संत पापा फ्राँसिस बुडापेस्ट में कलीसियाओं की एकतावर्धक परिषद के प्रतिनिधियों और कुछ यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ संत पापा फ्राँसिस बुडापेस्ट में कलीसियाओं की एकतावर्धक परिषद के प्रतिनिधियों और कुछ यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ 

संत पापा धर्मगुरुओं से:एकता की जड़ बनें, दुनिया को खिलने दें

संत पापा फ्राँसिस ने बुडापेस्ट में कलीसियाओं की एकतावर्धक परिषद के प्रतिनिधियों और कुछ यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें अतीत के प्रति सतर्क रहने, एकता की जड़ें बनने और दुनिया को खिलने में सक्षम बनाने के लिए कहा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

बुडापेस्ट, रविवार 12 सितम्बर 2021(वाटिकन न्यूज) : संत पापा की हंगरी की छोटी यात्रा पर दूसरी घटना कलीसियाओं की एकतावर्धक परिषद के प्रतिनिधियों और कुछ यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक है। संत पापा ने बुडापेस्ट के ललित कला संग्रहालय में कलीसियाओं के एकतावर्धक परिषद के प्रतिनिधियों और कुछ यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों के परिचय भाषण के लिए धन्यवाद देते हुए उनके साथ मुलाकात करने की खुशी जाहिर की।

संत पापा ने कहा कि ये एकता की महान इच्छा के संकेत हैं। वे हमें उस यात्रा के बारे में बताते हैं, जो पिछले समय में आसान नहीं था, परंतु आपने एकता बनाये रखने के लिए साहस और भली इच्छा के साथ, एक दूसरे का समर्थन किया है, ईश्वर भी एकता में रहने वाले भाइयों और बहनों को आशीर्वाद देते हैं। संत पापा ने सभी ख्रीस्तियों से कहा कि उनकी पूर्ण सहभागिता की ओर निरंतर यात्रा में उनका समर्थन एवं आशीर्वाद है। संत पापा इस देश के आध्यात्मिक केंद्र पन्नोहाल्मा के अभय को याद करते हैं, जहां वे तीन महीने पहले एक साथ चिंतन-प्रार्थना करने के लिए आये हुए थे। एक दूसरे के लिए एक साथ प्रार्थना करने और इस दुनिया के लिए जिसे ईश्वर बहुत प्यार करते हैं, एक दूसरे के साथ दान में सहयोग करने के लिए एकत्रित हुए थे। यही पूर्ण एकता का सबसे ठोस मार्ग है।

यहूदियों को संबोधन

संत पापा ने कहा, “विश्वास के पिता अब्राहम में मेरे भाइयो, मैं अतीत में हमें अलग करने वाली दीवारों को तोड़ने के आपके प्रयासों की सराहना करता हूँ। यहूदी और ख्रीस्तीय समान रूप से, आप एक दूसरे को अब अजनबी के रूप में नहीं बल्कि मित्र के रूप में, शत्रु के रूप में नहीं बल्कि भाइयों और बहनों के रूप में देखने का प्रयास करते हैं। यह परिवर्तन परमेश्वर द्वारा आशीषित है; यह हृदयपरिवर्तन है जो नई शुरुआत को संभव बनाता है, एक शुद्धिकरण जो नया जीवन लाता है। आप इन दिनों रोश हाशनाह और योम किप्पुर के समारोहों को मना रहे है; मैं इन पर्वों के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूँ, यह आध्यात्मिक नवीकरण और अनुग्रह का समय है। हमारे पूर्वजों के ईश्वर हमें सदैव नई दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। वे हमें कड़वाहट और उदासीनता के बंजर रेगिस्तान से निकालकर उस संगति की भूमि में लाना चाहते हैं जिसके लिए हम लंबे समय से तरस रहे हैं।”

