हंगरी प्रवसन विशेषज्ञ: हम शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व हेतु काम करें
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
बुडापेस्ट, शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): हंगरी में सन्त पापा फ्राँसिस की तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा का मुख्य उद्देश्य आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की पीड़ा के प्रति विश्व का ध्यान आकर्षित कराना है। इसीलिये इस यात्रा के दौरान शनिवार को निर्धारित शरणार्थियों के साथ सन्त पापा फ्राँसिस की मुलाकात को खास स्थान दिया गया है।
द ऑर्डर ऑफ माल्टा
हंगेरियन चैरिटी सर्विस ऑफ द ऑर्डर ऑफ माल्टा लोकोपकारी धर्मसमाजी संस्था में विदेशी मामलों के निदेशक दानिएल सोलीमारी ने वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस आप्रवास मुद्दों के प्रति अति संवेदनशील हैं तथा उनका कहना है कि इस मामले में काथलिक कलीसिया एक वैश्विक शांतिदूत की भूमिका निभा सकती है।
द ऑर्डर ऑफ माल्टा के व्यापक मानवतावादी सेवा नेटवर्क के माध्यम से दानिएल सोलीमारी स्थानीय और समस्त विश्व में कल्याणकारी योजनाओं से संलग्न हैं। विगत माह सन्त पापा फ्राँसिस ने सोलीमारी को सन्त सिल्वेस्टर परमधर्मपीठीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया था।
द ऑर्डर ऑफ माल्टा एक काथलिक लोकधर्मी धर्मसमाज है जो विश्व के लगभग 120 राष्ट्रों में चिकित्सा सेवाओं एवं लोकोपकारी योजनाओं द्वारा ज़रूरतमन्दों की मदद कर रहा है। श्री दानिएल सोलीमारी 2010 से द ऑर्डर ऑफ माल्टा की हंगरी शाखा में तथा 2020 से जॉर्डन में सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं। वे सिरिया तथा उपसहारा अफ्रीकी देशों में भी सेवाएँ अर्पित कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने शरणार्थियों और आप्रवासियों के पक्ष में सन्त पापा के प्रेरितिक कार्यों पर कई पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।
सन्त पापा के संदेश की प्रासंगिकता
हंगरी में सन्त पापा फ्राँसिस की तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के सम्बन्ध में वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में श्री सोलीमारी ने कहा, "सन्त पापा फ्रांसिस की यात्रा हमें आगे की ज़िम्मेदारियों और कार्यों के लिए सुदृढ़ और प्रेरित करती है। यह मुझे एक हजार साल के इतिहास वाले एक अपेक्षाकृत छोटे से देश की सेवा करने हेतु समर्थन एवं प्रोत्साहन प्रदान करती है, जो कि सम्पूर्ण कलीसिया के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "यह गंभीरता से लेने और उन जरूरी कार्यों को करने के लिए एक ज़िम्मेदारी भी है, जिसके लिये हमें सन्त पापा फ्रांसिस और परमधर्मपीठ से निर्देश मिला है।" उन्होंने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में तथा "आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के सन्दर्भ में यह विशिष्ट कार्य और भी अधिक अनिवार्य हो गया है।"
प्रवसन की जड़ें
प्रवसन सम्बन्धी सम्स्याओं के समाधान हेतु धारणीय निदानों का सुझाव देते हुए श्री सोलीमरी ने कहा, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रवसन उत्तरी अफ्रीका के तटों पर नहीं अपितु यह हमेशा एक महाद्वीपीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर शुरू होता है। हमें स्थानीय समुदायों को मजबूत करना होगा, और जब तक हम समस्याओं की जड़ों तक नहीं पहुँचेंगे तब तक हम इस समस्या का प्रभावी ढंग से जवाब नहीं दे पाएंगे, जिसके लिए पूरे विश्व में सहयोग की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि स्थानीय स्तर पर सहायता प्रदान करने से परे जहाँ समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, एकीकरण को बढ़ावा देने की पहल, सबसे महत्वपूर्ण समाधान हो सकता है।"
शरणार्थी चुनौती
यूक्रेनी शरणार्थियों के विषय में उन्होंने कहा, "हंगरी यूक्रेन का पड़ोसी देश है, और इस संदर्भ में, यूक्रेन से पलायन करनेवाले शरणार्थियों के लिए हंगरी पहला सुरक्षित देश है। यह वास्तव में एक जिम्मेदारी है जिसे हंगरी ने गंभीरता से लिया है।" उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि यूक्रेन के पश्चिमी भाग में हंगेरियन पृष्ठभूमि वाली हंगेरियन-भाषी आबादी है, "जो हंगरी के लिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी है।"
उन्होंने स्पष्ट किया, "लाखों लोगों ने यूक्रेन छोड़ दिया है, जो 2015 के शरणार्थी संकट के बाद से यूरोप में सबसे बड़ी शरणार्थी चुनौती है। आंतरिक रूप से विस्थापित लाखों लोग यूक्रेन के पश्चिमी हिस्सों में इंतजार कर रहे हैं। उनके घर लौटने की संभावना अभी भी बहुत अस्पष्ट है।"
हंगरी की आप्रवास नीतियाँ
हंगरी में व्याप्त अनुचित आप्रवास नीतियों का जवाब देते हुए, दानिएल सोलिमारी ने कहा, "आज हमारे आसपास की दुनिया वास्तव में आप्रवास के दृष्टिकोण से जटिल सामाजिक मुद्दों को सरल बना रही है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सताए गए लोगों और शरणार्थियों की मदद करना, विशेष रूप से ख्रीस्तीय दृष्टिकोण से, एक बुनियादी मानवीय मुद्दा है, तथापि मेज़बान देश की अपनी आबादी की भी राज्य के प्रति वैध आवश्यकताएं और कर्तव्य हैं।"
काथलिक कलीसिया को वैश्विक शांति का अभिनायक निरूपित कर उन्होंने कहा कि वस्तुतः काथलिक नागरिक वैश्विक प्रक्रियाओं को आकार देने में भी भाग ले सकते हैं और सार्थक योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा, "काथलिक कलीसिया, जो प्रायःबाहर से दुनिया में केवल एक आध्यात्मिक अभिनेता के रूप में दिखाई देती है, अंतर्राष्ट्रीय शांति निर्माण और वैश्विक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।"
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