रोम के सभागह में संत पापा जॉन पौल द्वितीय रोम के सभागह में संत पापा जॉन पौल द्वितीय 

रोम के सभागृह में पोप जॉन पौल द्वितीय के दौरे के 35 वर्ष

संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 35 वर्षों पहले 13 अप्रैल 1986 को रोम के यहूदी सभागृह की ऐतिहासिक भेंट की थी। यह एक महान "प्रतीकात्मक महत्व" की घटना थी जिसने काथलिकों एवं यहूदियों के बीच संबंध को पलट दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 13 अप्रैल 2021 (रेई)- संत पापा जॉन पौल द्वितीय एवं रोम के प्रमुख रब्बी एलियो तोअफ के बीच आलिंगन ने एक मुलाकात पर मूहर लगायी जो सभी लोगों के दिलों एवं यादों में सदा बनी रहेगी।

उस अवसर पर अपने भाषण में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने ख्रीस्तीय एवं यहूदी धर्म के बीच संबंध को रेखांकित किया था तथा गैर-ख्रीस्तीय धर्मों के साथ कलीसिया के संबंध में महासभा की घोषणा पर प्रकाश डाला था। उन्होंने याद किया था कि कलीसिया घृणा, अत्याचार एवं यहूदी या किसी भी व्यक्ति के खिलाफ, यहूदी विरोधी प्रदर्शनों की निंदा करती है।

13 अप्रैल 1986 को दोपहर में बारिश के बीच संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने ताईबर नदी पार किया तथा रोम स्थित विक्टोरियाई सभागृह जाकर यहूदी समुदाय के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। इस सभागृह को पश्चिम में सबसे पुराना यहूदी समुदाय का घर माना जाता है।  

उस अवसर पर रोम के हजारों लोगों ने जमा होकर संत पापा का स्वागत किया था तथा इसे इतिहास में पीछे लौटने के इशारे के रूप में यादगार बनाने के लिए, अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से जगह दी थी।   

रब्बी एलियो तोआफ ने कहा, "हृदय अपने आप खुल जाता है और दो नेता एक-दूसरे का आलिंगन करते एवं एक साथ 1,000-मजबूत मण्डली के अण्डाकार में आराधनालय में प्रवेश करते हैं।"

प्रार्थना के दौरान दोनों आस्थाओं की समान प्रतिष्ठा पर जोर दी गई। दोनों गिल्ट और ब्रोकेड सिंहासन पर बैठे एवं स्तोत्र ग्रंथ का पाठ किया। पोप ने एक को इब्रानी में पढ़ा।

उन्होंने अपने वक्तव्य में "नोस्त्रा ऐताते" के कई संदर्भों को लिया जिसकी घोषणा संत पापा पौल 6वें ने 1965 में की थी तथा कलीसिया का गैर-ख्रीस्तीय धर्मों के साथ संबंध को समर्पित किया है, जो लंबे समय से चली आ रही धारणा जिसमें यहूदियों को मसीह की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है उसे खारिज करता है।

"बड़े भाई"

संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने कहा, "यहूदी धर्म हमारे लिए बाहरी नहीं है बल्कि कुछ हद तक हमारे ही धर्म का आंतरिक रूप है। अतः यहूदीवाद के साथ हमारा एक संबंध है जो किसी दूसरे धर्म के साथ नहीं है। आप हमारे प्यारे भाई हैं और इसे कुछ हद तक ऐसा भी कहा जा सकता है कि आप हमारे बड़े भाई हैं।   

यहूदीवादी विरोध की निंदा

संत पापा ने कहा कि पुनः एक बार कलीसिया घृणा, अत्याचार और किसी भी समय के यहूदी विरोधी एवं इसे किसी के द्वारा  दोहराये जाने की निंदा करती है।

संत पापा ने 1979 में ऑस्विच में अपनी यात्रा की याद करते हुए नाजियों द्वारा निर्वासित 2,091 रोमन यहूदियों की स्मृति के लिए समर्पित आराधनालय के बाहर एक पट्टिका से कुछ मीटर की दूरी पर कहा था कि वहाँ लोगों के पुत्र-पुत्रियों के पूर्ण विनाश का निश्चय किया गया था। "रोम के यहूदी समाज ने भी रक्त की एक बड़ी कीमत चुकायी है।"

अलग पहचान

अपने संक्षिप्त लेकिन जटिल प्रवचन में पोप ने काथलिक यहूदी संबंधों के एक और परिप्रेक्ष्य पर भी आवाज दी, जब उन्होंने घोषणा की कि "हमारे सभी धर्मों की 'इच्छा' है कि इसे मान्यता दी जानी चाहिए और किसी भी महत्वाकांक्षी विनियोग के परे इसकी अपनी पहचान को सम्मान दिया जाना चाहिए।''

उनके पदचिन्हों पर

संत पापा जॉन पौल द्वितीय के पद चिन्हों पर, संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने 2010 में और संत पापा फ्राँसिस ने 2016 में रोम के सभागृह का दौरा किया एवं यहूदियों के साथ अपनी मित्रता एवं सम्मान व्यक्त की। उन्होंने संत पापा जॉन पौल द्वितीय के समान उन्हें "हमारे बड़े भाई" कहा।

 

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13 April 2021, 16:50