पोप : ईश्वर के अमूल्य प्रेम को खोजें, पायें और अपनायें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, रविवार, 29 जुलाई 23 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 29 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, “आज का सुसमाचार पाठ व्यापारी का दृष्टांत सुनाता है जो बहुमूल्य मोती की खोज में है, जिसके बारे येसु कहते हैं कि “एक बहुमूल्य मोती पाने पर वह जाता और अपना सब कुछ बेचकर उस मोती को मोल ले लेता है।” (मती 13:46)
संत पापा ने व्यापारी के कार्य की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जो बहुमूल्य मोती को सबसे पहले खोजता है, उसे पाता है और अंततः उसे खरीद लेता है।
जिज्ञासा से खोज करना
संत पापा ने कहा, “वह एक उद्यमी व्यापारी है, जो चुपचाप खड़ा नहीं रहता, लेकिन अपना घर छोड़ता और बहुमूल्य मोती की खोज में बाहर निकलता है। वह नहीं कहता है कि मेरे पास जो है उसे मैं संतुष्ट हूँ। वह अधिक सुन्दर मोती की खोज करता है। और यह हमारे लिए निमंत्रण है कि हम अपनी आदतों में बंद न रहें, उन लोगों के औसत दर्जे में जो आत्मसंतुष्ट हैं, बल्कि इच्छा को पुनजागृत करने के लिए: अच्छाई के सपनों को विकसित करने के लिए, ईश्वर की नवीनता की तलाश करने के लिए क्योंकि ईश्वर में कोई दोहराव नहीं है, वे हमेशा नयापन लाते हैं, हमेशा जीवन की वास्तविकताओं को नया बनाते हैं। (प्रकाश. 21:5)
आँखें सजग रखना
व्यापारी का दूसरा कार्य है पाना। वह एक चालाक व्यक्ति है जिसकी आँखें सजग हैं और वह अधिक कीमती मोती को पहचान सकता है। यह आसान काम नहीं है। संत पापा ने सड़क के किनारे लगाये गये दुकानों पर समानों की खोज करते लोगों का उदाहरण देते हुए कहा, “कभी-कभी इन बाजारों में, अगर कोई करीब से देखने के लिए रुकता है” तो वह कीमती और दुर्लभ वस्तुएँ खोज लेता है जो बाकी सभी चीजों के साथ मिश्रित होती हैं, जिसपर पहली नजर में किसी का ध्यान नहीं जाता।”
दृष्टांत के व्यापारी की आँखें सजग हैं और मोती खोजना एवं उसे परखना जानती है। यह भी हमारे लिए एक सीख है : हरेक दिन, घर में, सड़क पर, काम में, छुट्टी के समय हमारे लिए अच्छाई की परख करने का अवसर मिलता है। और यह महत्वपूर्ण है कि हम उन चीजों पर ध्यान देना, जीवन के उन अनमोल रत्नों को पहचानना और व्यर्थ की चीजों से उन्हें अलग करना सीखें जो अर्थपूर्ण हैं।
संत पापा ने कहा, “आइये, हम मामूली चाजों एवं मन-बहलाव की चीजों पर समय और स्वतंत्रता खर्च न करें जो हमें अंदर से खाली छोड़गा, जबकि जीवन हमें हर दिन प्रभु मिलन और दूसरों से मुलाकात करने का अमूल्य रत्न प्रदान करता है।
अपने जीवन में अपनाना
संत पापा ने दृष्टांत के व्यापारी के अंतिम कार्य पर प्रकाश डालते हुए कहा, “व्यापारी मोती को खरीद लेता है।” इसके महान मूल्य को समझते हुए, वह अपना सब कुछ बेच देता है, इसे पाने के लिए अपना सारा सामान कुर्बान कर देता है। “वह अपने गोदाम की सूची में मौलिक परिवर्तन करता है; उस मोती के अलावा अब उसके पास कुछ भी नहीं है: यही उसका एकमात्र धन है, उसके वर्तमान और उसके भविष्य का अर्थ।
संत पापा ने विश्वासियों से कहा कि यह हमारे लिए भी एक निमंत्रण है। लेकिन यह कौन सी मोती है जिसके लिए हम अपना सब कुछ छोड़ सकते हैं, और जिसके बारे प्रभु बोल रहे हैं? वे स्वयं येसु हैं! वे जीवन के अमूल्य रत्न हैं, जिन्हें खोजा, पाया और अपनाया जाना चाहिए। उन्हीं में अपना सब कुछ खोजना महत्वपूर्ण है क्योंकि व्यक्ति जब उनसे मुलाकात करता है तो जीवन बदल जाता है।
मेरा खजाना क्या है?
व्यापारी के इन विवेकपूर्ण कार्यों को अपनाने की सलाह देते हुए संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों को चिंतन हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “हम खुद से कुछ प्रश्न पूछें। क्या मैं अपने जीवन में खोज रहा हूँ? क्या मैं अच्छा महसूस करता हूँ, निपुण हूँ, क्या मैं संतुष्ट हूँ, या क्या मैं भलाई की अपनी इच्छा का प्रयोग करता हूँ?” क्या मैं आत्मपरख का अभ्यास करता हूँ कि क्या अच्छा है और क्या ईश्वर की ओर से आता है, उन चीजों का परित्याग कर सकता हूँ जो मुझे थोड़े में या खाली हाथ छोड़ देता है? क्या मैं अपने आपको येसु के लिए खर्च करना जानता हूँ? क्या वे मेरे लिए पहला स्थान रखते हैं? क्या वे मेरे जीवन के लिए महान खजाने हैं? आज हमारे लिए यह कहना उचित होगा, “प्रभु आप मेरे महान खजाने हैं।”
तब संत पापा ने माता मरियम से इस प्रकार प्रार्थना की, “मरियम हमें येसु को खोजने, पाने और सारे हृदय से अपनाने में मदद करें।” इतना कहने के बाद उन्होंने भक्त समुदाय से साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितक आशीर्वाद दिया।
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