एम्ब्रोसोली इंस्टीट्यूट ऑफ कोदोनो के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलते हुए संत पापा फ्राँसिस एम्ब्रोसोली इंस्टीट्यूट ऑफ कोदोनो के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलते हुए संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा द्वारा छात्रों से मन, हाथ व दिल का प्रयोग करने का आग्रह

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को उत्तरी इटली में एम्ब्रोसोली इंस्टीट्यूट ऑफ कोदोनो के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जो पिछले साल यूरोप में कोविड -19 महामारी के प्रकोप का पहला केंद्र बना।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुनिवार 22 मई 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में उत्तर इटली के कोदोनो "अम्ब्रोसोली" संस्थान के प्रबंधकों और छात्रों से मुलाकात की। संत पापा ने संस्थान के प्रबंधक को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने वाटिकन आने हेतु उन्हें धन्यवाद दिया। संत पापा न कहा कि नकी बैठक गत वर्ष फरवरी में होने वाली थी उसी समय यूरोप में महामारी, ठीक  लोम्बार्दी के कोदोनो शहर में शुरु हो गई थी।

आशा का संकेत

संत पापा ने कहा, "जैसे ही मुझे आपका प्रस्ताव मिला, इसे स्वीकार करना महत्वपूर्ण लगा, क्योंकि आपका स्कूल आशा की निशानी का प्रतिनिधित्व करता है। सबसे पहले क्योंकि यह एक उत्कृष्ट शैक्षिक स्थान है और दूसरा, विशेष रूप से, क्योंकि यह एक तकनीकी-पेशेवर संस्थान है, यानी यह सीधे तौर पर युवाओं को काम के लिए तैयार करता है और यह एक पेशा है, जो इस महामारी के पीड़ितों में से एक है, तो आप आशा के दोहरे संकेत हैं। लेकिन अगर आप सुदृढ हैं तो ऐसा इसलिए है क्योंकि, जैसा कि प्रबंधक ने कहा, "आपने कभी हिम्मत नहीं हारी है। यह महत्वपूर्ण है। मैं आपको बधाई देता हूँ!"

संत पापा ने कहा कि हाल के महीनों में इटली और अन्य देशों में रहने वाले कई शिक्षकों और छात्रों के समूहों द्वारा बहुत ही सकारात्मक अनुभवों की खबरें मिली हैं। अनुभव जो बताते हैं कि जब शिक्षकों की उदारता छात्रों के "सपनों" से मिलती है, तो कोई ऐसा वायरस नहीं है जो उन्हें रोक सके! छात्रों के भीतर एक ताकत है, एक इच्छा है, अगर वयस्कों द्वारा ज्ञान और जुनून के साथ उनका साथ दिया जाए तो वे अपनी काबिलियत को निखार पायेंगे। प्रबंधक ने इसे अच्छी तरह से कहा: ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता है जो सही अर्थों में "आचार्य" हों।

दिमाग, हाथ और दिल

संत पापा ने आगे कहा कि उनका संस्थान विशेष रूप से "दिमाग" और "हाथ" के बीच, सीखने और करने के बीच, अध्ययन और काम करने के बीच की कड़ी पर प्रकाश डालता है। एक और आवश्यक आयाम है, हम इसे अच्छी तरह से जानते हैं: "दिल" यानी इच्छाएं, आकांक्षाएं, स्नेह। इन तीन आयामों को साथ में लेते हुए शिक्षा देनी चाहिए, क्योंकि वे व्यक्ति की जीवन यात्रा से जुड़े हुए हैं। मन, दिल और हाथ-हमेशा खुला और गतिशील रखने एक चक्र है।

वास्तविक रिश्ते

दूरस्थ शिक्षा के लंबे महीनों में छात्रों और शिक्षकों के बीच आपसी संबंध का आयाम बाधित हुआ है। संत पापा की इच्छा है कि वे अब इसे पूरी तरह से वापस लेने में सक्षम बनें। साथ ही संत पापा ने छात्रों को इस कमी से सीखने के लिए भी आमंत्रित करते हुए कहा," निश्चित रुप से यह नकारात्मक अनुभव कुछ सिखा सकता है, अर्थात् वास्तविक का महत्व, आभासी नहीं, पारस्परिक संबंध महत्वपूर्ण है। आप लड़के और लड़कियां डिजिटल समाज के बच्चे हैं, जिसने ज्ञान और संचार के नए रास्ते खोले हैं, लेकिन हम अब तक अच्छी तरह से जानते हैं कि अपने आप में बंद होने और वास्तविकता को हमेशा एक फिल्टर के माध्यम से देखने का खतरा है जो केवल स्पष्ट रूप से हमारी स्वतंत्रता को बढ़ाता है। महामारी का अनुभव, दोस्ती से इस "संयम" के साथ, आप में, जो इसके बारे में जानते हैं, इन उपकरणों के उपयोग में अधिक महत्वपूर्ण भावना को उत्तेजित कर सकते हैं; ताकि वे हमारी बुद्धि और इच्छा के अधीन अच्छे उपकरण बने रहें।"

अंत में संत पापा ने छात्रों को शुभकामनायें देते हुए कहा कि वे स्कूल के अवसर के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने की इच्छा महसूस करें, उनका संस्थान मन, हाथों और दिल से बढ़ने का स्थान, खुले, सम्मानजनक, रचनात्मक तरीके से रिश्तों को जीना सीखने का स्थान, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनने का स्थान बने।

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22 May 2021, 15:35