पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस 

पेन्तेकोस्त महापर्व : पोप फ्रांसिस ने पवित्र आत्मा के कार्यों पर प्रकाश डाला

संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में पेन्तेकोस्त का मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए ख्रीस्त विश्वासियों के लिए पवित्र आत्मा के तीन सुझावों पर प्रकाश डाला।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 23 मई 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने ख्रीस्तयाग के दौरान उपदेश में कहा, "जब सहायक आयेगा, जिसे मैं पिता की ओर से भेजूंगा... (यो.15.26) इन शब्दों के द्वारा येसु अपने शिष्यों के लिए पवित्र आत्मा भेजने की प्रतिज्ञा करते हैं, वे उपहारों के उपहार, ईश्वर की ओर से सर्वोतम उपहार हैं। वे पवित्र आत्मा के लिए एक असाधारण और रहस्यमय शब्द सहायक का उपयोग करते हैं। आज हम इस शब्द पर चिंतन करते हैं जिसका अनुवाद करना सहज नहीं है, विशेष रुप, से इसके दो अर्थ सांत्वना दाता और सहायक।"

मावनीय चाह, सांत्वना की खोज

सहायक हमारे लिए सांत्वना दाता हैं। हम सभी अपने जीवन की कठिन परिस्थिति में, महामारी के इस समय में सांत्वना की खोज करते हैं। बहुधा हम दुनियावी सांत्वना की खोज करते हैं जो तुरंत ही उड़ जाती है। आज येसु हमें स्वर्गीय सांत्वना पवित्र आत्मा को प्रदान करते हैं जो हमारे लिए सांत्वनाओं की कड़ी में सर्वोत्तम हैं। इसमें क्या अंतर हैॽ दुनियावी सांत्वना हमारे लिए दर्द निवारक के समान है जो हमारे लिए क्षणिक आराम प्रदान करते हैं लेकिन वे आंतरिक बीमारी की चंगाई नहीं करते हैं। वे हमें आराम देते लेकिन हमें चंगाई प्रदान नहीं करते हैं। वे भावनाओं के स्तर पर सतही काम करते हैं लेकिन हमारे हृदय की गहराई तक नहीं उतरते हैं। हम जो हैं, उसी संदर्भ में जब हमें कोई प्रेम की अनुभूति प्रदान करता, तो वह हमारे हृदय को शांति प्रदान करता है। ईश्वर का प्रेम, पवित्र आत्मा हमारे लिए ठीक यही करते हैं। वे आत्मा के रुप में हमारे हृदय के अंदर आते और हमारी आत्मा में कार्य करते हैं। वे हमारे हृदय में आते हैं और हमारा हृदय उन्हें अतिथि के रुप में स्वागत करता है। वे ईश्वर के प्रेम हैं जो हमारा परित्याग नहीं करते हैं, अपने में अकेलेपन का अनुभव करनेवालों को वे अपनी उपस्थिति से सांत्वना प्रदान करते हैं।

प्रिय भाइयो एवं बहनो, यदि आप अकेलेपन के अंधकार का अनुभव करते हैं, यदि आप अपने में रूकावट का अनुभव करते हैं जो आपकी आशा में रोड़ा उत्पन्न करती है, यदि आप का हृदय घायल है, आप को कुछ नहीं सूझ रहा है तो ऐसी परिस्थिति में आप अपने हृदय को पवित्र आत्मा के लिए खोलें। संत बोनाभेनतूरा हमें कहते हैं, “जहाँ तकलीफें अधिक हैं, वहाँ वे अधिक सांत्वना लाते हैं दुनिया की तरह नहीं जो सभी चीजों के अच्छे होने पर हमें आराम और खुशी देती है लेकिन जब वे नहीं होतीं तो हमारा उपहास और निंदा करती है।” दुनिया ऐसी ही करती है यह शत्रु बुरी आत्मा के कार्य करने का तरीका है। वह हमें पहले खुशी प्रदान करता और बाद में चीजों को अजेय बना देता है, इसी भांति वह हमें पटक देता और हमें असफलताओं का बोध कराता है। वह हमें हराने के लिए बहुत सारी चीजों को करता है वहीं ईश्वर का आत्मा हमें ऊपर उठाना चाहता है। संत पापा ने कहा कि हम प्रेरितों की ओर देखें, वे भय के कारण दरवाजों के अंदर बंद, विस्मित थे। अपनी कमजोरियों और असफलताओं, पापों में जीवनयापन कर रहे थे उन्होंने येसु को छोड़ दिया था। येसु के साथ व्यतीत किये गये वर्षों के बाद भी उनका जीवन वैसा ही था। लेकिन उन्हें पवित्र आत्मा प्राप्त हुआ और सारी चीजें परिवर्तित हो गई, कठिनाइयाँ और असफलताएं बनी रहीं लेकिन वे उनसे या अपने विरोधियों से भयभीत नहीं हुए। उन्होंने अपने में ईश्वर की सांत्वना का अनुभव किया और वे उस सांत्वना में अभिभूत रहे। पहले वे भयभीत थे लेकिन अब उनके लिए भय का कारण ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य देना जिसे उन्होंने अनुभव किया था। येसु ने उन्हें पहले ही कहा था, “पवित्र आत्मा मेरी ओर से तुम्हें साक्ष्य देगा और तुम भी साक्ष्य दोगे” (यो.15.26-27)।

