संत पौलुस और संत पेत्रुस के पर्व दिवस पर संत पापा का मिस्सा संत पौलुस और संत पेत्रुस के पर्व दिवस पर संत पापा का मिस्सा 

संत पापाः हमारी स्वतंत्रता दूसरों की स्वतंत्रता में सहायक

संत पापा फ्रांसिस ने संत पेत्रुस और संत पौलुस के पर्व दिवस पर उनकी स्वतंत्रता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी स्वतंत्रता दूसरों को स्वतंत्र होने में मदद करती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 29 जून 2021 (रेई) आज हम सुसमाचार के दो महान प्रेरित और कलीसिया के दो स्तम्भ पेत्रुस और पौलुस की यादगारी मनाते हैं। हम उनके विश्वास के साक्ष्य को निकटता से देखने का प्रयास करें। ये उनके स्वयं के उपहार और योग्यताएं नहीं थीं परन्तु येसु से मिलन ने उनके जीवन को बदल दिया। प्रेम के एहसास ने उन्हें चंगाई प्रदान किया जहाँ वे अपने में मुक्ति का अनुभव करते हैं। इस तरह वे प्रेरित और दूसरों के लिए मुक्ति का स्रोत बन गये।

संत पापा ने कहा कि पेत्रुस और पौलुस अपने में स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं क्योंकि उन्हें स्वतंत्र किया गया। हम इस मुख्य बिन्दु पर चिंतन करें।

पेत्रुस के मनोभाव

पेत्रुस गलीसिया का एक मछुवार अपनी अयोग्य और असफल होने के कटु अनुभव से मुक्त किया जाता है हम येसु ख्रीस्त के शर्तहीन प्रेम हेतु अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं। एक अनुभवी मछुवारा होने के बावजूद बहुत बार हम उसके हृदय को अंधरे में पाते हैं, कुछ हाथ नहीं लगने के कारण उसमें निराशा का कटुपन आता है (लूका. 5.5, यो.21.5) और अपने खाली जालों को देखकर वह उन्हें समेटने की परीक्षा में पड़ जाता है। अपने में मजबूत और तेजतर्रार होने के बाद भी वह कई बार अपने को भयभीत पाता है (मत्ती.14.30)। प्रभु के एक जोशीले शिष्य के रुप में भी हम उसे दुनियादारी से घिरा पाते जो उसे ख्रीस्त के क्रूस के अर्थ को समझने और उसे स्वीकार करने में असफल बनाता है (मत्ती. 16.22)। इतना कहने के बाद भी कि वह अपने स्वामी के लिए अपनी जान दे सकता है, केवल संदेह भरे सवाल के कारण वह अपने स्वामी को इन्कार करता है (मकु.14.66-72)।

येसु हमें भयमुक्त करते

इन सारी चीजों के बावजूद येसु पेत्रुस को प्रेम करते और उसके ऊपर विश्वास भरी जोखिम उठाते हैं। वे पेत्रुस को प्रोत्साहित करते हैं कि वह हार न माने, अपनी जाल को पुनः फेंके, पानी पर चले, अपने कमजोरी को स्वीकार करे, क्रूस की राह में उनका अनुसारण करे, अपने जीवन को अपने भाइयों और बहनों के लिए अर्पित करे, उनकी भेड़ों की देख-रेख करे। इस तरह येसु पेत्रुस को उसके भय से निजात दिलाते हैं। वे उसे जोखिम उठाते हुए मनुष्यों का मछुवारा बनने हेतु प्रोत्साहित करते हैं (लूका.22.32)। वे उसे स्वर्ग की कुंजियाँ प्रदान करते हैं और ईश्वर से मिलन हेतु द्वार खोलने और उसे बंद करने का अधिकार देते हैं (मत्ती.16.19)।  

