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संयुक्त राज्य अमेरिका में एक  निर्माण साइट पर  काम करते श्रमिक संयुक्त राज्य अमेरिका में एक निर्माण साइट पर काम करते श्रमिक  (AFP or licensors)

संत पापा ने आईएलओ सम्मेलन में गरिमा, एकजुटता, सहायकता को रेखांकित किया

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा आयोजित 2023 विश्व कार्य शिखर सम्मेलन में, वाटिकन राज्य सचिव, कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन, संत पापा का संदेश पढ़ते हैं जिसमें वे सभी को एक नया रास्ता तय करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो काम की दुनिया में, मानवीय गरिमा, एकजुटता और सहायकता के सिद्धांतों का समर्थन करता है और वंचितों का समर्थन करने के लिए सामाजिक न्याय लागू करता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

जिनेवा, शुक्रवार 16 जून 2023 (वाटिकन न्यूज) : वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा आयोजित 2023 विश्व कार्य शिखर सम्मेलन के लिए संत पापा फ्राँसिस के संदेश को पढ़ा। "सभी के लिए सामाजिक न्याय" विषय पर चर्चा करने के लिए 14-15 जून के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के विशेषज्ञ एकत्रित हुए थे।

बुधवार 14 जून को बोलते हुए, कार्डिनल पारोलिन ने बैठक में घोषित "सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन" के लॉन्च की प्रशंसा की और इसे "प्रशंसनीय पहल" कहा, जो कि काथलिक कलीसिया के विश्वासियों को जिम्मेदार नागरिक होने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, विशेष रूप से कार्यस्थल में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अपने साधन उपलब्ध कराकर और सबसे बढ़कर, कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत को साझा करके।"

शांति के लिए प्रतिबद्धता

संदेश में संत पापा ने दुनिया में वर्तमान की कई संघर्षों और अस्थिरता को याद किया और आशा व्यक्त की कि सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन शांति को बढ़ावा देने में काथलिक कलीसिया योगदान दे सकता है। आधुनिक दुनिया में शांति की प्रतिबद्धता के साथ न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को निकटता से जोड़ा जाना चाहिए।

संत पापा ने स्वीकार किया कि सामाजिक न्याय द्वारा समर्थित शांति की यह दृष्टि काल्पनिक लग सकती है, विशेष रूप से हमारी दुनिया में उन लाखों लोगों के लिए जो "अक्सर आर्थिक हितों या अंधाधुंध शोषण की दया पर हैं, बेरोजगार या कम-रोज़गार वाले और मुश्किल से जीवित रहने में सक्षम हैं" । उन्होंने प्रवासी और शरणार्थी श्रमिकों सहित कई लोगों को याद किया, जो 3डी (डेंजरस, डर्टी एन्ड डिग्रेडिंग) "खतरनाक, गंदे और अपमानजनक" व्यवसायों को करते हैं, यह दर्शाता है कि कैसे उनकी मानवीय गरिमा "अथक रूप से रौंद दी जाती है।"

अपने संदेश में संत पापा ने कहा कि कलीसिया अच्छी तरह से जानती है कि उसके पास हर मुद्दे का समाधान नहीं है, यह "शांति के सुसमाचार की घोषणा जारी रखने और अपार सार्वभौमिक अच्छाई, सच्चे सामाजिक न्याय द्वारा पोषित शांति के उपहार की सुरक्षा में सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।"

एक नया रास्ता तय करना

पोप ने कहा कि महामारी के दौरान आने वाली चुनौतियों से पता चलता है कि एकजुटता के एक नए रास्ते पर चलना कितना महत्वपूर्ण है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम सामाजिक न्याय पर राजनीतिक चर्चाओं में संलग्न होने पर श्रम बाजार के हाशिये पर रहने वालों को "अपने दिल और दिमाग में सबसे आगे" रखें।

उन्होंने आगे कहा, यह भी महत्वपूर्ण है कि हमारे समाजों के भीतर एक अधिक सुरक्षित शांति प्राप्त करने में हाशिये पर रहने वालों को सक्रिय प्रतिभागियों के रूप में शामिल किया जाए, सामाजिक न्याय गरीबी के कारणों को दूर करने में मदद कर सकता है, जैसे: असमानता, बेरोजगारी, आवास की कमी, सामाजिक और श्रम अधिकारों से इनकार। इसका मतलब आर्थिक और सामाजिक न्याय के संकेतकों से परे देखना है।

मानवीय गरिमा, एकता, सहायकता

संत पापा ने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक न्याय को समझने और लागू करने के प्रयासों को "मानव गरिमा, एकजुटता और सहायकता" के तीन आधारशिलाओं पर टिका होना चाहिए।

सभी के ईश्वर प्रदत्त मानवीय गरिमा के लिए सम्मान "गर्भाधान से प्राकृतिक मृत्यु तक" सभी व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों और उनकी शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं सहित कल्याण की सुरक्षा का आह्वान करते हैं।

एकजुटता सभी के अंतर्संबंध और अन्योन्याश्रितता पर जोर देती है, उन्होंने इसे "प्रामाणिक संबंधों के लिए ताने-बाने" के रूप में वर्णित किया और "एक दूसरे की देखभाल करने की जिम्मेदारी का आह्वान किया, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो हाशिए पर हैं, कमजोर हैं, या अन्याय का सामना कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि हमें "भेदभाव, गरीबी, हिंसा, या अन्याय का सामना करने वालों का" साथ देने और समर्थन करने की आवश्यकता है।

संत पापा लिखते हैं कि अंत में, सहायकता पर ध्यान देने से शक्ति और निर्णय लेने के उचित वितरण में मदद मिल सकती है। बड़े संस्थान या प्राधिकरण आवश्यकता पड़ने पर समग्र सहायता प्रदान कर सकते हैं, जबकि स्थानीय व्यक्तियों और समुदायों को अपने जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने की स्वतंत्रता है, यह संतुलन शक्ति के अत्यधिक संकेन्द्रण से बच सकता है और व्यक्तियों एवं समुदायों के सशक्तिकरण और भागीदारी को अपने स्वयं के भाग्य को साकार करने में सहायता कर सकता है।

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16 June 2023, 16:13