खोज

संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में 

संत पापाः कलीसिया प्रार्थना का विद्यालय और घर

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में प्रार्थना पर धर्मशिक्षा देते हुए कलीसिया को प्रार्थना का घर और विद्यालय बतलाया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी-गुरूवार,14 अप्रैल 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन प्रेरितिक निवास की पुस्तकालय से सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

कलीसिया प्रार्थना का एक वृहद विद्यालय है। हममें से बहुतों ने अपने माता-पिता या दादा-दादियों की गोद में प्रार्थना करने की प्रथम शिक्षा पाई है। शायद हम सोने जाने के पूर्व अपने माता-पिता के द्वारा सिखलाई गई प्रार्थना को यादगारी स्वरुप वहन करते हैं। यादगारी के इन क्षणों में हम उन गूढ़ बातों को पाते हैं जो सुसमाचार से प्रेरित हैं जिसे सुझाव के रुप में हमारे अभिभावक हमें देते हैं। इस भांति जब हम बड़े होते तो अन्य दूसरी चीजों को हम अपने लिए प्रार्थना के साक्ष्य और शिक्षा स्वरुप पाते हैं (सीसीसी 2686-2687)। इन बातों को याद करने अपने में अच्छा है।

बाल्यावस्था के प्रार्थनामय अनुभव, अनमोल निधि  

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि एक पल्ली का जीवन और हर ख्रीस्तीय समुदाय अपने में धर्मविधि और समुदाय की प्रार्थना से प्रभावित होता है। बाल्यावस्था में प्रार्थना का सरल रुप जो हमें उपहार स्वरूप मिलता है हमारे लिए एक बहुमूल्य निधि बनती है और उस अनुभव पर हम अपने प्रार्थनामय जीवन की गरहाई में उतरते हैं। विश्वास का परिधान अपने में रुखा नहीं है बल्कि विभिन्न परिस्थितियों में इसका विकास होता है। हमारा विश्वास जीवन की विकट परिस्थिति में विकसित होता है। विश्वास की सांस प्रार्थना है, हम जैसे-जैसे प्रार्थना करना सीखते वैसे-वैसे हम अपने विश्वास में बढ़ते हैं। अपने जीवन की कुछ परिस्थितियों के बाद हमें यह एहसास होता है कि विश्वास के बिना हम इस मुकाम तक नहीं पहुँच पाते और प्रार्थना हमारे लिए शक्ति बनी। हम अपनी व्यक्तिगत प्रार्थना को केवल नहीं बल्कि अपने भाई-बहनों और समुदाय की प्रार्थना को अपने लिए पाते हैं जो हमारे साथ रहकर हमें सहायता प्रदान करते, हम उनके सहचर्य को अपने लिए पाते जिन्हें हम जानते और जिनसे हमने अपने लिए प्रार्थना की मांग की।

प्रार्थना दुनिया हेतु इंजन

यही कारण है संत पापा ने कहा कि प्रार्थना करने वाले समुदाय और दलों का विकास कलीसिया में हुआ है। कुछ ख्रीस्तीय हैं जो अपने दिन की शुरूआत से पहले प्रार्थना को जीवन का प्रथम कार्य बनाते हैं। कलीसिया में मठें, कान्वेटस, आश्रम हैं जहाँ ईश्वर को समर्पित लोग रहते हैं। वे प्रार्थना के क्रेन्द बनते हैं जहाँ से आध्यात्मिक ज्योति प्रसारित होती है, जहाँ प्रार्थना में प्रतिदिन भ्रातृत्वमय एकता साझा किया जाता है। वे न केवल कलीसिया के ताने-बाने हैं बल्कि वे पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण अंग हैं। हम मठवासी जीवन के बारे में चिंतन करें जिसके फलस्वरूप यूरोपीय और अन्य दूसरी संस्कृतियों तथा सभ्यताओं का जन्म और विकास हुआ। समुदाय में प्रार्थना और कार्य करना विश्व को आगे ले चलता है। यह एक इंजन के समान है।

प्रार्थना बिना जीवन अर्थहीन

संत पापा ने कहा कि कलीसिया में सारी चीजों की उत्पत्ति और विकास प्रार्थना से होती है, इसके लिए हम प्रार्थना के शुक्रगुजार हैं। जब शत्रु, बुराई कलीसिया से लड़ाई करना चाहती है तो वह सबसे पहले प्रार्थना में बाधा उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा कि हम बहुत बार कलीसिया में परिवर्तन लाने की बात कहते और कड़े निर्णय लेते हैं लेकिन क्या हम सही रुप में प्रार्थना करते हुए उस निर्णय पर आते हैं। प्रार्थना हमारे लिए पवित्र आत्मा के द्वार को खोलती है जो हमें प्रेरित करते हैं। कलीसिया में प्रार्थना के बिना परिवर्तन, कोई परिवर्तन नहीं है। वह दलों का परिवर्तन है। शत्रु हमारी प्रार्थना में बाधा उत्पन्न कर दूसरे सुझावों को हमारे लिए प्रस्तुत करता है। प्रार्थना में रुकावट अपने पर भी सारी चीजें यथावत पहले की भांति चलती हैं लेकिन एक थोड़े समय बाद कलीसिया अपने में एक खालीपन का अनुभव करती है, वह सारी चीजों को खोई अनुभव करती है, वह अपने में प्रेम और ऊर्जा की कमी का एहसास करती है।