हमारे बुलावे का कारण

हम पवित्र आत्मा में साक्ष्य देते हुए सहायक और सांत्वना देने वाले बनने के लिए बुलाये गये हैं। पवित्र आत्मा हमें अपनी सांत्वना को आगे लेने हेतु कहते हैं, हम यह कैसे कर सकते हैंॽ बड़े प्रचवन देते हुए नहीं बल्कि दूसरों के निकट आते हुए। अपने घिसे-पिटे शब्दों के द्वारा नहीं बल्कि अपनी प्रार्थना और सामीप्य के द्वारा। पवित्र आत्मा कलीसिया को इस बात से वाकिफ कराते हैं कि आज सांत्वना देने का समय है। यह हमारे लिए खुशी में सुसमाचार प्रचार करने का समय है न कि गैरख्रीस्तीयवाद के खिलाफ युद्ध करने का। यह हमारे लिए पुनर्जीवित येसु की खुशी को घोषित करने का समय है न कि सांप्रदाय के नाटक पर विलाप करने का। यह विश्व में दुनियादारी का आलिंगन किये बिना प्रेम को उड़ेलने का समय है। यह करूणा का साक्ष्य देने का समय है न कि नियम कानून को लागू करने का। यह एक-दूसरे के लिए सहायक बनने का समय है।

पवित्र आत्मा हमारे अधिवक्ता

सहायक अपने में अधिवक्ता भी हैं। येसु के समय अधिवक्ताओं ने वह नहीं किया जो आज के अधिवक्ता करते हैं अभियुक्त की ओर से बोलने के बदले वे उसकी बगल में खड़े होकर उन्हें अपनी सुरक्षा हेतु तर्क देने की सलाह देते हैं। सहायक हमारे साथ ऐसा ही करते हैं, क्योंकि वे सत्य के आत्मा हैं (26)। वे हमारा स्थान नहीं लेते बल्कि विचारों और मनोभावनाओं को प्रेरित करते हुए छल-कपटों की बुराइयों से हमारी सुरक्षा करते हैं। वे विवेकपूर्ण ढ़ग से, बिना दबाव के हमारे साथ ऐसा करते हैं, वे थोपते नहीं बल्कि हमें सुझाव देते हैं। बुराई का आत्मा ठीक इसके विपरीत कार्य करता है, वह हम पर दबाव डालता है। वह हममें यह विचार लाता है कि हम बुराई से प्रभावित हों और बुराई कि ओर झुकें। संत पापा ने पवित्र आत्मा के तीन विशिष्ट सलाहों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान समय में तीन प्रलोभनों के तीन मौलिक कारक हैं।

पवित्र आत्मा के तीन सुझाव

पवित्र आत्मा का प्रथम सुझाव हमारे लिए “वर्तमान में जीने” हेतु आता है। वर्तमान समय में न की अतीत या भविष्य में। सहायक हमें अभी के समय पर जोर देते हैं न कि अतीत की बातों से अपने को कुंठित होने या भविष्य की अनिश्चित बातों या भय को लेकर चिंता करने को कहते हैं। वे हमें वर्तमान समय को कृपा स्वरुप लेने की याद दिलाते हैं। हमारे लिए यहाँ और अभी से अच्छा समय और कुछ नहीं है हम केवल इस समय में अपने जीवन को एक उपहार स्वरुप लेते हुए अच्छा कर सकते हैं। हम वर्तमान में जीवन व्यतीत करें।

