आसनसोल धर्मप्रांत के नये धर्माध्यक्ष की नियुक्ति
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार 3 जुलाई 2023 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने भारत के आसनसोल धर्मप्रांत के नये धर्माध्यक्ष के रूप में उसी धर्मप्रांत के फादर एलियास फ्रैंक को नियुक्त किया है, जो वर्तमान में रोम में परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय में कैनन लॉ के प्रोफेसर हैं।
संक्षिप्त जीवनी
नवनियक्त धर्माध्यक्ष एलियास फ्रैंक का जन्म 15 अगस्त 1962 को मैंगलोर धर्मप्रांत के बंटवाल में हुआ था। बारासात में संत जॉन मेरी वियन्नी माइनर सेमिनरी में पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने बैरकपुर में मॉर्निंग स्टार रीजनल सेमिनरी में दर्शनशास्त्र और रोम में परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र का अध्ययन किया।
23 अप्रैल 1993 को कलकत्ता महाधर्मप्रांत के लिए उनका पुरोहिताभिषेक किया गया था। जब 1997 में आसनसोल धर्मप्रांत बनाया गया, तो उन्हें नए धर्मप्रांत में शामिल किया गया।
उन्होंने निम्नलिखित कार्यालय संभाले हैं साथ ही आगे की पढ़ाई भी की :
पुरोहिताभिषेक के बाद उन्होंने बर्दवान में सेक्रेड हार्ट पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित (1993-1995 और 1996-1999) और बासिंडा में ख्रीस्त ज्योति पल्ली के प्रशासक (1995-1996) रहे। वे कैनन लॉ में आगे की पढ़ाई करतने के लिए रोम आये और परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय से (1999 -2001) लाइसेंस किया और (2001-2002) में कानून में डिप्लोमा हासिल की। वे (2002-2003) में दुर्गापुर के संत तेरेसा लिसियुस पल्ली के प्रशासन बने। फिर (2003-2004) में परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय में कैनन लॉ में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। भारत लौटकर वे बर्दवान में सेक्रेड हार्ट पल्ली के पल्ली पुरोहित और कलकत्ता के अंतर-धर्मप्रांतीय न्यायालय में रहे। 2007 से, परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय में कैनन लॉ के प्रोफेसर; 2020 से, रोम में अल्फोंसियन अकादमी में अतिथि प्रोफेसर हैं। वे दिव्य भक्ति एवं संस्कार संबंधी परमधर्मपीठीय विभाग के सलाहकार, विश्वास के सिद्धांत के लिए बने विभाग में वैवाहिक मामलों के आयुक्त और रोम के विकारिएट के ट्रिब्यूनल में बाहरी न्यायाधीश भी हैं।
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