गैलापागोस में बार्टोलोम द्वीप का दृश्य गैलापागोस में बार्टोलोम द्वीप का दृश्य 

संत पापा फ्राँसिस: आम घर की देखभाल करना सबकी जिम्मेदारी

संत पापा फ्राँसिस ने एक दिवसीय आभासी सम्मेलन के अवसर पर द्वीपीय लोगों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों और अवसरों को देखते हुए, समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए बने विभाग के प्रीफेक्ट कार्डिनल पीटर टर्कसन को एक पत्र भेजा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुनिवार 22 मई 2021 (वाटिकन न्यूज) : जैसा कि कलीसिया ‘लौदातो सी सप्ताह’ मना रही है, समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए बने विभाग और रोम के एंग्लिकन सेंटर ने शुक्रवार को ख्रीस्तीय एकता वर्धक संयुक्त पहल का आयोजन किया, जिसका विषय था "भाईचारा बनाना, न्याय की रक्षा करना। द्वीपीय लोगों के लिए चुनौतियाँ और अवसर।"

सम्मेलन के उद्देश्य

आभासी सम्मेलन का उद्देश्य - संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्रों ‘लौदातो सी’ और ‘फ्रातेल्ली तुत्ती’ के प्रकाश में, द्वीपीय राज्यों के विशिष्ट संदर्भ में, सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों सहित मानव अधिकारों और लोगों के अधिकारों की स्थिति के बारे में पता लगाना है।

इस आयोजन का उद्देश्य संबंधित आबादी के साथ सामीप्य और एकजुटता व्यक्त करना है, साथ ही संयुक्त कार्रवाई की दृष्टि से एकजुटता के नेटवर्क का निर्माण करना है।

जिन विषयों की जांच की जा रही है उनमें आदिवासी लोगों के अधिकार, आत्मनिर्णय का अधिकार और उनके प्राकृतिक संसाधनों पर लोगों की संप्रभुता शामिल हैं।

पहल अटलांटिक, भारतीय और प्रशांत महासागरों के द्वीपीय लोगों से संबंधित है और इसमें स्थानीय अभिनेताओं, जैसे कि सरकारी प्राधिकरण और नागरिक समाज संगठन शामिल हैं, जो ख्रीस्तीय एकता वर्धक और अंतर्धार्मिक दृष्टिकोण का पालन करते हैं। सम्मेलन में संबंधित क्षेत्रों के युवाओं की भागीदारी भी शामिल है।

विभाग के प्रीफेक्ट कार्डिनल पीटर टर्कसन को लिखे एक पत्र में, संत पापा फ्राँसिस ने सम्मेलन को "एक महत्वपूर्ण  ख्रीस्तीय एकता वर्धक पहल के रूप में वर्णित किया, जिसमें विभिन्न ख्रीस्तीय परंपराओं के ज्ञान और अनुभव से उत्पन्न पारस्परिक संवाद शामिल है।"

उन्होंने यह भी कहा कि इस आयोजन ने "विश्वासियों, सरकारी नेताओं और व्यापक नागर समाज के सदस्यों, विशेष रूप से युवाओं के लिए, द्वीपीय लोगों के सामने आने वाली विशेष चुनौतियों का समाधान करने का अवसर प्रदान किया।"

चुनौतियाँ

संत पापा ने, "हिंसा, आतंकवाद, गरीबी, भूख, सामाजिक एवं आर्थिक अन्याय और असमानता आदि चुनौतियों के कई रूपों का उल्लेख किया जो आजकल सभी को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को।"

उन्होंने कहा, चिंता की बात यह है कि कई द्वीप लोग "अत्यधिक पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के संपर्क में हैं, जिनमें से कुछ प्राकृतिक और मानव संसाधनों के बेलगाम शोषण के परिणामस्वरूप हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि, "परिणामस्वरूप, वे न केवल पर्यावरणीय गिरावट का अनुभव कर रहे हैं, बल्कि एक मानवीय और सामाजिक गिरावट का भी सामना कर रहे हैं जो इन द्वीपों और समुद्री क्षेत्रों के निवासियों के जीवन को खतरे में डालता है।"

संत पापा ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन "ऐसी चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से सामना करने और हमारे सामान्य घर की देखभाल के लिए सभी की जिम्मेदारी के बारे में जागरूकता को मजबूत करने के उद्देश्य से व्यावहारिक अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय नीतियों को विकसित करने में योगदान देगा।"

महामारी

कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव की ओर अपना ध्यान आकर्षित करते हुए संत पापा ने कहा कि इन महीनों के दौरान लोग अपनी स्वयं की नाजुकता के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं और इसके परिणामस्वरूप "एक अभिन्न पारिस्थितिकी की आवश्यकता है जो न केवल भौतिक पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रख सकती है बल्कि मानवता को भी बनाए रख सकती है।"

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि "एकजुटता और सम्मान का रवैया" द्वीप और समुद्री क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रभावित करने वाली पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक था।

अंत में, संत पापा ने आशा व्यक्त की कि इस बैठक के दौरान पूरा किया गया कार्य "एक अधिक मानवीय और समावेशी दुनिया के विकास को आगे बढ़ाने में द्वीप के लोगों द्वारा निभाई जा सकने वाली महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत होगा।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 May 2021, 15:44