ऊबी एत ओरबीः विश्व को संत पापा का संदेश  ऊबी एत ओरबीः विश्व को संत पापा का संदेश  

ऊबी एत ओरबीः पास्का की आशा में निराशा नहीं

ऊबी एत ओरबी में संत पापा फ्रांसिस ने कहा, “क्रूसित प्रभु जी उठे हैं।” विश्व को पास्का का संदेश देते हुए उन्होंने आशा में बने रहने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 4 अप्रैल 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर से पूरे विश्व के लिए पास्का का विशेष संदेश प्रेषित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों पस्का पर्व की मंगलकामनाएं।

आज, पूरे विश्व में कलीसिया की उद्घोषणा गूंजित होती है, “येसु, जो क्रूस पर चढ़ाये गये थे, जी उठे हैं, जैसे कि उन्होंने कहा, आल्लेलूया।”

पास्का का संदेश हमारे लिए कोई मृगतृष्णा या जादुई समीकरण नहीं है। यह हमें किसी कठिन परिस्थिति की ओर इंगित नहीं करता जिसे हम अपने जीवन से दूर भागने का प्रयास कर रहे हों। महामारी का प्रसार अब भी जारी है जबकि खास कर गरीबों के लिए, सामाजिक और आर्थिक संकट अपने में जटिल बने हुए हैं। इसके बावजूद हथियारों के युद्ध और सैन्य शस्त्रागार जो अपने में अपमानजनक हैं, खत्म नहीं हुए हैं।

पास्का आशा का ठोस संदेश

इस जटिल परिस्थिति में हम कहें, पास्का का संदेश हमारे लिए आशा में उस ठोस घटना की याद दिलाता है जो हमें कभी निराश होना नहीं देता, “येसु जो क्रूस पर चढ़ाये गये थे जी उठे हैं।”  यह हमें दूतों या अपदूतों का जिक्र नहीं करता वरन हांड-मांस वाले एक व्यक्ति, येसु ख्रीस्त के बारे में कहता है। सुसमाचार हमें साक्ष्य देता है कि वे येसु जो पोतुस पिलातुस के समय, अपने को ईश्वर का पुत्र कहने के कारण, सूली पर चढ़ाये गये थे तीसरे दिन मृतकों में से जी उठे हैं, जैसे कि उन्होंने अपने शिष्यों से पहले ही कहा था।

कोई दूसरा नहीं, अपितु क्रूसित येसु मुरदों में से जी उठे हैं। पिता ने अपने बेटे, येसु ख्रीस्त को मुरदों में से जीवित किया है क्योंकि उन्होंने उनकी मुक्तिदायी योजना को पूर्णरूपेण सम्पादित किया। येसु ने अपने ऊपर हमारी कमजोरियों, तकलीफों को वहन किया, यहाँ तक की मृत्यु को भी। उन्होंने हमारे पापों का बोझ उठाते हुए दुःख सहा। इसी कारण, पिता ईश्वर ने उन्हें ऊपर उठा और येसु ख्रीस्त हमारे बीच सदा सर्वदा जीवित ईश्वर के रूप में हैं।

येसु के घाव प्रेम की मुहर

साक्ष्यों में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण तथ्य की चर्चा की जाती है, पुनर्जीवित येसु के हाथों, पैरों और बगल में घावों के निशान हैं। ये घाव हमारे लिए उनके अनंत प्रेम की मुहर हैं। वे सभी जो अपने जीवन में शारीरिक और मानसिक रूप से एक पीड़ादायक स्थिति से होकर गुजरते, वे उन घावों में पनाह पाते हैं और उनके द्वारा उन्होंने आशा की कृपा मिलती है जो उन्हें कभी निराश होने नहीं देती है।

पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त उन सभों लोगों के लिए आशा की निशानी है जो महामारी से निरंतर जूझ रहे हैं, उनके लिए जो बीमार हैं और जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। प्रभु उन्हें दिलासा प्रदान करें और चिकित्सकों और नर्सों के सहासिक प्रयास को फलहित करें। हर कोई, विशेष कर जो अति संवेदनशील हैं उन्हें सहायता की जरुरत है और वे जरुरी चीजों के हकदार हैं। महामारी में संघर्षरत इस समय में यह हमारे लिए और भी आवश्यक हो जाता है। इस संघर्ष में वैक्सीन हमारे लिए एक मुख्य साधन है। मैं पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निवेदन करता हूँ जिससे वे उत्तरदायी भाव से, खास कर गरीब देशों के लिए बिना देर किये वैक्सीन उपलब्ध करते हुए उनका वितरण करें।