एकतावर्धक परिषद के प्रतिनिधियों को संबोधन

संत पापा ने अब्राहम का उदाहरण देते हुए कहा कि ईश्वर ने अब्राहम को अपरिचित अज्ञात देश की यात्रा में बुलाया। अब्राहम को अपना घर, परिवार और जन्मभूमि को पीछे छोड़ना पड़ा। उसी तरह जो लोग ईश्वर का अनुसरण करते हैं उन्हें कुछ चीजों को पीछे छोड़ना पड़ता है। हमें भी अपनी पिछली गलतफहमियों को पीछे छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, हमारे सही होने का दावा जबकि दूसरे गलत हैं और उस रास्ते पर चलने के लिए कहा जा रहा है जो शांति के ईश्वर की प्रतिज्ञा की ओर ले जाता है। क्योंकि उसकी योजनाएँ हमेशा शांति के लिए होती हैं और कभी भी दुर्भाग्य के लिए नहीं। (सीएफ येरे 29:11)।

चेन ब्रिज

संत पापा फ्राँसिस ने बुडापेस्ट शहर के दो हिस्सों को जोड़ने वाले चेन ब्रिज के विचारोत्तेजक छवि पर विचार करते हुए कहा कि पुल उन दो हिस्सों को आपस में नहीं जोड़ता है, बल्कि उन्हें एक साथ रखता है। ऐसा ही हमारे साथ भी होना चाहिए। जब भी हम दूसरे को अपनी ओर मिलाने की जोर जबर्दस्ती करते हैं तो हम निर्माण करने का बजाय तोड़ देते है। पूरे इतिहास में ऐसा कितनी बार हुआ है! हमें सतर्क रहना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि ऐसा दोबारा न हो। हम भाईचारे की शिक्षा को एक साथ बढ़ावा देने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करें, ताकि बंधुत्व को नष्ट करने वाली घृणा का प्रकोप कभी प्रबल न हो। मुझे लगता है कि यूरोप और अन्य जगहों पर अभी भी यहूदी विरोधी भावना का खतरा मंडरा रहा है। यह एक फ्यूज है जिसे जलने नहीं देना चाहिए और इसे शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है एक साथ काम करना, सकारात्मक रूप से, और बंधुत्व को बढ़ावा देना।

  संत पापा ने कहा कि पुल हमें एक और सबक देता है। यह कई छल्लों से बनी बड़ी जंजीरों द्वारा समर्थित है। हम वे छल्ले हैं और हम में से प्रत्येक श्रृंखला के लिए आवश्यक है। संदेह और संघर्ष के शिकार हुए बिना एक-दूसरे को जानने का प्रयास करनी चाहिए, अब हम अलग नहीं रह सकते।

एक पुल जोड़ता है। इस अर्थ में, यह हमें उस अवधारणा की याद दिलाता है, जो पवित्रशास्त्र में व्यवस्थान के ईश्वर हमें अलगाववाद या पक्षपातपूर्ण हितों के आगे नहीं झुकने के लिए कहते हैं। वे नहीं चाहते कि हम दूसरों की कीमत पर खुद को कुछ के साथ जोड़ लें। बल्कि, वे चाहते हैं कि व्यक्ति और समुदाय सभी के साथ सहभागिता का सेतु बनें। इस देश में, आप जो बहुसंख्यक धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन परिस्थितियों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार हैं जो धार्मिक स्वतंत्रता को सभी के लिए सम्मान और प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाती हैं। इसी तरह आप सभी के लिए रोल मॉडल बनने के लिए बुलाए जाते हैं। धर्मगुरुओं के मुंह से विभाजनकारी शब्द कभी न निकले वे खुलेपन और शांति की गवाही दें।

संत पापा ने कहा कि चेन ब्रिज न केवल सबसे प्रसिद्ध है, बल्कि शहर में सबसे पुराना भी है। कई पीढ़ियां इसे पार कर चुकी हैं। यह हमें अतीत पर वापस सोचने के लिए आमंत्रित करता है। जहाँ हम दुख और अंधकारमय क्षणों, गलतफहमी और उत्पीड़न का सामना करेंगे, लेकिन गहरे स्तर पर हम एक बड़ी, साझा आध्यात्मिक विरासत पाएंगे। यह बहुमूल्य विरासत हमें एक साथ मिलकर, एक अलग भविष्य का निर्माण करने में सक्षम बना सकती है।