पवित्र आत्मा हमें चीजों के “सम्पूर्ण रुप में” देखने को कहते हैं न कि आधा अधूरा। पवित्र आत्मा व्यक्तिगत रुप में नहीं बल्कि एक समुदाय के रुप में कलीसिया की संरचना करते हैं जहाँ हम विभिन्नता में भी एकता को पाते हैं जो एकरूपता पर बल नहीं देता है। यह सम्पूर्णता पर जोर देता है। यह पूरे समुदाय में कार्य करते हुए नया जीवन लाता है। हम इसे प्रेरितों में देख सकते हैं। वे अपने में अलग-अलग थे। मत्ती रोमियों के लिए चुंगी जमा करनेवाला था, पेत्रुस जो उत्साही कहलाता था संघर्षरत रहा। उनका राजनीति और दुनिया के बारे में अलग-अलग सोच-विचार थे। फिर भी, एक बार पवित्र आत्मा को ग्रहण करने के बाद उनके मानवीय सोच ईश्वर की योजनानुसार पूर्णता की खोज की। यदि आज हम पवित्र आत्मा को सुनते हैं तो हम रूढ़िवादी और प्रगतिशील, परंपरावादी और नवप्रवर्तक, पक्ष और विपाक्ष जैसे विचारों तक सीमित नहीं रहेंगे। जब ऐसी चीजें हमारे सोचने के तरीके बन जाते तो कलीसिया पवित्र आत्मा को भूल जाती है। सहायक हमें एकता हेतु प्रेरित करते, हममें समझ लाते और हम विभिन्नता में भी एकजुटता में बने रहते हैं। वे हमें अपने को एक शरीर के अंग, भाई-बहनों के रुप में एक-दूसरे को देखने में मदद करते हैं।

पवित्र आत्मा की तीसरी सलाह हमारे लिए “ईश्वर को प्रथम स्थान” देना है। यह आध्यात्मिक जीवन का निर्णायक कदम है जो हमारी अच्छाई और उपलब्धियों का कुल योग नहीं बल्कि नम्रता में अपने को ईश्वर के लिए खुला रखना है। यहाँ हम आत्मा की कृपा को पाते हैं जिसके फलस्वरुप हम अपने को खाली करते हुए ईश्वर के लिए स्थान बनाते हैं। अपने को उन्हें देते हुए हम अपने को खोज पाते हैं, अपनी दरिद्रता में हम आत्मा के प्रति धनी बनते हैं। यह कलीसिया के लिए भी सटीक बैठता है। हम अपनी शक्तियों से किसी को नहीं बचा सकते हैं अपने को भी नहीं। यदि हम अपनी परियोजनाओं, कार्यों के नये रुपों और संरचनाओं को महत्व देते तो हम केवल प्रभावशीलता, दक्षता तक ही सीमित होकर रह जाते परिणाम स्वरुप हम फल उत्पन्न नहीं करते हैं। कलीसिया मानवीय संगठन नहीं है यह पवित्र आत्मा का मंदिर है। येसु ख्रीस्त पवित्र आत्मा के द्वारा दुनिया में आग लाते हैं और कलीसिया कृपा, प्रार्थना की शक्ति, प्रेरिताई की खुशी और दरिद्रता की सुन्दरता को दूर करते हुए नवीकृत होती है। हम ईश्वर को प्रथम स्थान दें।

पवित्र आत्मा हमारे सहायक हमारे हृदयों को सुकून प्रदान करते हैं। हे पवित्र आत्मा तू हमें अपनी सांत्वना के प्रेरित, दुनिया में करूणा के सहायक बना। हमारे अधिवक्ता, हमारे हृदयों के मधुर सलाहकार आज ईश्वर के साक्ष्य बनने में हमारी मदद कर, हम कलीसिया में एकता और मानवता के नबी बनें, और तेरी कृपा में सुदृढ़ रहें, तू जो सारी चीजों को नया बनता है।   

पेंतेकोस्त महापर्व पर संत पापा फ्रांसिस का उपदेश

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23 May 2021, 21:55