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संत पापा ने समावेशी एवं सतत् खाद्य प्रणाली की अपील की

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) सोमवार से जब अपना चार दिवसीय सम्मेलन शुरू किया, संत पापा फ्रांसिस ने एक संदेश भेजकर कहा कि वर्तमान संकट के बाद किस तरह विश्व को पुनः निर्माण करने की आवश्यकता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 15 जून 2021 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन को "अधिक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण हेतु असहाय और जरूरतमंद भाइयों एवं बहनों की सेवा में" परमधर्मपीठ एवं काथलिक कलीसिया के समर्थन का संकल्प दोहराया है। उन्होंने गरीब ग्रामीण खाद्य उत्पादकों पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया जो अक्सर कुपोषण एवं भुखमरी के शिकार होते हैं।  

संत पापा ने अपना यह संदेश सोमवार को जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री मिखाएल कुरतेका को भेजा जो रोम के मुख्य कार्यालय में 14-18 जून तक फाओ (एफएओ) के 42वें सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं। खाद्य एवं कृषि संगठन के वर्चुवल सम्मेलन की विषयवस्तु है, "कृषि खाद्य प्रणाली बदलाव ˸ रणनीति से कार्य तक।"  

समावेशी एवं सतत् खाद्य प्रणाली की रचना

फाओ, भुखमरी दूर करने एवं पोषण और खाद्य सुरक्षा में सुधार हेतु अंतरराष्ट्रीय प्रयास में अपना सहयोग देता है। संत पापा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान यह कार्य विशेष महत्व रखता है जब हमारे कई भाइयों एवं बहनों के लिए आवश्यक भोजन प्राप्त नहीं हो रहा है, मात्रा अथवा गुणवत्ता में। पिछले साल ऐसे लोगों की संख्या विगत पाँच सालों में सबसे अधिक थी जबकि संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक संकट एवं वर्तमान के स्वास्थ्य संकट के साथ भविष्य और भी अधिक बदतर हो सकता है। इसलिए, इन बढ़ती कमजोरियों के संरचनात्मक कारणों से निपटने में सक्षम नीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।

इस संबंध में, वृत्तीय आर्थिक व्यवस्था, जो भावी पीढ़ी सहित सभी के लिए संसाधनों की गारांटी देता तथा अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है लचीला, समावेशी और टिकाऊ खाद्य प्रणाली बनाने में मदद देगा जो सभी के लिए स्वस्थ और किफायती आहार प्रदान करेगा।

कृषि और ग्रामीण समुदाय

संत पापा ने संदेश में कहा है कि महामारी के बाद की अर्थव्यवस्था के पुनःनिर्माण के लिए पारिवारिक कृषि एवं ग्रामीण समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने खेद प्रकट किया है कि जो खाद्य उपजाते हैं वे ही भोजन के अभाव का सबसे अधिक सामना करते हैं। विश्व के गरीबों में से तीन चौथाई लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तथा वे अपनी जीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर करते हैं। हालांकि, बाजारों, भूमि के स्वामित्व, वित्तीय संसाधनों, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की कमी के कारण, वे खाद्य के लिए सबसे अधिक असुरक्षित हैं।

संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों की सराहना की है जिसमें अलग-अलग देश स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को संरक्षित करते हुए खाद्य स्वायत्तता प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने छोटे उत्पादकों को उनकी क्षमता और लचीलेपन में सुधार करने के लिए समर्थन और मदद करने हेतु नवीन तरीकों को अपनाने का आग्रह किया।

बंधुता बनाम उदासीनता का वायरस

महामारी के बाद जब विश्व पुनः आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है, संत पापा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि उदासीनता एवं जुदा करने की मनोभावना के विपरीत देखभाल की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए, जो हमारे समाज में मौजूद है। जबकि कुछ लोग तनाव, टकराव और झूठ बोते हैं, दूसरी ओर हम, धैर्यपूर्वक और निर्णायक रूप से, शांति की संस्कृति का निर्माण करने के लिए आमंत्रित किये जाते हैं, जो उन पहलों की ओर निर्देशित है जो मानव जीवन के सभी पहलुओं को स्वीकार करती और उदासीनता के वायरस को अस्वीकार करने में हमारी मदद करती है।

संत पापा ने कहा कि केवल कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करना पर्याप्त नहीं है, ठोस कार्यों की जरूरत है जो उनके संदर्भ बिंदु के रूप में मानव परिवार से संबंधित हैं और बंधुत्व को बढ़ावा देते हैं। जो एक ऐसे समाज के निर्माण की सुविधा प्रदान करते हैं जो शिक्षा, संवाद और समानता को बढ़ावा देते हैं।

उन्होंने आग्रह किया कि वर्तमान संकट को वे एक अवसर के रूप में देखें, एक ऐसे भविष्य की तैयारी के रूप में जिसमें कोई बहिष्कृत न हो। उन्होंने चेतावनी दी कि सभी को स्वीकार करने के दर्शन के बिना, किसी के लिए भविष्य नहीं रह जायेगा।

सम्मेलन, फाओ (एफएओ) का सर्वोच्च प्रशासकीय ईकाई है जिसका मुख्य कार्य है संगठन के सिद्धांतों को निर्धारित करना। बजट को मंजूरी देना, और सदस्यों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सिफारिश करना। 

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15 June 2021, 15:25