साप्ताहिक आम दर्शन समारोह की तस्वीरः 01.09.2021 साप्ताहिक आम दर्शन समारोह की तस्वीरः 01.09.2021 

आर्खे न्यास के सदस्यों को सन्त पापा फ्राँसिस ने किया सम्बोधित

"आर्खे" पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "आर्खे" शब्द मूल, शुरुआत या आदि का स्मरण दिलाता है, और हम जानते हैं कि शुरुआत में या आदि में है प्रेम, ईश्वर का प्रेम। वह सब कुछ जो जीवन है, वह सब कुछ जो सुन्दर है, शुभ है, सत्य है, वह सब वहीं से यानि ईश्वर से आता है, जो प्रेम हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरुवार, 2 सितम्बर 2021 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को वाटिकन में, बच्चोंवाली माताओं को सहायता प्रदान करनेवाले ख्रीस्तीय संगठन "आर्खे" के सदस्यों का स्वागत कर उन्हें सम्बोधित किया। उन्होंने संगठन के अध्यक्ष डॉन जुसेप्पे बेत्तोनी के नेतृत्व में रोम आये सदस्यों का अभिवादन किया तथा विगत तीस वर्षों से बच्चोंवाली माताओं के पक्ष में कार्य करने के लिये उनकी सराहना की।

आर्खें, मूल, आदि  

संगठन के नाम "आर्खे" पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "आर्खे" शब्द मूल, शुरुआत या आदि का स्मरण दिलाता है, और हम जानते हैं कि शुरुआत में या आदि में है प्रेम, ईश्वर का प्रेम। वह सब कुछ जो जीवन है, वह सब कुछ जो सुन्दर है, शुभ है, सत्य है, वह सब वहीं से यानि ईश्वर से आता है, जो प्रेम हैं। जैसे हृदय के अन्तर में से, माँ के गर्भ से मानव जीवन प्रस्फुटित होता है, वैसे ही माता के गर्भ से येसु उत्पन्न हुए, जो देहधारी प्रेम हैं।"  

सन्त पापा ने कहा, "इसी परिप्रेक्ष्य में, आरम्भ में छवियाँ हुआ करती हैं और आपके लिये वे छवियाँ बच्चोंवाली माताओं की हैं, जिनका आप स्वागत करते तथा जिनकी सेवा आप उदारतापूर्वक करते हैं। इन बच्चों और माताओं को आपने हिंसा, शोषण एवं दुर्व्यवहार के चँगुल से निकाला है जो एक सराहनीय कार्य है।"  

दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ें

सन्त पापा ने कहा कि वे इस तथ्य से परिचित हैं कि माताओं एवं बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना तथा उनकी ज़रूरतों को पूरा करना कोई सरल काम नहीं है। इस कार्य क्षेत्र में अनगिनत समस्याएं एवं कठिनाइयाँ आती हैं, फिर भी इसे करने से जो आनन्द मिलता है वह हर्ष, स्वतंत्रता, नवजीवन एवं गरिमा के द्वारों को खोल देता है, इसलिये आप अपने मिशन में दृढ़तापूर्वक नित्य आगे बढ़ते जायें।

सन्त पापा ने कहा कि "आर्खे" संगठन उन सभी महिलाओं के लिये आशा के शरणस्थल हैं जो अपनी सन्तानों की परवरिश करने में असक्षम हैं, जो निर्धनता की शिकार हैं। तथापि, ये बेसहाय महिलाएँ ख़ुद संगठन के सदस्यों को भी सेवा के अवसर पाने का सुखद अनुभव दिलाती हैं।  

रोम में चार सितम्बर को संगठन के एक नये आश्रम के उदघाटन पर भी सन्त पापा फ्राँसिस ने "आर्खे" संगठन के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाइयाँ दीं तथा आशा व्यक्त की कि यह नया घर सभी के लिये सामीप्य, करुणा और दया का शरण स्थल सिद्ध होगा।   

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02 September 2021, 11:11