महान कवि मिक्लोस रेडनोटी

संत पापा ने विशेष रुप से इस देश के महान कवि मिक्लोस रेडनोटी को याद किया। यहूदी होने के कारण यहूदी विरोधियों ने उनके शानदार करियर को समाप्त कर दिया। पहले उन्हें पढ़ाने से रोका और फिर उन्हें अपने परिवार से अलग कर दिया और फिर एक प्रताड़ना शिविर में कैद कर दिया गया। मानव इतिहास के सबसे अंधेरे और सबसे भ्रष्ट अध्याय में, रेडनोटी ने अपनी मृत्यु तक कविता लिखना जारी रखा। शोवाह से बचने के लिए उनकी बोर नोटबुक उनकी कविताओं का एकमात्र संग्रह था। यह शिविरों की बर्फीली ठंडक के बीच प्रेम की गर्माहट में उनके विश्वास की शक्ति की गवाही देता, आस्था के प्रकाश से घृणा के अंधेरे को रोशन करता है। लेखक, अपनी आत्मा को जकड़ने वाली जंजीरों से बंधा हुआ, एक उच्च स्वतंत्रता और यह लिखने के साहस की खोज करता है, "एक कैदी के रूप में ... मैंने वह सब भाप लिया है जिसकी मुझे आशा थी" (बोर नोटबुक, उसकी पत्नी को पत्र) उन्होंने एक प्रश्न भी रखा जो आज हमारे लिए प्रतिध्वनित होता है: “और तुम, तुम कैसे रहते हो? क्या इस समय आपकी आवाज़ में कोई प्रतिध्वनि मिलती है?” (बोर नोटबुक, फर्स्ट इकोलॉग)। संत पापा ने कहा कि हमारी आवाज, उस वचन को प्रतिध्वनित करने में असफल नहीं होना चाहिए जो हमें स्वर्ग से दिया गया है, आशा और शांति की प्रतिध्वनि। भले ही कोई नहीं सुनता या हमें गलत समझा जाता है, हो सकता है कि हमारे कार्य कभी भी उस रहस्योद्घाटन से इनकार न करें जिसके हम गवाह हैं।

फलों के लिए जड़

 अंत में, प्रताड़ना शिविर के एकांत में, रेडनोती ने महसूस किया कि उसका जीवन लुप्त हो रहा है, रेडनोती ने लिखा: "मैं अब खुद एक जड़ हूँ ... एक बार फूल था, मैं एक जड़ बन गया।" (बोर नोटबुक, रूट) संत पापा ने कहा कि हम भी जड़ बनने के लिए बुलाये गये हैं।  हम आम तौर पर फल, परिणाम या पुष्टि की तलाश करते हैं। फिर भी ईश्वर अपने वचन को पृथ्वी पर एक नरम बारिश के साथ फलदायी बनाता है जो खेतों को फूलों और फलों से भर देता है। (सीएफ इसायाह 55:10)। ईश्वर हमें याद दिलाते हैं कि हमारी विश्वास यात्राएं बीज हैं जब बीज गहरी जड़ें बन जाती हैं तब स्मृति को पोषित करती हैं और भविष्य को खिलने में सक्षम बनाती हैं। हमारे पूर्वजों के ईश्वर हमसे यही पूछते हैं - जैसा कि एक अन्य कवि ने लिखा है - "ईश्वर अन्य जगहों पर प्रतीक्षा करते हैं; वो हर चीज के नीचे इंतजार करता है। जहां जड़ें हैं। नीचे नीचे" (रेनर मारिया रिल्के, व्लादिमीर, द क्लाउड पेंटर)। हम ऊंचाइयों तक तभी पहुंच सकते हैं, जब हमारी जड़ें गहरी हों। यदि हम ईश्वर और दूसरों को सुनने में सक्षम हैं, तो हम अपने लोगों को एक दूसरे को स्वीकार करने और प्यार करने में मदद करेंगे। अगर हम शांति की जड़ और एकता के अंकुर बन जाते हैं, तभी हम दुनिया की नजरों में विश्वसनीय साबित होंगे, जो एकता की जड़ बनें, दुनिया को खिलने दें।

अंत में संत पापा ने उन्हें धन्यवाद दिया, साथ ही पूर्ण सहभागिता की ओर अपनी यात्रा में बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

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12 September 2021, 14:27