कलीसियाओं और धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधि रोम के धर्माध्यक्ष के साथ कोलोसियम में एकत्र हुए थे।
संत पापा कहते हैं, "अगली जयंती में भी हम इसी तरह के समारोह के लिए एक साथ आ पाएंगे। इस पहल का उद्देश्य शहादत के विहित मूल्यांकन के लिए नए मानदंड स्थापित करना नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए शुरू किए गए सर्वेक्षण को जारी रखना है, जो आज भी सिर्फ इसलिए मारे जा रहे हैं क्योंकि वे ख्रीस्तीय हैं। इसलिए हमारे इन बहनों और भाइयों का जीवन, खून बहाने तक की गवाही इकट्ठा करने के लिए ऐतिहासिक सर्वेक्षण, ताकि उनकी स्मृति ख्रीस्तीय समुदाय के लिए एक खजाने के रूप में सामने आएगा। शोध न केवल काथलिक कलीसिया से संबंधित होगा, बल्कि सभी ख्रीस्तीय संप्रदायों के लिए होगा।"
ख्रीस्तीय शहीदों की एकल आवाज
संत पापा फ्राँसिस ने आगे लिखा कि "हमारे इस समय में भी, जिसमें हम युग परिवर्तन देख रहे हैं, ख्रीस्तीय, बड़े जोखिम में भी बपतिस्मा प्राप्त शक्ति को दिखाना जारी रखते हैं जो हमें एकजुट करती है। वास्तव में, कई ऐसे हैं जो, अपने सामने आने वाले खतरों से अवगत होने के बावजूद, अपना विश्वास प्रकट करते हैं या रविवारीय यूखरिस्त में भाग लेते हैं। अन्य लोग गरीबों की मदद करने, समाज द्वारा त्याग दिए गए लोगों की देखभाल करने, शांति के उपहार और क्षमा की शक्ति को संजोने और बढ़ावा देने के प्रयास में मारे जाते हैं। अन्य लोग, व्यक्तिगत रूप से या समूहों में, इतिहास की उथल-पुथल के मूक पीड़ित हैं। उन सभी के प्रति हमारा बहुत बड़ा ऋण है और हम उन्हें नहीं भूल सकते।"
इसलिए आयोग का काम शहीदों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर, कलीसिया द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त, "हमारे इन भाइयों और बहनों की प्रलेखित गवाही को एक विशाल परिदृश्य में प्रस्तुत करना संभव बना देगा, जिसमें शहीदों की एकल आवाज होगी।"
संत पापा फ्राँसिस ने पत्र को अंत करते हुए लिखा, "ऐसी दुनिया में जहां कभी-कभी बुराई हावी होती दिखती है - मुझे यकीन है कि शहीदों की सूची का विस्तार, अब आने वाले जयंती के संदर्भ में भी, विश्वासियों को ईस्टर के प्रकाश में जीवन और अच्छाई के कारणों को पढ़ने में मदद करेगा।"
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