इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन 

संत पापा ने इताली धर्माध्यक्षों की 74वीं आमसभा का उद्घाटन किया

इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (चेई) की 74वीं आमसभा 24 मई को रोम में 200 धर्माध्यक्षों की उपस्थिति में शुरू हुई।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इटली, सोमवार, 24 मई 2021 (रेई)- आमसभा के शुरू में प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए संत पापा ने तीन विषयों पर प्रकाश डाला, जिसपर सभा में चर्चा की जायेगी : सेमिनारी, कलीसियाई अदालत एवं सिनॉड।

इस वर्ष की आमसभा की विषयवस्तु है, "पुनर्जन्म के समय में सुसमाचार की घोषणा।"

सभा के दौरान उत्तरी एवं मध्य क्षेत्रों के लिए दो उप- अध्यक्षों का चुनाव किया जाएगा, उनके साथ आर्थिक मामले की समिति के सदस्यों एवं धर्माध्यक्षीय आयोगों के अध्यक्षों का चुनाव किया जाएगा।  

सवाल-जवाब के सत्र की ओर बढ़ने के पहले संत पापा ने सभा की विषयवस्तु पर चिंतन किया।  

सिनॉड के संदर्भ में उन्होंने याद दिलाया कि इसे " "नीचे से ऊपर" प्रक्रिया से शुरू होना है जिसको एक छोटे समुदाय और एक पल्ली में शुरू किया जा सकता है। यह एक प्रक्रिया है जिसके लिए धीरज और काम की आवश्यकता है। लोगों को स्वतंत्र रूप से बोलने देना तथा "ईश्वर की प्रजा की प्रज्ञा को स्थान देना है"।  

धर्मसभा का यह रास्ता जिसको संत पापा फ्रांसिस ने इताली कलीसिया के लिए दिखलाया है उसे 2015 में फ्लोरेंस के सम्मेलन में उल्लिखित किया गया था और यह "एक विरासत" है जो "इस क्षण को रोशन करेगा"।

संत पापा ने प्रशिक्षण के दौरान होनेवाली गलती के खतरे की भी चेतावनी दी और गुरूकुल छात्रों (पुरोहित उम्मीदवार) की भर्ती करने में विवेक का सहारा लेने की सलाह दी।

इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ग्वालदिएरो बस्सेत्ती ने भी सभा के शुरू में इताली कलीसिया की एक साथ (सिनॉडल) यात्रा पर प्रकाश डाला।

कार्डिनल बस्सेत्ती ने संत पापा से प्रोत्साहन, प्रार्थना और उनके पिता तुल्य आशीष की याचना की।

धर्माध्यक्षों के सिनॉड के दस्तावेज का हवाला देते हुए जो ईश्वर की प्रजा के शामिल होने का आह्वान करता है, कार्डिनल बस्सेत्ती ने कहा कि हम जिस प्रणाली की शुरूआत करने जा रहे हैं यह उसे समर्थन देगा।

बस्सेत्ती ने एलेसेंद्रो मंज़ोनी की उत्कृष्ट कृति "द बेथ्रोड" का हवाला दिया जिसमें एक पुरोहित डॉन अबेबोनदियो, कार्डिनल फेदेरिगो बोर्रोमेयो को बतलाते हैं कि व्यक्ति, दूसरों को साहस नहीं दे सकता यदि वह खुद साहसी न हो : "यह उसके पास तब आता है जब वह अपने स्वयं के भय से अधिक, इच्छा से प्रेरित हो। महत्वपूर्ण बात यह है कि सपने और इच्छाएँ डर से बड़े हों।"

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24 May 2021, 22:21