प्रार्थना जीवन का हथियार

धर्मी नर और नारियाँ का जीवन अन्य दूसरे लोगों की तरह ही अपने में सहज नहीं है। उनकी अपनी समास्याएं हैं उससे भी बढ़कर, उन्हें बहुधा विरोधों का सामना करना पड़ता है। लेकिन उनके लिए शक्ति उनकी प्रार्थना है। वे माता कलीसिया में कभी खत्म न होने वाले “कुंए” से अपने लिए शक्ति ग्रहण करते हैं। प्रार्थना के द्वारा वे अपने विश्वास रूपी लौ को पोषित करते हैं, जैसे दीये में तेल उपयोगी है। इस तरह वे अपने जीवन में विश्वास और भरोसे के साथ आगे बढ़ते हैं। संतगण जो दुनिया की नजरों में नगण्य दिखाई पड़ते वे वास्तव में इन्हीं चीजों से अपने को विभूषित करते हैं, उनके लिए हाथियारें धन और शक्ति नहीं वरन प्रार्थना है।

विश्वास दीप तो प्रार्थना तेल

संत लूकस के सुसमाचार में येसु नाटकीय ढ़ंग से एक सवाल पूछते हैं जो हमें सदैव चिंतन हेतु मदद करता है, “जब मानव पुत्र आयेगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास बचा हुआ पायेगा”? (लूका.18.8) यह सवाल उस दृष्टांत के अंत में आता है जो हमें बिना थके धैर्य में निरंतर प्रार्थना करने को कहता है। अतः हम कह सकते हैं कि विश्वास का दीप इस धरती पर तब तक जलता रहेगा जब तक प्रार्थना रूपी तेल रहेगा। संत पापा ने कहा कि यह प्रार्थना है जो हमारे जीवन की कमाजोरियों और पापमय स्थिति में भी हमें निश्चितता में आगे ले चलती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने में यह पूछने की जरुरत है कि क्या हम प्रार्थना करते हैं? हम कैसे प्रार्थना करते हैं? तोते के समान या अपने हृदय से? क्या मैं कलीसिया में, कलीसिया के साथ प्रार्थना करता हूँ यह अपनी ही विचारों के अनुसार छोटी प्रार्थना करता हूँ, या मेरे विचार प्रार्थना बनते हैं? यह ख्रीस्तीय प्रार्थना नहीं बल्कि एक गैर-ख्रीस्तीय प्रार्थना है। उन्होंने जोर देखते हुए कहा कि विश्वास का दीप अपने में तब तक जलता रहेगा जब तक इसमें प्रार्थना रूपी तेल रहेगा।

कलीसिया का मुख्य कर्तव्य, प्रार्थना का पाठ

प्रार्थना करना और प्रार्थना करने की शिक्षा देना कलीसिया का एक मुख्य कर्तव्य है। हमें विश्वास के दीप और प्रार्थना रूपी तेल को पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसारित करना है। विश्वास का दीप हमें प्रकाशित करता है, वास्तव में इसके द्वारा चीजें व्यवस्थित होती हैं जैसे कि वे हैं, लेकिन यह केवल विश्वास रूपी तेल के साथ आगे बढ़ सकता है। ऐसा नहीं होता तो यह बुझ जायेगा। दीये की ज्योति बिना हम सुसमाचार प्रचार की राह को नहीं देख पायेंगे, हम अपने भाई-बहनों के चेहरों को देखने के योग्य नहीं होंगे जिन्हें हमारी सेवा की जरुरत है। हम अपने समुदाय के मिलन स्थल को प्रकाशित नहीं पायेंगे। विश्वास के बिना सारी चीजें गिर जाती हैं और प्रार्थना के बिना विश्वास बुझ जाता है। संत पापा ने कहा कि विश्वास और प्रार्थना एक साथ जाती है। इसके सिवाय कोई दूसरा मार्ग नहीं है। यही कारण है, कलीसिया एक घर के रुप में एकता का विद्यालय, विश्वास और प्रार्थना का स्कूल है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

14 April 2021, 15:31

ताजा आमदर्शन

सभी को पढ़ें >