संत पेत्रुस महागिरजाघर संत पेत्रुस महागिरजाघर 

देवदूत प्रार्थना : विश्वास करें और प्रभु को खोजने से कभी न थकें

रविवार के सुसमाचार पाठ पर प्रकाश करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने येसु द्वारा आंधी को शांत किये जाने की घटना पर चिंतन किया। संत पापा ने आंधी और लहर की तुलना हमारे जीवन की कठिनाइयों से की एवं विश्वासियों को प्रोत्साहन दिया कि वे विश्वास की कृपा के लिए प्रार्थना करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रभु हमारी बगल में हैं और हमारा इंतजार करते हैं।

उषा  मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 20 जून 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ संत पापा फ्रांसिस रविवार 20 जून को देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"

आज की धर्मविधि में येसु द्वारा आंधी को शांत करने की घटना का वर्णन है। (मार. 4,35-41) नाव जिसपर सवार होकर शिष्य झील पार कर रहे थे, आंधी और लहर की चपेट में आ गयी थी, और वे डर रहे थे कि कहीं डूब न जाएँ।

येसु उनके साथ नाव पर थे किन्तु वे दुम्बाल में तकिया लगाये सो रहे थे। शिष्यों ने अत्यन्त भयभीत होकर, उन्हें जगाते हुए कहा, "गुरूवर हम डूब रहे हैं, आपको इसकी कोई चिंता नहीं।"(38)  

संत पापा ने कहा, “और कई बार हम भी, जीवन की मुसीबतों में पड़कर, प्रभु को पुकारते हैं : आप क्यों चुपचाप हैं और मेरे लिए कुछ नहीं करते? विशेषकर जब हमें लगता है कि हम डूब रहे हैं, प्रेम अथवा कोई योजना जिसपर हमें बड़ी आशा थी किन्तु वह खो जाती है, जब हम परेशान होते अथवा समस्या से घिरते या जीवन के समुद्र में खोये हुए बिना रास्ता एवं बिना किनारा के हो जाते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि आगे बढ़ने के लिए शक्ति ही नहीं रह जाती है क्योंकि नौकरी नहीं है या अनापेक्षित बीमारी हमें अपने या प्रियजनों के स्वास्थ्य का भय हममें डाल देती है। कई ऐसे क्षण आते हैं जब हम आंधी को महसूस करते हैं और लगता है कि सब कुछ समाप्त हो चुका है।  

इन परिस्थितियों में और कई अन्य परिस्थितियों में हम भी डर के कारण घुटन महसूस करते हैं, और शिष्यों के समान सबसे महत्वपूर्ण चीज को नहीं देख पाने के खतरे में पड़ जाते हैं। नाव में यद्यपि येसु सो रहे थे तथापि वे वास्तव में, उनके साथ सबकुछ का सामना कर रहे थे जो वहाँ हो रहा था। उनकी नींद, जो एक ओर विस्मित करती दूसरी ओर हमारी परीक्षा करती है। निश्चय ही, येसु हमारी प्रतीक्षा करते हैं कि हम उनके पास आयें, उन्हें पुकारें और हम जो अनुभव करते हैं उसके केंद्र में उन्हें रखें। उनकी नींद हमें जागने के लिए प्रेरित करती है। क्योंकि येसु के शिष्य होने के लिए यह काफी नहीं है कि हम विश्वास करें कि ईश्वर हैं, वे मौजूद हैं किन्तु हमें अपने आपको उनके साथ शामिल करना है, उनके लिए अपनी आवाज ऊँची करनी है, उन्हें पुकारना है। प्रार्थना, कई बार पुकारने के समान होता है, "प्रभु मुझे बचाईये।" संत पापा ने कहा, "मैं “उनके प्रतिरूप में” एक कार्यक्रम देख रहा था, आज शरणार्थी दिवस, कई लोग जो जहाज से आते और डूबते समय चिल्लाते हैं- हमें बचाईये, यही चीज हमारे जीवन में भी होता है। और प्रार्थना एक पुकार बन जाती है।

आज हम अपने आप से पूछें : कौन से तूफान हैं जो मेरे जीवन को झकझोरते हैं? कौन सी लहरें हैं जो मेरी नाव खेने की दिशा में बाधा डालते हैं? मेरे आध्यात्मिक जीवन, मेरे परिवार के जीवन और मेरे मनोवैज्ञानिक जीवन को भी खतरे में डालते हैं? हम सब कुछ को येसु को बतलायें। वे हमसे यही उम्मीद करते हैं, वे चाहते हैं कि हम जीवन की अनापेक्षित लहरों से बचने के लिए उन्हें कस कर पकड़ लें। सुसमाचार बतलाता है कि शिष्य, येसु के पास आये और उन्हें जगाया एवं उनसे बात की। (38)

संत पापा ने कहा कि यही हमारे विश्वास की शुरूआत है :  महसूस करना कि हम बहते हुए नहीं बच सकते और कि हमें येसु की आवश्यकता है, उसी तरह जिस तरह खेने वाले को रास्ता पाने हेतु तारे की जरूरत होती है। विश्वास की शुरूआत वहीं होती है जहाँ हम मानने लगते हैं कि हम अपने आप के लिए काफी नहीं हैं और ईश्वर की आवश्यकता महसूस करते हैं। जब हम अपने आप में बंद होने के प्रलोभन पर जीत पायेंगे, जब हम गलत धार्मिकता जो ईश्वर को बाधा डालना नहीं चाहता उससे ऊपर उठेंगे, जब हम उन्हें पुकारेंगे, तब वे हम में चमत्कार करेंगे।

शिष्यों के आग्रह पर येसु ने आंधी एवं लहर को शांत कर दिया, और उन्होंने उनसे एक सवाल किया जो हमारे लिए भी हो सकता है : तुम लोग इस प्रकार क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं है? (40). शिष्य डर से घिरे हुए थे क्योंकि उन्होंने येसु को देखने के बदले लहर पर ध्यान दिया। भय हमें कठिनाई, समस्या, कुरूप चीजों को देखने के लिए प्रेरित करता है और हम प्रभु को देख नहीं पाते हैं जो बहुधा सोये हुए रहते हैं।

हमारे लिए भी ऐसा ही होता है, कई बार हम प्रभु के पास जाने एवं अपनी समस्या उन्हें बतलाने के बदले समस्याओं पर ही ध्यान केंद्रित रखते हैं। कितनी बार हम येसु को कोने में, जीवन की नाव की तह में छोड़ देते हैं और सिर्फ आवश्यकता के समय में उन्हें जगाते हैं। आज आइये हम विश्वास की कृपा के लिए प्रार्थना करें कि हम प्रभु को खोजने, उनके हृदय के द्वार को दस्तक देने से कभी न थकें।

माता मरियम जिन्होंने अपने जीवन में ईश्वर पर भरोसा रखना कभी नहीं छोड़ा, हममें अपने आपको हर दिन उन्हें सौंप देने की मौलिक आवश्यकता को पुनः जागृत करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 June 2021, 15:26