क्रूसित पुनर्जीवित येसु उन लोगों के लिए सांत्वना हैं जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है या गम्भीर आर्थिक संकट से गुजर हुए प्रार्याप्त सामाजिक सुरक्षा की कमी का एहसास करते हैं। वे जन नेताओं को प्रेरित करें जिससे वे विशेष रुप से अति जरूरत में पड़े परिवारों की सहायता हेतु आगे आ सकें, उन्हें सम्मानजनक जीविका मिल सकें। खेद की बात है कि महामारी ने गरीबों की संख्या को बढ़ दिया है और हजारों लोग इससे निराश हैं।

आशा में जीवन की शुरूआत करें

“सभी तरह की गरीबी से लाचार लोग पुनः एक बार आशा में जीवन की शुरूआत करें।” संत पापा योहन पौल द्वितीय ने हैती की अपनी यात्रा के दौरान इन वचनों को कहा। मैं विशेष रुप से हैती प्रिय देश के लोगों की याद इन दिनों करता हूँ। मैं उनसे निवेदन करता हूँ कि वे अपनी कठिनाइयों से हताश न हों वरन भविष्य को विश्वास और आशा भरी नजरों से देखें।

पुनर्जीवित येसु युवाओं से लिए आशा हैं जो इन दिनों लम्बें समय तक अपने विद्लायलों और महाविद्यालयों को जाने से वंचित हैं या अपने मित्रों के संग समय व्यतीत करने में असक्षम हैं। सच्चे मानवीय संबंध की अनुभूति सभी की एक चाह है विशेष कर उस उम्र में जब कोई अपने व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण कर रहा होता है। संत पापा ने कहा कि मैं पूरे विश्व के युवाओं के संग अपना सामीप्य प्रकट करता हूँ और इन दिनों खास रुप से म्यांमार के युवाओं के संग जो लोकतंत्र की सुरक्षा हेतु शांतिमय तरीके से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, इस ज्ञान के साथ कि केवल प्रेम घृणा को दूर कर सकता है।

पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त की ज्योति प्रवासियों के लिए नये जीवन का स्रोत बनें जो युद्ध और घोर गरीबी के कारण प्रलायन कर रहे हैं। हम उनके चेहरों में येसु ख्रीस्त से कुरूप और पीड़ित रुप को देखें जो कलवारी की राह में आगे बढ़ें। वे ठोस एकता और मानवीय भ्रातृत्व की अनुभूति का अभाव कभी न करें, जब आज हम मृत्यु के ऊपर जीत का आनंद मना रहे हैं। मैं उन देशों का शुक्रगुजार करता हूँ जो उदारता में पीड़ितों और प्रवासन की खोज कर रहे लोगों का स्वागत करते हैं। लेबनान और जॉर्डन विशेष रुप से बहुत सारे प्रवासियों को अपने में ले रहे हैं जो सीरिया में युद्ध के कारण भागने को विवश हैं।

लेबनान के लोग जो कठिन और अनिश्चितता के दौर से होकर गुजर रहे हैं पुनर्जीवित येसु की सांत्वना का अनुभव करें और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के द्वारा सहायता प्राप्त करें जिससे वे अपने बुलाहट- मिलन का देश, सह-अस्तित्व और विविधता के कार्यों को जारी रख सकें।

येसु ख्रीस्त, हमारी शांति अंततः प्रिय देश सीरिया में हथियारों की लड़ाई में रोकथाम लायें जहाँ लाखों की संख्या में लोग अमानवीय स्थिति में जीवनयापन करने को विवश हैं। यमन में स्थिति अपने में अनसुनी और अपमानजनक है, और लीबिया में हम आशा करते हैं कि एक दशक से चली आ रही खूनी संघर्ष अपने में खत्म हो। युद्ध में संलिप्त सभी दल अपनी ओर से प्रयास करें कि प्रभावकारी ढ़ग से युद्ध को समाप्त हो जिससे युद्ध ग्रस्ति जनता इन देशों में, शांति में बने रहते हुए पुनः अपने जीवन की शुरूआत कर सकें। 

