वयोवृद्धों को समर्पित विश्व दिवस हेतु सन्त पापा का सन्देश
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर - वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, गुरुवार, 15 जून 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वयोवृद्धों को समर्पित विश्व दिवस हेतु सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश की प्रकाशना वाटिकन प्रेस ने गुरुवार को की। इसमें सन्त पापा ने वयोवृद्धों, नाना-नानियों एवं दादा-दादियों की भूमिका को समाज के लिये महत्वपूर्ण बताकर कहा है कि ईश्वर चाहते हैं कि युवा लोग बुज़ुर्गों के दिलों में खुशी लाएँ और उनके अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करें।
वयोवृद्ध महान सहायक
कलीसिया द्वारा घोषित वयोवृद्धों को समर्पित विश्व दिवस सन्त अन्ना एवं सन्त याआखिम के पर्व दिवस पर 23 जुलाई को मनाया जायेगा। सन्देश में सन्त पापा कहते हैं कि प्रभु ईश्वर को भरोसा है कि युवा लोग, बुजुर्गों के साथ अपने संबंधों के माध्यम से, महसूस करेंगे कि उन्हें स्मृति विकसित करने और एक महान इतिहास का हिस्सा होने के सौन्दर्य को पहचानने के लिए बुलाया गया है। एक वृद्ध व्यक्ति के साथ दोस्ती युवाओं को न केवल वर्तमान के सन्दर्भ में जीवन को देखने में मदद कर सकती है, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिये भी तैयार कर सकती है।
साथ ही, युवाओं को इस बात का एहसास दिला सकती है कि सब कुछ उन पर और उनकी क्षमताओं पर निर्भर नहीं करता है। दूसरी ओर, जीवन में एक युवा व्यक्ति की उपस्थिति बुजुर्गों के लिए आशा का स्रोत बन सकती है ताकि वे अपनी स्मृतियों को न खोयें और अपने अनुभवों से युवाओं एवं बच्चों के जीवन को सुगम बनाने में योगदान दे सकें।
ईश कृपा पर प्रसन्न होवें
सन्त पापा ने कहा, कि पवित्र कुँवारी मरियम की अपनी बहन एलीज़ाबेथ के यहाँ भेंट हमें ईश्वर की दया के प्रति सचेत कराती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहती है। ईश्वर की दया हमें यह स्मरण दिलाती है कि हम अकेले कुछ नहीं कर सकते, अकेले हम आगे बढ़ने में असमर्थ हैं, मुक्ति पाने में असमर्थ हैं। ईश्वर की उपस्थिति और ईश्वर के कार्य ही हमारा इतिहास है, इसलिये हम मरियम के सदृश ईश्वर में प्रसन्न होवें, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आश्चर्य के कार्यों द्वारा मानव जाति में क्रियाशील रहते हैं।
सन्त पापा ने कहा कि हम याद रखें कि हमारी आकाँक्षाएँ और हमारे सपने यों ही पूरे नहीं हो जाते बल्कि ये विकास एवं परिपक्वता की प्रक्रिया द्वारा तथा अन्यों के साथ सम्वाद एवं एवं सम्बन्धों के माध्यम से पूरे होते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग केवल यहाँ और अभी पर ध्यान देते हैं, धन और संपत्ति पर ध्यान देते हैं, "अभी सब कुछ पाने" पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वे ईश्वर के कार्य करने के तरीकों के प्रति अंधे हो जाते हैं, जबकि ईश्वर की प्रेमपूर्ण योजना अतीत, वर्तमान और भविष्य तक फैली हुई है; वह पीढ़ियों का आलिंगन करती और उन्हें जोड़ती है।
युवाओं के लिए, सन्त पापा ने कहा, इसका मतलब है कि क्षणभंगुर उपस्थिति से मुक्त होने के लिए तैयार होना जिसकी आभासी वास्तविकता हमें फंसा सकती है और हमें कुछ उत्पादक करने से रोक सकती है। बुजुर्गों के लिए, इसका अर्थ है शारीरिक शक्ति के नुकसान पर ध्यान न देना और छूटे हुए अवसरों पर दुख न करना। सन्त पापा ने कहा, हम सब आगे देखें! और अपने आप को ईश्वर की कृपा से आकार लेने दें, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमें जड़ता से और सदैव अतीत की यादों में रहने से मुक्त करती है!
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