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संत पापा नॉरबर्टाइन से:दूसरों के स्वागत हेतु दिल खुला रखें

संत नॉरबर्ट की याद में, संत पापा फ्राँसिस ने जनरल फादर वाउटर्स को एक पत्र लिखा है, जो कि फ्रांस के प्रेमोंट्रे मठ की स्थापना के 900 साल पूरे होने के अवसर पर जुबली मना रहे हैं। संत पापा ने पांच महाद्वीपों में फैले समुदायों से हमेशा सुसमाचार प्रचार का नेतृत्व करने, ईश्वर और उनके भाइयों एवं बहनों को सुनने का आग्रह किया।

माग्रेट सुनीता मिंज –वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 7 जून 2021 (वाटिकन न्यूज) : यूखरिस्त और शांति के दूत, एक अथक उपदेशक जो मदद या साधारण प्रार्थना पूछे जाने पर उनके लिए खुले दिल से प्रार्थना करते हैं : संत पापा फ्राँसिस ने प्रीमोनस्ट्रेटेन्सियन या नॉरबर्टाइन धर्मसंध के जनरल फादर जोज़ेफ़ वाउटर्स को संबोधित एक पत्र में संत नॉरबर्ट की इन कई विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

प्रीमोंट्रे मठ पहले समुदाय की शुरुआत के 900 वीं वर्षगांठ के अवसर पर संत पापा ने पत्र लिखकर उन्हें शुभकामनायें दी।

एक नई संवेदनशीलता

संत पापा फ्राँसिस ने 1075 में जर्मनी के ज़ांटेन में पैदा हुए संत नॉरबर्ट को "ग्रेगोरियन सुधार के सबसे उत्सुक वास्तुकारों में से एक" के रूप में याद किया, उनके जीवन और व्यवसाय को ऐसे समय में देखा जब कलीसिया में एक नया दृष्टिकोण बढ़ रहा था। संत पापा लिखते हैं, "ईश्वर द्वारा प्रेरित पुरुषों और महिलाओं की कोई कमी नहीं थी, जिन्होंने कलीसिया के अधिकारियों को उनके सांसारिक संबंधों और हितों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था," और "नॉरबर्ट इनमें से एक थे।" उन्होंने संत अगुस्टीन के नियम को स्वीकार करते हुए, अदालती जीवन को त्यागने और प्रेरितों के मार्ग का अनुसरण करने का विकल्प चुना गया था। संत पापा लिखते हैं: "आपके धर्मसंघ के समुदायों ने इस विरासत को अपनाया है और नौ शताब्दियों के लिए, संत अगुस्टीन के नियमों की भावना में, मनन ध्यान के प्रति निष्ठा और सुसमाचार का प्रचार करते हुए, कलीसियाई जीवन के स्रोत और केंद्र यूखरीस्तीय रहस्य पर चित्रण करते हुए, अपने मिशन को पूरा किया है।"

सुसमाचार के साक्षी

संत पापा जेलासियुस द्वितीय के साथ हुई मुलाकात ने संत नॉरबर्ट को एक प्रेरितिक प्रचारक के रूप में काम करने के लिए प्रेरित किया। संत पापा लिखते हैं, "आज पहले से कहीं अधिक, सुसमाचार की घोषणा आवश्यक है और सभी से, विशेष रूप से पुरोहितों से, एक उदार प्रतिबद्धता और इससे भी अधिक घोषित संदेश और व्यक्तिगत और समुदायिक जीवन के बीच एक मजबूत सामंजस्य की आवश्यकता है। संत नॉरबर्ट सुसमाचार का एक वफादार सेवक और कलीसिया का प्यारा पुत्र था और संत पापा का आज्ञाकारी था।" उन्होंने "सड़क पर बीमारों को ठीक किया, बुरी आत्माओं को बाहर निकाला और महान परिवारों के बीच प्राचीन झगड़ों को शांत करने में इतना अधिक सफल रहे, " कि उन्हें "शांति का दूत" माना जाता है।

खुले दरवाजे

1121 में नॉर्बर्ट ने अपने अनुयायियों को इकट्ठा करने के लिए प्रीमोंट्रे की घाटी को चुना, इस प्रकार "पूरी कलीसिया के लिए और उसके साथ प्रार्थना करने के मिशन" के साथ अपना पहला समुदाय स्थापित किया। प्रेमोंट्रे आकर्षण का केंद्र था, जहां "कठोर धार्मिक जीवन जिया जाता था, जहाँ गरीबों और तीर्थयात्रियों के लिए आतिथ्य और देखभाल एक अभिन्न अंग थे।"

विश्वास का आदर्श

संत पापा ने गौर किया कि संत नॉरबर्ट ने यूखरिस्त में, हमेशा बड़ी शक्ति हासिल की, इस प्रकार आज भी, "हर किसी के लिए और विशेष रूप से, पुरोहितों के लिए विश्वास का एक मॉडल बन गये।" उन्होंने याद किया कि कई महिलाओं ने खुद को एकांत प्रार्थनामय जीवन के लिए समर्पित करके नॉर्बर्टिन नियमों का पालन किया है, जबकि कई धर्मसमाजों ने, उनकी आध्यात्मिकता को साझा करते हुए, खुद को प्रेरिताई और सबसे जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। इस तरह, नोर्बर्ट की शिक्षा को जीवित रखते हुए, प्रेमोनस्ट्रेटेंसियन मठों और पल्लियों के बीच की कड़ी को मजबूत किया गया।

अंत में संत पापा ने पांच महाद्वीपों में फैले प्रेमोनस्ट्रेटेन्सियों को प्रेरितों के उदाहरण का अनुसरण करने, चुने गए जीवन के प्रति सदा ईमानदार बने रहने हेतु प्रोत्साहित करते हुए उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

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07 June 2021, 14:47