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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

देवदूत प्रार्थना में पोप : छोटे लोग ईश्वर के प्रेम का स्वागत करना जानते हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे ईश्वर के महान और अच्छे कार्यों से अपने आपको विस्मित होने दें जो चुपचाप दुनिया को बदल देता है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 9 जुलाई 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 9 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित अपने संदेश में, आज के सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया।

सुसमाचार पाठ में येसु पिता को सम्बोधित कर कहते हैं, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपाकर रखाकर निरे बच्चों पर प्रकट किया है।”(मती. 11:25) लेकिन येसु किन चीजों के बारे बोल रहे हैं? और ये निरे बच्चे कौन हैं जिनके लिए इन चीजों को प्रकट किया गया है? संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “आइये हम चिंतन करें : उन चीजों पर जिनके लिए येसु पिता को धन्यवाद देते हैं और निरे बच्चे जो स्वागत करना जानते हैं।”

ईश्वर का मुक्तिदायी एवं चंगा करनेवाला प्रेम

पिता को धन्यवाद देने के ठीक पहले येसु ने अपने कुछ कार्यों की याद दिलायी थी, “अंधे देखते हैं, लंगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है और धन्य है वह जिनका विश्वास मुझपर से नहीं उठता!” (मती. 11:5) संत पापा ने कहा कि येसु प्रकट करते हैं कि इसका क्या अर्थ है। वे बतलाते हैं कि इन चिन्हों से मालूम होता है  कि ईश्वर दुनिया में क्रियाशील हैं।

छोटे लोग ईश्वर के महान प्रेम का स्वागत कर सकते हैं

संदेश स्पष्ट है – ईश्वर लोगों को मुक्त और चंगाकर अपने आपको प्रकट करते हैं, एक मुफ्त प्रेम से जो बचानेवाला है। यही कारण है कि येसु पिता को धन्यवाद देते हैं, क्योंकि उनकी महानता उनके प्रेम में प्रकट होती है और वे प्रेम रहित काम कभी नहीं करते। लेकिन उनके बेशर्त प्रेम को वे लोग नहीं समझ पाते जो खुद को महान समझते एवं अपनी ही छवि में एक देवमूर्ति बनाते हैं- शक्तिशाली, कठोर और प्रतिशोधी। दूसरे शब्दों में, जो लोग खुद से भरे हैं, घमंडी हैं, जो सिर्फ अपने लाभ की चिंता करते, सोचते हैं कि उन्हें किसी की जरूरत नहीं है वे ईश्वर को पिता के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते। इस संबंध में, येसु तीन धनी शहरों का नाम लेते हैं – खोराजिन, बेथसाईदा और खपरनाहूम – जहाँ उन्होंने कई चमत्कार दिखाये थे लेकिन वहाँ के निवासी उनके उपदेश पर उदासीनता बने रहे। उनके लिए ये चमत्कार सिर्फ प्रदर्शनी बनकर रह गई, सिर्फ खबर बनी और केवल चर्चा का विषय।

जब उनकी रूचि खत्म हो गई, तब उन्होंने उसे संग्राहालय में रख दिया, शायद हो सकता है कि वर्तमान के कुछ दूसरे नये कामों में व्यस्त होने के कारण। उन्हें मालूम ही नहीं हुआ कि वे ईश्वर के महान चीजों का स्वागत कैसे करें।  

दूसरी ओर, छोटे बच्चे जानते हैं कि स्वागत कैसे किया जाना है और येसु उनके लिए पिता को धन्यवाद देते हैं : “पिता मैं तेरी स्तुति करता हूँ” क्योंकि तूने स्वर्ग राज्य को छोटे बच्चों के लिए प्रकट किया है। वे उन लोगों की प्रशंसा करते हैं जिनका हृदय उपधारणा और स्वार्थ से मुक्त है। छोटे लोग वे लोग हैं जो बच्चों के समान उनकी आवश्यकता महसूस करते और आत्मनिर्भर नहीं होते। वे ईश्वर के लिए खुले हैं और उनके कार्यों से आश्चर्य चकित होते हैं। वे चिन्हों को समझना जानते हैं, उनके प्रेम के चमत्कार पर आश्चर्य करते हैं।

भले कार्य दुनिया बदल सकते हैं

भाइयो एवं बहनो, यदि हम अपने जीवन पर चिंतन करेंगे तो पायेंगे कि यह चमत्कारों से भरा है, यह प्रेम के कार्यों से भरा है, ईश्वर की भलाई के चमत्कारों से भरा है। इन सबके सामने हमारा हृदय भी उदासीन बना रहता है और हम इनके आदी बन जाते हैं। हम उत्सुक होते लेकिन आश्चर्य नहीं कर पाते, प्रभावित नहीं होते। प्रभावित करना एक सुन्दर क्रिया है जिससे मानस पटल पर एक चित्र उभरता है। यही ईश्वर के कार्य के सामने सही व्यवहार है कि उनके कार्यों का एक फोटोग्राफ अपने मन में खींचें, ताकि यह हमारे हृदय को प्रभावित करे और कई अच्छे कार्यों के द्वारा यह हमारे जीवन में विकसित होगा। इस तरह ईश्वर के प्रेम की यह तस्वीर हममें और हमारे द्वारा अधिक उजला बनता है।  

चिंतन

संत पापा ने विश्वासियों को अपने आपकी जाँच करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “और अब आइये हम अपने आपसे पूछें: खबरों की बाढ़ में, जो हमें अभिभूत कर देती है, क्या मैं, जैसा कि येसु आज हमें दिखाते हैं, जानता हूँ कि ईश्वर द्वारा किए जानेवाले महान कार्यों से पहले खुद को कैसे रोकूं?” क्या मैं खुद को उस अच्छाई पर एक बच्चे की तरह आश्चर्यचकित होने की इजाजत देता हूँ जो चुपचाप दुनिया को बदल देता है?

तब कुँवारी मरियम से प्रार्थना करते हुए संत पापा ने कहा, “कुँवारी मरियम, जो प्रभु में ऊपर उठायी गईं, हमें उनके प्रेम में विस्मय करने और सरलता पूर्वक उन्हें धन्यवाद देने में हमारी मदद करें।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  

 

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09 July 2023, 13:02