स्वतंत्रता प्रेम उपहार

ये सारी चीजें इसलिए संभंव हुईं क्योंकि पेत्रुस अपने में स्वतंत्र किया जाता है जैसे कि हमने आज के प्रथम पाठ में सुना। बेड़ियाँ कैदी के रुप में उसके पैरों पर डाली गयी थी, रात के पहर में जैसे कि इस्रराएली जनता मिस्र की गुलामी से मुक्त की गई, उसे जल्दी उठने को कहा गया, कमरबंध बांधने और पैरों में जूते पहने का निर्देश दिया गया जिससे वह आगे बढ़ सके। ईश्वर ने उसके लिए द्वार खोल दिये ( प्रेरित.12.7-10)। यहाँ हम एक नये इतिहास को देखते हैं, मुक्ति, बेड़ियों का टूटना, गुलामी के घर से निगर्मण को पाते हैं। पेत्रुस अपने में पास्का का अनुभव करता है, येसु उसे मुक्त करते हैं।

पौलुस की मुक्ति

संत पापा ने कहा कि प्रेरित पौलुस भी अपने में येसु के द्वारा मुक्ति का अनुभव करता है। वह सबसे बड़ी दासता से मुक्त किया जाता है जो स्वयं अपने आप से गुलामी है। सौल से, जो इसराएली के प्रथम राजा का नाम था, वह पौलुस बनता है जिसका अर्थ “छोटा” है। वह अपनी धार्मिकता की गुलामी से मुक्त किया जाता जो अपने पूर्वजों की परम्पराओं का कट्टर समर्थक और ख्रीस्तियों के घोर अत्याचारी था (गला.1.14) औपचारिक धार्मिकता के पालन और परंपरा की रक्षा ने उसे ईश्वर और उसके भाइयों और बहनों के प्रेम हेतु खुला रहने के बजाय कठोर बना दिया था। ईश्वर उसे इन बातों से मुक्त करते हैं, वे उसे उसकी कमजोरियों और कठिनाइयों में नहीं छोड़ते, जो उसके प्रेरिताई कार्य को और अधिक फलदायी बनाया: प्रेरिताई जीवन की कठिनाई, शारीरिक दुर्बलता (गला.4.13-14) हिंसा और सतावट, जहाज का टूटना, भूख और प्यास जिनकी चर्चा वह स्वयं करता है, मानो उसके शरीर में एक कांटा चुभा दिया गया हो (2 कुरि.12. 7-10)।

ईश्वर का सहचर्य

पौलुस इस भांति इस बात का अनुभव करता है, “ईश्वर ने संसार में दुर्बलों को चुना जिससे वे शक्तिशालियों को लज्जित करें (1 कुरि.1.27) जिससे हम उन सारी चीजों को उनमें कर सकें जो हमें शक्ति प्रदान करते हैं (फिलि.4.13) जो हमें ईश्वर के प्रेम से कभी अलग नहीं कर सकता है (रोमि.8.35-39)। इस कारण अपने जीवन के अंत में जैसे कि हमने दूसरे पाठ में सुना, वह यह कहता है, “ईश्वर मेरे संग खड़े रहें” और वे मुझे सभी बुराइयों से बचाते हैं (2 तिम.4.17.18)। पौलुस अपने में पास्का, ईश्वर से मिली मुक्ति का अनुभव करता है।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि कलीसिया विश्वास के इन दो महान हस्तियों और दो प्रेरितों की ओर निगाहें फेरती है जो दुनिया में सुसमाचार की शक्ति से मुक्ति प्रसारित करते हैं क्योंकि उन्होंने स्वयं ख्रीस्त से मिलन उपरांत अपने आप में मुक्ति का अनुभव किया। येसु ने उनकी आलोचना या तिरस्कार नहीं किया। बल्कि उन्होंने उनके साथ अपने जीवन को प्रेम और निकटता में साझा किया। उन्होंने अपनी प्रार्थना के माध्यम उनका साथ दिया और यहाँ तक कभी-कभी उन्हें फटकारते हुए अपने में परिवर्तन लाने को कहा। येसु पेत्रुस से कहते हैं, “मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना की है जिससे तुम्हारा विश्वास न डगमगाये (लूका.22. 32)। पौलुस से वे कहते हैं,“सौल, सौल तुम मुझे क्यों सताते हो?” (प्रेरि.9.4)। वे हमारे साथ भी वैसा ही करते हैं, वे हमारे लिए पिता के पास प्रार्थना और निवेदन करते हुए अपनी निकटता का आश्वास देते हैं। जब कभी हम भटक जाते तो वे अपनी कोमलता में हमें सुधारते हैं जिससे हम उनमें शक्ति प्राप्त करते हुए अपने जीवन यात्रा जारी रख सकें।