येरूसालेम को शांति

पुनरूत्थान हमें स्वतः ही येरुसालेम ले चलता है। हम येरूसालेम की शांति और सुरक्षा हेतु निवेदन करते हैं (स्तो.122) जिससे यह अपने मिलन के बुलावे को जी सके, जहाँ सभी लोग एक दूसरे को भाई-बहनों के रूप में देख सकें। इस्रराएल और फिलीस्तीन वार्ता की शक्ति से एक सुदृढ़ समाधान तक पहुंचें जिससे दोनों देशों के बीच शांति और समृद्धि कयम हो सके।  

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि पर्व के इस दिन में मेरे विचार इराक की ओर जाते हैं जिसकी आनंदमय तीर्थ मैंने पिछले महीने पूरी की। मैं प्रार्थना करता हूँ कि यह शांति के मार्ग में अग्रसर हो और इस भांति वहाँ लोगों के लिए ईश्वर की योजना पूरी हो सकें।

पुनर्जीवित प्रभु की शक्ति अफ्रीका के लोगों को सबल बनाये जो अपने भविष्य को गृहयुद्ध और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के कारण मेलतोल करने में बाध्य हैं विशेष कर साहेल और नाइजीरिया, तथा टिगरे और काबो देलगदो प्रांत। युद्धों की उपस्थिति में, मानवाधिकारों और जीवन के सम्मान से संबंधित शांति के निरंतर पहल, मेल-मिलाप और एकता में, भ्रातृत्व और वार्ता के द्वारा स्थापित किये जाये।

युद्ध की मानसिकता पर विजय

दुनिया में और भी युद्ध और हिंसा की स्थिति हैं। प्रभु, जो हमारी शांति हैं युद्ध की मानसिकता पर विजय पाने में हमारी मदद करें। वह हमें कृपा दें कि युद्धों के कारण सलाखों के पीछे बंद लोग, विशेष रुप से पूर्वी ऊक्रेन और नागोर्नो-कारबाख़ सुरक्षित अपने परिवारों को लौट कर आ सकें, ईश्वर देश के नेताओं को प्रेरित करें कि वे नये हथियारों के धुन से ऊपर उठे सकें। आज 04 अप्रैल अंतरराष्ट्रीय बारूदी सुरंगों दिवस की याद दिलाता है जिसके कारण हर साल कितने ही लोगों विकृत और हताहत होते हैं, यह “विनाश और मृत्य से भयभीय हुए बिना एक साथ मिलकर जीवन की राह चलने में” अवरोध उत्पन्न करता है। मौत के इन हथियारों के बिना हमारी दुनिया अपने में कितनी अच्छी होगी।

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा पुनः इस साल बहुत से स्थानों में ख्रीस्तियों ने पाबंदी के कारण पूजन धर्मविधियों में सहभागी हुए बिना ही ख्रीस्त के पुनरूत्थान पर्व को मनाया है। हम प्रार्थना करें कि वे पांबदियां और पूजा-पाठ की स्वतंत्रता बहाल की जाये जिससे सभी विश्वास अपनी आजादी में ईश्वर की स्तुति और महिमा कर सकें।

बहुत सारी कठिनाइयाँ जिनका सामना हम सभी कर रहे हैं, इसके बावजूद हम इस बात को कभी न भूलें की हमें येसु ख्रीस्त के घावों से चंगाई मिली है (1 पेत्रु.2.24)। येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान में हमारी तकलीफें अब रूपांतरित हो गई हैं। जहाँ मृत्यु थी वहाँ अब जीवन है। जहाँ मातम था वहाँ अब सांत्वना है। क्रूस को आलिंगन करते हुए येसु ख्रीस्त ने हमारे जीवन की पीड़ाओं को अर्थपूर्ण बनाया है और हम प्रार्थना करते हैं कि चंगाई का यह लाभ पूरे विश्व में प्रसारित हो। सभों को पुनरूत्थान पर्व की शुभकामनाएँ।

ऊबी एत ओरबीः विश्व के नाम अपने संदेश की समाप्ति उपरांत संत पापा फ्रांसिस ने पूरे विश्व को पास्का का अतिविशिष्ट आशीर्वाद प्रदान किया। 

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04 April 2021, 14:27