सुसमाचार की घोषणा हमेशा क्रूस के आलिंगन से जुड़ा होता है, पोप
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 1 अप्रैल 21 (रेई)- पुण्य बृहस्पतिवार को क्रिज्मा मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए संत पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि सुसमचार की घोषणा हमेशा किसी क्रूस से जुड़ी होती है।
सुसमाचार एवं क्रूस
उन्होंने कहा कि सुसमाचार हमें दिखलाता है कि अत्याचार और क्रूस किस तरह सुसमचार की घोषणा से जुड़े हैं।
यह घड़ी ख्रीस्त के दुःखभोग एवं मृत्यु की ओर ले जाती है। "सुसमाचार की आनन्दमय घोषणा, अत्याचार का समय एवं क्रूस की घड़ी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।"
उन्होंने कहा, "ईश वचन का धीमा प्रकाश उदार हृदयों में तेजी से चमकता है जबकि जो उदार नहीं होते उनके हृदय में भ्रम और तिरस्कार उत्पन्न करता है। हम इसे सुसमाचार में बार-बार पाते हैं।"
उदाहरण स्वरूप संत पापा ने कहा कि खेत में बोया गया अच्छा बीच फल लाता है किन्तु शत्रु के मन में ईर्ष्या उत्पन्न करता।
"करुणावान पिता का कोमल स्नेह उड़ाव पुत्र को घर लौटने के लिए अनोखे रूप से आकर्षित करता है किन्तु बड़े भाई को नराज और आक्रोशित भी करता है।" ये सभी उदाहरण हमें सिखलाते हैं कि सुसमाचार रहस्यात्मक तरीके से अत्याचार एवं क्रूस से जुड़ा है।
क्रूस से समझौता नहीं किया जा सकता
विचारों की दो ट्रेनों पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि पहले में हम येसु के जीवन के क्रूस जिसको उन्होंने शुरू में अपने जन्म से पहले उठाया, उसपर चिंतन करते हैं।
यह हमें समझने में मदद देता है कि क्रूस का रहस्य शुरू से ही है। क्रूस संयोग से प्रकट नहीं होता।
जब उनका समय आया, येसु ने क्रूस को पूरी तरह अंगीकार किया क्योंकि क्रूस पर अस्पष्टता नहीं की जा सकती। क्रूस से समझौता नहीं किया जा सकता।
दूसरी बिन्दु के बारे संत पापा ने कहा कि इसमें क्रूस का आयाम है जो हमारी मानवीय स्थिति, हमारी कमजोरी एवं दुर्बलता का अभिन्न हिस्सा है। फिर भी यह सच है कि क्रूस पर जो हुआ वह हमारी मानवीय कमजोरी के कारण नहीं हुआ बल्कि सांप काटने के कारण हुआ जो येसु को असहाय देखकर डंस लिया था ताकि उन्हें विषक्त करें और उनके कार्यों को निष्फल कर दें। यह शैतान का जहर था जो दबाव डाल रहा था कि वे अपने आपको बचा लें।
इस निष्ठुर एवं दर्दनाक डंक में वह मौत लाना चाहता था जिसपर ईश्वर ने विजय पायी।
संत पापा ने कहा कि येसु के मेल-मिलाप किये हुए खून में, क्रूस पर ख्रीस्त के विजय की शक्ति निहित है जिसने बुराई पर विजय पायी है एवं हमें शैतान से मुक्त कर दिया है।
ख्रीस्त हममें दुःख उठाते हैं
संत पापा ने रेखांकित किया कि हम ख्रीस्तीय उनके समान नहीं हैं जो पीछे मुड़ते हैं।
हम ठोकर नहीं खाते हैं क्योंकि स्वयं येसु ने भी गरीबों के बीच मुक्ति की घोषणा करते हुए ठोकर नहीं खायी जब उन्हें पूरे हृदय से स्वीकार नहीं किया गया बल्कि चिल्लाते एवं धमकियों के बीच उनके वचनों का बहिष्कार किया था।
सुसमाचार की घोषणा में जिस तरह हम क्रूस को स्वीकार करते हैं दो चीजों को स्पष्ट करती है। "पीड़ा जो सुसमाचार से आती है वह हमारी नहीं है बल्कि हममें निवास करने वाले ख्रीस्त की है और हम अपना प्रचार नहीं करते बल्कि येसु ख्रीस्त का प्रभु के रूप में प्रचार करते हैं एवं येसु के प्रेम से अपने आपको सभी का सेवक बतलाते हैं।
ईश्वर की दिव्य कृपा
संत पापा ने उपदेश का समापन एक घटना को बतलाते हुए की जो उनके साथ घटी थी। अपने जीवन के उस अंधेरे पल में उन्होंने प्रभु से कृपा की याचना की थी कि वे उन्हें कठिन और जटिल परिस्थिति से मुक्त कर दे।
एक बार जब एक बुजूर्ग धर्मबहन उनसे पापस्वीकार कर रहीं थीं तो उन्होंने उनसे दण्ड के रूप में अपने लिए प्रार्थना करने को कहा था क्योंकि उन्हें एक विशेष कृपा की जरूरत थी।
तब धर्मबहन ने कहा था कि प्रभु निश्चित रूप से आपको कृपा प्रदान करेंगे किन्तु इस तरह की गलती नहीं करना। वे आपको अपने दिव्य तरीके के अनुसार इसे प्रदान करेंगे।
संत पापा ने कहा कि इस सलाह ने उन्हें बहुत मदद किया, यह सुनकर कि हम जो मांगते हैं उसे प्रभु हमेशा देते हैं किन्तु अपनी ईश्वरीय तरीके से देते हैं। इस तरीके में क्रूस है, स्वपीड़न के लिए नहीं बल्कि प्रेम के लिए, अंत तक प्रेम करने के लिए।
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