हमारा बुलावा स्वतंत्र होने हेतु

ईश्वर ने हमें भी स्पर्श किया है हम भी उनके द्वारा मुक्त किये गये हैं। यद्यपि हमें बारंबार उनके द्वारा मुक्त किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि एक मुक्त कलीसिया ही विश्वासी कलीसिया होती है। हम पेत्रुस की तरह ही अपनी बड़ी असफलताओं से मुक्त होने हेतु बुलाये जाते हैं। हम अपने भय से मुक्त होने हेतु बुलाये जाते हैं जो हमें कोढग्रस्त बना देती है, जो हमें अपनी सुरक्षाओं में आश्रित कर देती और सुसमाचार की घोषणा की शक्ति को हमसे छीन लेती है। पौलुस की तरह, हम पाखंडी बाहरी दिखावे से मुक्त होने के लिए बुलाए गए हैं, खुद को दुनियावी शक्ति के साथ पेश करने के प्रलोभन से मुक्त होने और अपनी कमजोरी में ईश्वर के लिए एक स्थान बनाने को बुलाये जाते हैं। हम धार्मिकता से मुक्त हों जो हमें कठोर और हट्ठी बनाती है; हम सत्ता की झूठी बातों से, गलत समझे जाने और हमला किए जाने के डर से मुक्त हों।

पेत्रुस और पौलुस हमें कलीसिया की एक छवि देते हैं जो हमारे हाथों में सौंपी गई है, जो ईश्वरीय निष्ठा और कोमल प्रेम में हमारे लिए निर्देशित किया जाता है। एक कलीसिया अपने में कमजोर है, यद्यपि वह ईश्वर की उपस्थिति में शक्ति प्राप्त करती है। एक स्वतंत्र कलसिया दुनिया को वह स्वतंत्रता प्रदान करने में सक्षम है जो दुनिया खुद नहीं दे सकती: पाप और मृत्यु से मुक्ति, अन्याय और निराशा की भावना से मुक्ति जो वर्तमान समाज के नर और नारियों के जीवन को अमानवीय बनाती है।

संत पापा कहा कि हम अपने में पूछें कि किस हद तक हमारे शहर, हमारे समाज और हमारी दुनिया को इस स्वतंत्रता की जरुरत है? कितनी बेड़ियों को टूटना और कितने बंद दरवाजाओं को हमें खोलने की जरुरत है। हम इस स्वतंत्रता को लाने में मदद कर सकते हैं यदि हम सर्वप्रथम येसु की नवीनता में स्वतंत्र होते और पवित्र आत्मा में स्वतंत्रता की राह में चलते हैं।    

आज हमारे भाई महाधर्माध्यक्षगण पैलियम प्राप्त करते हैं। पेत्रुस के साथ यह हमारी एकता की निशानी को व्यक्त करती है जो झुंड के लिए अपना जीवन देते हैं। चरवाहा अपने जीवन को अर्पित करने में अपने को स्वतंत्र करता और अपने भाइयों और बहनों के लिए स्वतंत्रता का एक साधन बनता है। आज, हमारे साथ अंतरकलीसियाई एकता प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोमी के प्रतिनिधिगण भी शामिल है। आपकी उपस्थिति दूरियों से मुक्ति, हमारी यात्रा में एकता का एक अनमोल संकेत है जो मसीह विश्वासियों को निंदनीय रूप से अलग करती है।

हम आपके लिए, सभी पुरोहितों, कलीसियों और सभों के लिए प्रार्थना करते हैं: कि, मसीह द्वारा मुक्त किये गये, हम सभी विश्व भर में स्वतंत्रता के प्रेरित बन सकें।

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29 June 2021, 16:18