संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना : हम जीवन की रोटी येसु के साथ मित्रता में बढ़ सकें, पोप

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जिसमें येसु अपने आपको जीवन की रोटी कहते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 25 जुलाई 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक प्रासाद की खिड़की से रविवार 8 अगस्त को, देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"

आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ में, येसु उन लोगों को उपदेश देना जारी रखते हैं जिन्होंने रोटी का चमत्कार देखा था। और वे उन लोगों को निमंत्रण देते हैं कि वे एक गुणात्मक छलांग लगायें : मन्ना की याद दिलाने के बाद, जिसके द्वारा ईश्वर ने मरूभूमि की लम्बी यात्रा में पुर्वजों को पोषित किया था, अब वे अपने आप की तुलना रोटी से करते हैं। वे स्पष्ट रूप से कहते हैं : "जीवन की रोटी मैं हूँ।"(यो. 6,48).

संत पापा ने कहा, "जीवन की रोटी का अर्थ क्या है?" हमें जीने के लिए रोटी की आवश्यकता है। जो लोग भूखे हैं वे स्वादिष्ट और कीमती भोजन की मांग नहीं करते, बल्कि रोटी मांगते हैं। जो लोग बेरोजगार हैं वे अधिक वेतन की खोज नहीं करते बल्कि रोटी के लिए मेहनत करते हैं। येसु अपने आपको रोटी के रूप में प्रकट करते हैं अर्थात् दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तु के रूप में। दूसरे प्रकार की रोटी के रूप में नहीं बल्कि हर दिन के जीवन के लिए आवश्यक रोटी के रूप में। दूसरे शब्दों में, हम उनके बिना जीवित नहीं रह सकते, क्योंकि केवल वे ही हैं जो हमारी आत्मा को पोषित करते हैं। वे ही हमें बुराई से क्षमा देते हैं जबकि हम अकेले उससे ऊपर नहीं उठ सकते। वे ही हैं जो हमें प्रेम किये गये महसूस कराते हैं जब दूसरे सभी हमें निराश करते हैं। वे हमें प्रेम करने की शक्ति प्रदान करते एवं कठिन समय में क्षमा देते हैं। वे ही हृदय में वह शांति प्रदान करते हैं जिसकी खोज में हम भटकते हैं और सिर्फ वे ही वह जीवन प्रदान करेंगे, जब यहाँ का जीवन समाप्त हो जाएगा। यह रोटी जीवन के लिए अति आवश्यक है।"

संत पापा ने कहा, "जीवन की रोटी मैं हूँ।" हम येसु के इस सुन्दर छवि पर थोड़ी देर ठहरें। वे एक तर्क, एक प्रदर्शन प्रस्तुत कर सकते थे किन्तु हम जानते हैं कि येसु दृष्टांतों में बोलते हैं और इस अभिव्यक्ति में वे कहते हैं, "जीवन की रोटी मैं हूँ।" इसके द्वारा वे अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व एवं पूरे मिशन को प्रकट सकते हैं। जो अंत में, अंतिम व्यारी के समय पूरी तरह प्रकट होगा। वे जानते हैं कि पिता ने उन्हें न केवल लोगों को खिलाने के लिए कहा है बल्कि अपने आपको देने, अपने जीवन, अपने शरीर, अपने हृदय को तोड़ने के लिए कहा है ताकि हम जीवन पा सकें। प्रभु के ये शब्द यूखरिस्त के वरदान की सुन्दरता को प्रकट करते हैं। इस दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो दूसरों को प्यार करते हुए उसके लिए खुद भोजन बन सकता है। ईश्वर ने ऐसा किया है और वे हमारे लिए भी ऐसा करते हैं। इस विस्मय को हम पुनः जागृत करें। हम इसे जीवन की रोटी की आराधना करते हुए कर सकते हैं क्योंकि आराधना हमारे जीवन को विस्मय से भर देती है।  

संत पापा ने सुसमाचार पर गौर करते हुए कहा, "हालांकि, सुसमाचार में लोग विस्मित होने के बदले ठोकर खाते हैं। वे सोचते हैं : इस येसु को हम जानते हैं, उनके परिवार को जानते हैं, यह कैसे कह सकता है कि मैं स्वर्ग से उतरी हुई रोटी हूँ?” (41-42) संत पापा ने कहा, शायद हम भी ठोकर खाते हैं यह कहते हुए कि यह हमारे लिए अधिक सुविधाजनक होता यदि स्वर्ग में विराजमान ईश्वर शामिल नहीं होते और हम इस दुनिया के मामलों को खुद व्यवस्थित करते।" संत पापा ने कहा, "ईश्वर मानव बन गये ताकि वे दुनिया की वास्तविकता में प्रवेश कर सकें, हमारे ठोस जीवन में प्रवेश कर सकें, ईश्वर मेरे, आपके लिए, हम सभी के लिए, हमारे जीवन में प्रवेश करने के लिए मानव बने। वे हमारे जीवन पर रूचि रखते हैं। हम उन्हें अपनी भावना, काम, दिनचर्या, दुःख, चिंता और बहुत कुछ बतला सकते हैं। हम उन्हें सब कुछ बतला सकते हैं क्योंकि येसु हमसे एक होना चाहते हैं।" वे क्या नहीं चाहते हैं? उन्होंने कहा, "वे दरकिनार कर दिया जाना नहीं चाहते हैं। वे रोटी हैं – वे नहीं चाहते हैं कि अनदेखा किये जाएं और एक किनारे रख दिये जाएं अथवा उसी समय याद किये जाएँ जब हमें उनकी जरूरत होती है।

मैं जीवन की रोटी हूँ। कम से कम दिन में हम एक बार एक साथ खाते हैं, शायद शाम के समय, दिनभर के काम अथवा पढ़ाई के बाद। संत पापा ने कहा कि यह अच्छा है कि रोटी तोड़ने के पहले, हम जीवन की रोटी येसु को निमंत्रण दें, उनसे आशीष की याचना करें, हमने जो काम किया और जो काम हम नहीं कर पाये, उनके लिए। हम घर में उन्हें आमंत्रित करें, घरेलू तरीके से प्रार्थना करें। येसु हमारे साथ खाने की मेज पर होंगे और हम एक महान प्रेम द्वारा पोषित होंगे।  

तब संत पापा ने कुँवारी मरियम की याद करते हुए कहा, "कुँवारी मरियम, जिनमें शब्द ने शरीर धारण किया, प्रतिदिन हमें येसु, जीवन की रोटी के साथ मित्रता में बढ़ने में मदद दे।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने कहा, "मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ रोमवासी एवं विभिन्न देशों के तीर्थयात्री, खासकर, वेरोना के युवा प्रेरितिक दल, क्रेवलकोरे के युवा, स्कंदिनो के युवा और त्रेभेनेतो के सलेशियन परिवार के युवा जो साईकिल पर रोम पहुँचे हैं।"

अंत में, उन्होंने अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।   

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

 

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08 August 2021, 15:08